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सनसनाती गोलियाें के बीच जान की परवाह किए बिना हमने स्वयं को श्रीराम को समर्पित कर पाया लक्ष्य..

Ram mandir: स्वयं को श्रीराम को सपर्पित कर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। अंतिम लक्ष्य 22 जनवरी को नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में रामलला के विराजमान होने पर पूजा हो जाएगा..

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CG Ram Katha: अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने का प्रण लिए सनसनाती गोलियाें के बीच भी हमने अपने जान तक की परवाह नहीं की। स्वयं को श्रीराम को सपर्पित कर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। अंतिम लक्ष्य 22 जनवरी को नवनिर्मित श्रीराम मंदिर में रामलला के विराजमान होने पर पूजा हो जाएगा।

..लिया था प्रण

शुक्ला ने बताया कि अयोध्या से लौटने के बाद उन्होंने प्रण लिया कि जब तक श्रीराम मंदिर नहीं बन जाता और उसमें रामलला नहीं विराजते, तब तक वे श्रीराम भक्तों को टॉफियां बांट कर जागृत करते रहेंगे। उस समय से अब तक वे रोज सुबह शहर के विभिन्न देवालयों में जाकर पहले सफाई करते हैं और फिर श्रराम भक्तों को टाफियां बांटते आ रहे हैं। अब 22 जनवरी को उनका संकल्प पूरा होने वाला है।


आडवानी और उमा भारती संयम बरतने करते रहे अपील...

शुक्ला ने बताया कि आंदोलन के दौरान वहां मौजूद लालकृष्ण आडवानी व उमा भारती सभी कारसेवकों से अपील करते रहे कि हमें उग्र नहीं, शांतिपूर्वक आंदोलन करना है, पर युवा कारसेवक कहां मानने वाले थे...।

ये बातें गोंडपारा निवासी 70 वर्षीय कारसेवक किशोर शुक्ला ने पत्रिका से चर्चा में बताई। उन्होंने बताया कि 2 नवंबर 1990 को विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन चलाया था। आह्वान किया गया कि सभी हिंदू अयोध्या पहुंचें। छत्तीसगढ़ के कारसेवकों के साथ वे भी ट्रेेन से रवाना हुए। मध्यप्रदेश की सीमा समाप्त होते ही मानिकपुर स्टेशन में उन्हें ट्रेन में ही उत्तरप्रदेश पुलिस ने घेर लिया और ट्रेन से उतार दिया। इस बीच भारी विरोध के बाद कुछ दूरी पर ही फिर से ट्रेन में चढ़े।

प्रयागराज स्टेशन में सभी कारसेवकों को बल पूर्वक खदेड़ा गया। वहां से किसी तरह पैदल ही अयोध्या के लिए निकल पड़े। इस बीच एक गांव के मालगुजार ने उन्हें रहने-खाने के साथ ही अयोध्या तक पहुंचवाने में मदद की। उस समय आंदोलन करने के बाद वे बिलासपुर लौट आए। 6 दिसंबर 1992 को फिर अयोध्या गए। बताया कि 6 दिसंबर को यूपी पुलिस की सननाती गोलियों के बीच भी हमें जान की परवाह नहीं की। श्रीराम का जयकारा लगाते हुए आगे बढ़ते गए और अंतत: हमने अपना लक्ष्य पूरा किया।