
Navratri 2025: फोटो सोर्स – Freepik
Navratri 2025: बिलासपुर में दुर्गा पूजा का उत्सव हर साल भव्यता और आस्था का प्रतीक बनकर उभरता है। इसकी परंपरा 1923 में शुरू हुई थी, जब रेलकर्मियों ने कोलकाता से मालगाड़ी में मां दुर्गा की प्रतिमा लाकर चुचुहियापारा में पूजा उत्सव मनाया था। उस समय बिलासपुर केवल रेल परिचालन के लिए जाना जाता था।
हावड़ा-मुंबई मार्ग पर रेलवे का कनेक्शन होने के कारण बंगाल से बड़ी संया में कर्मचारी यहां आकर रहने लगे। बंगाल जाने में कठिनाई होने के कारण कुछ कर्मचारियों ने यहीं दुर्गा पूजा करने का निर्णय लिया। भट्टाचार्य दादा ने अपने बोनस की राशि से कुछ सदस्यों के साथ कोलकाता जाकर मां दुर्गा की प्रतिमा लाई गई। रेलवे स्टेशन पर जब उनका स्वागत हुआ तो लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
समय के साथ बंगाली एसोसिएशन का गठन हुआ और पूजा उत्सव का दायरा बढ़ता गया। अब बंगाल के कारीगर यहां छह महीने पहले आकर प्रतिमा का निर्माण करते हैं। कोलकाता के कुमारटुली क्षेत्र की मिट्टी और ओडिशा के कारीगरों की कला से बनी प्रतिमाएं पूजा पंडालों में स्थापित की जाती हैं। पंडाल में पहली बार कपड़े और बत्तियों का उपयोग भी इसी परंपरा से शुरू हुआ।
बिलासपुर और आसपास के क्षेत्रों में 500 से अधिक पंडालों में दुर्गा प्रतिमा स्थापित की जाती है। जगमल चौक, कालीबाड़ी, हेमू नगर, मंगला चौक, तिलक नगर, मध्य नगरी और बंगाली स्कूल चौक सहित कई जगहों पर भव्य पंडाल सजाए जाते हैं। अब यह परंपरा सिर्फ बंगाली समाज तक सीमित नहीं रही।
बंगाली समाज के देबाशीष घोष लालटू ने बताया कि चुचुहियापारा में दुर्गा पूजा के 102 वर्ष पूरे होने पर रतनपुर की मां महामाया मंदिर की तर्ज पर पंडाल तैयार किया है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न देवी मंदिर डोंगरगढ़ बलेश्वरी, कोरबा सर्वमंगला सहित छत्तीसगढ़ के सभी प्रसिद्ध मंदिरों के देवियों के दर्शन इसी पंडाल में होंगे। नवरात्र के षष्ठी से पूजा अर्चना शुरू होगी। बंगाल से पंडित, ढांक और पूजा सामग्री लाकर तैयार की जा रही है। शहर में पांच दिनों तक खुशियों की लहर व्याप्त होगी।
Published on:
22 Sept 2025 01:55 pm
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