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एक्टिंग छोड़ ऑमलेट बेचने लगे थे संजय मिश्रा, पिता की मौत के बाद ऐसे बदली लाइफ

बॉलीवुड में संजय मिश्रा हिन्‍दी सिनेमा और टेलीविजन में अपने काम की वजह से जाने जाते हैं।, उनकी एक्टिंग और कॉमेडी के लाखों फैंस हैं। फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाने के लिए संजय को कई पापड़ बेलने पड़े लेकिन एक ऐसा भी समय आया जब उन्होंने खुद को अभिनय की दुनिया से दूर कर लिया था। अभिनेता ने बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुवात 1995 में फिल्म “ओह डार्लिंग ये है इंडिया” से की थी,| जिसमें उन्होंने हारमोनियम बजाने वाले की एक छोटी सी भूमिका अदा की थी, इस फिल्म में Sanjay mishra के एक्टिंग की बहुत तारीफ की गई, साथ ही सत्या और दिल से जैसी फ़िल्मों भी में काम किया।

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अभिनेता संजय मिश्रा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। फिल्म इंडस्ट्री में उनकी सफलता युवा कलाकारों को भी प्रेरित करती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लाइफ में एक समय ऐसा भी आया था, जब संजय मिश्रा ने एक्टिंग छोड़ दी थी। जानिए यह दिलचस्प वाकया किसी भी प्रोफेशन में सफलता की अनिवार्य शर्त कड़ी और इमानदार मेहनत होती है. अभिनय के क्षेत्र में भी यह सूत्र लागू होता है। इसकी मिसाल हैं, अभिनेता संजय मिश्रा. अभिनय से दूर होने के बाद संजय मिश्रा सड़क किनारे स्टॉल पर ऑमलेट और मैगी बेचने
लगे थे।

एक्टिंग की दुनिया छोड़ चुके थे संजय

अपने एक इंटरव्यू में संजय मिश्रा ने बताया कि वह कुछ साल पहले पहाड़ियों में शांत जीवन जीने के लिए उन्होंने एक्टिंग छोड़ दी थी। इस दौरान उन्होंने गंगोत्री की सड़क पर एक ढाबे पर मैगी और आमलेट बेचने का काम किया था। संजय मिश्रा ने बताया कि उन्होंने कुछ साल पहले मौत को करीब से देखा था, जिसकी वजह से उनका जीवन के प्रति दृष्टिकोण बदल गया।

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मुबंई में खराब रहने लगी थी तबीयत

उस घटना का संजय पर इतना असर पड़ा कि उन्होंने फिर कभी फिल्मों में काम नहीं करने का फैसला कर लिया था। वह कुछ दिनों के लिए ढाबे पर काम भी कर चुके हैं। हालांकि लोग उन्हें वहां भी पहचानने लगे थे। संजय ने कहा कि उनकी तबीयत बहुत खराब थी, उन्हें अपने पेट में गंभीर इंफेक्शन का पता चला था। इस वजह से उन्होंने मुंबई को छोड़ दिया।

पिता के निधन से टूट गए थे संजय

संजय ने बताया, 'मैं लगभग अपनी मृत्युशैया पर था। मैं कुछ दिनों के लिए अपने पिता के साथ रहने गया था लेकिन अचानक, उनकी मृत्यु हो गई। और उनकी मृत्यु ने मुझे पूरी तरह से तोड़ दिया।' अंतिम संस्कार करने के बाद संजय ने अपनी मां से कहा कि वह कहीं जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मौत को करीब से देख उनका मुंबई लौटने का मन नहीं कर रहा था।

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लोकप्रियता बनी मुश्किल

संजय ने आगे कहा, 'जब यही जिंदगी है तो क्यों ना ऊपर वाले की चीजों को देखा जाए। जिस दुनिया में उसने मुझे भेजा, मैं अच्छे से देखता हूं...पहाड़ों में, कहीं कुछ।' गंगोत्री जाने वाली सड़क पर संजय ने एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ सड़क किनारे ढाबे पर मैगी और आमलेट बनाने का काम किया। गोलमाल सीरीज और ऑफिस-ऑफिस से राहगीर उन्हें अभिनेता के रूप में पहचानने लगे।

रोहित शेट्टी ने बुलाया मुंबई

संजय बताते हैं कि इस मुश्किल घड़ी में उनकी मां ने उनकी हिम्मत बढ़ाई, और दाढ़ी काटने को कहा। इसके बाद एक दिन उनके पास रोहित शेट्टी के ऑफिस से फोन आया और उन्हें फिल्म 'ऑल द बेस्ट' ऑफर की गई। इस फिल्म से उन्होंने कॉमेडी में झंडे गाड़े। फिल्में अजय देवगन, संजय दत्त, फरदीन खान, बिपाशा बसु, जॉनी लीवर और मुग्धा गोडसे ने भी अभिनय किया था। तब से संजय ने कभी पीछे मड़कर नहीं देखा और आंखों देखी, मसान और दम लगा के हईशा जैसी प्रशंसनीय फिल्में कीं।


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