
राजकुमार सिंह/बिलासपुर. किसी खरीदार से चेक लेते समय आंख-कान जरा खुला रखें, वरना आपको लाखों की चपत लग सकती है। शहर में एक और करीम तेलगी गैंग सक्रिय हो गया है, जो नकली चेक का खेल खेलकर चूना लगाने की फिराक में है। तेलगी को तो आप भूले नहीं होंगे। ये वही शख्स है जिसने नकली स्टांप बेचकर भारतीय अर्थव्यवस्था को हिला दिया था और सरकार 43 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया था। ऐसा ही वाक्या शहर के कारोबारी पवन अग्रवाल के साथ हुआ। जांजगीर-चांपा के उमेश तिवारी नामक शख्स ने मिक्चर मशीन खरीदने के लिए उनसे संपर्क किया। बैंक से फाइनेंस कराने के नाम पर उनसे कोटेशन मांगा। उन्होंने 90 हजार रुपए का कोटेशन बनाकर दे दिया। 25 सितंबर को उस शख्स ने एक लाख रुपए का बैंकर्स चेक राधेकृष्ण इंडस्ट्री के नाम पर दिया। बैंक ने इस चेक को जाली बताकर खारिज कर दिया। ये पूरा वाक्या सुनियोजित माना जा रहा है। आशंका है कि इसकी पीछे कोई गिरोह सक्रिय है। दरअसल घटना ये कि 23 सितंबर को जांजगीर-चांपा का एक कथित शख्स, जिसने अपना नाम उमेश तिवारी बताया। शहर के कारोबारी से संपर्क कर मिक्चर मशीन खरीदने की बात करता है।
बैंक से फाइनेंस कराने के नाम पर कोटेशन मांगा। कोटेशन मिलने के बाद 25 सिंतबर को बैंक ऑफ इंडिया के जांजगीर-चांपा ब्रांच से जारी एक लाख का बैंकर्स चेक पवन अग्रवाल को देकर मशीन देने की मांग की। साथ ही ये भी कहा, कि मशीन की कीमत 90 हजार रुपए है। आप मुझे 10 हजार नगदी लौटा दें। बैंक में कुछ भुगतान करना है। हालांकि प्रतिष्ठित व्यावसायी पवन अग्रवाल तो किसी तरह इस झांसे से बच गए, लेकिन आप सतर्क रहिए।
चेक क्लियर होने पर करेंगे भुगतान : रात अधिक हो जाने पर विक्रेता पवन अग्रवाल ने बैंक से चेक क्लियर हो जाने के बाद 27 को मशीन और नगदी दोनों एक साथ देने की बात कही। इधर 27 सितंबर कोकर्णाटका बैंक में चेक लगाने पर चेक जाली निकला। बैंक ने भुगतान रोक दिया। मामले का दिलचस्प पहलू ये हैं कि बैंकर्स चेक की स्पेलिंग गलत अंकित थी। चेक की स्पेलिंग सीएचईके अंकित थी। जबकि सही स्पेलिंग सीएचईक्यूयूई होनी चाहिए।
करीम ने जाली स्टांप बेचकर लगाया था 43 हजार करोड़ का चूना : अब्दुल करीम तेलगी को तो आप अब तक नहीं भूले होंगे। ये वही शख्स है, जिसने नकली स्टांप का कारोबार देश के 18 राज्यों और 72 शहरों में फैलाकर सरकार को 43 हजार करोड़ का चूना लगाया था। कर्णाटक का ये करामाती शख्स 2007 से हवालात में है और 30 साल की सजा काट रहा है। इसने देश की सबसे बडी पेट्रोलियम कंपनी आईओसी और एलआईसी जैसी संस्थाओं को 2003 से नकली स्टांप बेचना शुरू किया था और चार सालों तक सभी की आंखों में धूल झोंका था। नेटवर्क इतना तगड़ा कि सरकार के नासिक प्रिंटिंग प्रेस तक में घुसपैठ बनाकर पुराने डाई से बिल्कुल असली जैसे स्टांप पेपर बना रहा था। महाराष्ट्र में 12 केस और देश के अन्य शहरों में 15 केस दर्ज होने के बाद वह सीबीआई के हत्थे चढ़ा था। शहर में ऐसा ही ग्रुप सक्रिय हो गया है। इसलिए बैंकर्स चेक को सावधानी से देखभाल कर लें। अन्यथा लेने के देने पड़ सकते हैं।
हाथ से लिखे चेक अब नहीं होते जारी :किसी दूसरे शहर से डीडी जारी होती है, बैंकर्स चैक नहीं। दूसरी अहम बात कोर बैंकिंग के जमाने में कंप्यूटराइज्ड प्रिंटिंग चेक पर होनी चाहिए थी ना कि हस्तलिखित। कारोबारी इस बात का विशेष ध्यान रखें। अब हाथ से लिखे चेक किसी भी हाल में बैंक से जारी नहीं होते।
ललित अग्रवाल, समन्वयक बैंकर्स क्लब, बिलासपुर
Published on:
07 Oct 2017 11:29 am
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