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सफाई का काम ठेके पर देने से लाखों के वाहन हो गए कबाड़, नगर निगम में चल रहा बड़ा खेल

locationबिलासपुरPublished: Oct 18, 2020 09:49:50 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

वहीं निगम द्वारा खरीदे गए वाहन रखरखाव के अभाव में कंडम हो रहे हैं। नगर निगम में सफाई ठेका वर्ष 2012 से शुरू हुआ। विस्तारसे पहले नगर निगम में 55 वार्डों की सफाई को ठेके पर दिया गया था। 5 साल तक ठेके पर भुगतान हुआ। इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों ने दिल्ली की एमएसडब्ल्यू से पार्टनरशिप वाली रैमकी कंपनी को शहर के वार्डों को सफाई ठेके पर दिया।

सफाई का काम ठेके पर देने से लाखों के वाहन हो गए कबाड़, नगर निगम में चल रहा बड़ा खेल

सफाई का काम ठेके पर देने से लाखों के वाहन हो गए कबाड़, नगर निगम में चल रहा बड़ा खेल

बिलासपुर. नगर निगम में सफाई के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। एक ओर नगर निगम के अधिकारी सफाई के नाम पर करोड़ों की जमीनें खरीद रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सफाई का काम ठेके पर भी दिया जा रहा है। हर महीने नगर निगम से करोड़ों रुपए सफाई के नाम पर ठेका कंपनियों को भुगतान हो रहा है। वहीं निगम द्वारा खरीदे गए वाहन रखरखाव के अभाव में कंडम हो रहे हैं। नगर निगम में सफाई ठेका वर्ष 2012 से शुरू हुआ। विस्तारसे पहले नगर निगम में 55 वार्डों की सफाई को ठेके पर दिया गया था।

5 साल तक ठेके पर भुगतान हुआ। इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों ने दिल्ली की एमएसडब्ल्यू से पार्टनरशिप वाली रैमकी कंपनी को शहर के वार्डों को सफाई ठेके पर दिया। सड़कों पर झाडू लगाने के साथ-साथ कचरे को डंप करने और डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का काम ठेका कंपनी को दिया गया था। अगले कई वर्षों तक यही कंपनी पुराने नगर निगम की सीमा क्षेत्रों में सफाई करेगी। कंपनी को प्रत्येक टन कचरा उठाने पर 2015 रुपए का भुगतान किया जा रहा है।

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स्वीपिंग मशीन से सफाई का ठेका अलग

नगर निगम अधिकारियों ने शहर के मुख्य मार्गों पर स्वीपिंग मशीन से सफाई के लिए डेढ़ करोड़ रुपए सालाना खर्च पर लायन कंपनी को सन 2017-18 से ठेका दे रखा है। दिन और रात में ठेका कंपनी मुख्य मार्गों पर मशीन से झाडू लगाती है और धूल साफ करती है। ठेका कंपनी ने अपनी स्वयं की स्वीपिंग मशीन से सफाई कर रही है।

नगर निगम में तत्कालीन आयुक्त एमए हनीफी के कार्यालय में 2 स्वीपिंग मशीनें सन 2006-7 में खरीदी गई थी। इस मशीन का कुछ दिनों तक शहर में उपयोग हुआ और बाद में यह मशीनें भी खराब हो गई। रखरखाव नहीं होने के कारण मशीनों को निगम के पंप हाउस में खड़ा कर दिया। वर्तमान में दोनों वाहन कंडम हो चुके हैं।

सफाई के लिए खरीदे रिक्शे हो गए गायब

तत्कालीन महापौर स्व. अशोक पिंगले के कार्याकाल के दौरान नगर निगम ने सन 2006-7 में सफाई के लिए 100 रिक्शे खरीदे थे। कुछ ही दिनों तक ये रिक्शे शहर में दिखे और बाद में कहां चले गए सका जवाब निगम अधिकारियों के पास भी नहीं है।

2 वैक्यूम वेस्ट क्लीनिंग मशीन में 1 हो गई खराब

नगर निगम के अधिकारियों ने सन 2014 में 2 वैक्यूम क्लीनिंग मशीनें खरीदी थी। लाखों की लागत से खरीदी गई 1 क्लीनिंग वैक्यूम मशीन का उपयोग भी नहीं हुआ है और नगर निगम के पंप हाउस में खड़ी-खड़ी कंडम हो चुकी है। निगम कर्मचारियों के अनुसार मशीन का कंप्रेशर खरीदी के बाद से ही काम नहीं कर रहा था, जिसे सुधारा नहीं गया।

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