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शर्माना कैसा, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना है बेहद जरूरी

Mental Health : बदलते सामाजिक परिवेश में मानिसक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं एक बड़ी चुनौती बन कर उभरी है।

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शर्माना कैसा, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना है बेहद जरूरी

शर्माना कैसा, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना है बेहद जरूरी

बिलासपुर। Mental Health : बदलते सामाजिक परिवेश में मानिसक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं एक बड़ी चुनौती बन कर उभरी है। आर्थिक रूप से संपन से लेकर दिहाड़ी कमाने वाले मजदूर तक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से प्रभावित है। जिला अस्पताल के मनोरोग विभाग में ही महीने में करीब 150 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।

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मनोरोग विशेषज्ञ.....

मनोरोग विशेषज्ञ डॉ गामिनी वर्मा बताती हैं कि यंगस्टर्स इस डर में कंसल्टेंट के पास नहीं पहुंच पा रहे हैं कि उनके ऊपर किसी तरह का ठप्पा न लग जाए। मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के भी अलग-अलग स्टेजेज हैं जिसे हम स्ट्रेस, एंग्जायटी और डिप्रेशन। हर डिप्रेशन की शुरुआत स्ट्रेस से ही होती है, स्ट्रेस(तनाव) का हल न निकलने की स्थिति में वह एंग्जायटी (चिंता) के रूप ले लेता है और यही अंतत: डिप्रेसन (अवसाद) का रूप ले लेता है। लम्बे समय तक डिप्रेसन में रहने के चलते इंसान में मानसिक विकार पैदा हो जाती है।

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एक्सपर्ट्स बताते है कि जितने भी जो मरीज अस्पताल तक पहुंचते हैं उनमें अधिकतर मरीज शहरी क्षेत्र के और मध्यम से उच्च आर्थिक वर्ग के होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए झाड़-फूंक जैसे अवैज्ञानिक तरीके इस्तमाल किए जा रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े इन्हीं मिथकों को दूर करने और समाज में जागरुकता लाने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल 'मानसिक स्वास्थ्य एक सार्वभौमिक मानव अधिकार है' की थीम के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है।

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यह है आत्महत्या के 90% केस का कारण...

डॉ अनिल यादव बताते हैं कि मानसिक परेशानी के चलते कई युवा ऐसे सामने आते हैं जिनमें सुसाइडल थॉट्स देखने को मिलते हैं। एनसीआरबी ने 2021 में भारत में आत्महत्याओं का डेटा जारी किया है। जारी डेटा के अनुसार 2021 में एक लाख 64 हजार से अधिक लोगों ने सुसाइड किया था। मनोरोग विशेषज्ञों की माने तो इन आत्महत्या के 90 प्रतिशत मामलों के लिए डिप्रेशन व एंग्जायटी को ही जिम्मेदार ठहराया गया है।

मानसिक स्वास्थ्य.....



मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढा़ने की जरूरत है। ऐसी स्थिति से जूझ रहे युवाओं को बिना संकोच साइकोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट के पास पहुंच कंसल्ट करना चाहिए। यदि परेशान व्यक्ति को समय पर जांच मिल जाए तो उसे मामूली दवाओं और फ्रेंड-फैमिली की सपोर्ट से जल्द ही ठीक किया जा सकता है।

- डॉ गामिनी वर्मा, साइकोलॉजिस्ट, जिला चिकित्सालय, बिलासपुर।