13 साल की उम्र करना चाहते थे आत्महत्या
पहले तो आपको बता दें कि जॉनी लीवर का असली नाम जॉन राव था। वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनका पूरा परिवार एक चॉल में रहा करता था। उनके पिता प्रकाश राव हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड नाम की कंपनी में काम किया करते थे। साथ ही उन्हें शराब पीने की बुरी लत भी थी। जिसकी वजह से उनके अधिकतर पैसे उसी में चले जाते थे। वहीं जॉनी उस दौरान महज 13 साल के थे। वह स्कूल के बाद छोटे-मोटे काम किया करते थे। ताकि वह घर खर्च में मदद कर सकेंगे।
वहीं जब जॉनी घर आते तो उनके पिता शराब पीकर मारपीट और मोहल्ले में लोगों से झगड़ा किया करते थे। यह देखते-देखते एक दिन जॉनी लिवर इतना परेशान हो गए कि उन्होंने सुसाइड करने का मन बना लिया। वह मरने के लिए एक रेलवे प्लेटफॉर्म पर जाकर लेट गए और ट्रेन के आने का इंतजार करने लगे। मौत का इंतजार कर रहे जॉनी लीवर की आंखों के सामने अचानक से उनके परिवार वालों की शक्लें सामने आनी लगी और वह तुरंत पटरी से उठे और मरने का प्लान कैंसिल कर दिया।
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पढ़ाई छोड़ बेचने लगे सड़कों पर पेन
जॉनी लीवर ने सातवीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ दी। वह बस पैसा कमाना चाहते थे। उन्होंने डांस और कॉमेडी करना शुरू कर दिया। जहां कहीं भी कोई फंक्शन होता वह वहां कॉमेडी के लिए पहुंच जाते। जिसके बदले उन्हें एक-दो रुपए मिल जाया करते थे। वहीं उस दौरान जॉनी की दोस्ती दो ऐसे लोगों से हो गई थी जो उन्हें मिमिक्री सिखाते थे। जॉनी भी उन्हें अपना गुरु मानने लगे थे। वहीं एक बार जॉनी उन लोगों के साथ कहीं जा रहे थे। तभी एक शख्स ने उन्हें रोक कर कहा कि जिनके साथ वह रह रहे हैं वह शराबी हैं। अगर वह भी उनके साथ रहेंगे।
तो वह भी वैसे ही हो जाएंगे। जब जॉनी ने पूछा कि फिर उन्हें क्या करना चाहिए तो शख्स ने कहा कि वह पेन बेचते हैं। क्या तुम पेन बेचोगे? जिसके बाद जॉनी उस शख्स के साथ तीन महीनों तक सड़कों और बसों में पेन बेचने लगे। पेन बेचते हुए जॉनी बॉलीवुड के अलग-अलग अभिनेताओं की आवाज़ निकालते। जिसे सुन ग्राहक उनके पास आते और पेन खरीदते। जॉनी का यह अंदाज लोगों को खूब पसंद आने लगा।
कैसे बने जॉनी लीवर
दरअसल, हुआ कुछ यूं कि जॉनी लिवर कुछ समय बाद अपने पिता की कंपनी हिंदुस्तान लीवर में ही काम करने लगे थे। एक बार कंपनी में एक फंक्शन रखा गया था। जिसमें जॉनी को कॉमेडी करने को कहा। इस फंक्शन में जैसे ही जॉनी स्टेज पर पहुंचे और उन्होंने हाथों मे माइक लिया। वैसे ही उन्होंने कंपनी में मौजूद सभी लोगों की मिमिक्री करना शुरू कर दिया। यह देख कंपनी के बॉस तक जोरों से ठहाके लगाने लगे और तभी से सभी उनके नाम के पीछे लीवर लगाने लगे। ऐसे जॉन रॉव से वह जॉनी लिवर बने।
ऐसे मिली पहली फिल्म
पिता की कंपनी से काम छोड़ने के बाद जॉनी लीवर अपना पूरा समय स्टैंणडअप कॉमेडी करने लगे। धीरे-धीरे उनके लिंक भी बनने लगे। कुछ समय बाद वह मशहूर सिंगर सोनू निगम के पिता संग प्रोग्राम में जाने लगे। जहां वह कॉमेडी कर लोगों को खूब हंसाते थे। वहीं एक बार एक ऐसे ही शो में एक्टर शत्रुघन सिन्हा भी पहुंच गए। जहां उन्होंने जॉनी लीवर को कॉमेडी करते हुए देखा। इस शो में जॉनी ने कई दिग्गज कलाकारों की नकल की। लेकिन शत्रुघन सिन्हा को खुद ही मिमिक्री खूब पंसद आई।
इसके बाद मशहूर अभिनेता सुनील दत्त ने जॉनी को स्टेज पर परफॉर्म करते हुए देखा और वह भी उनके दीवाने हो गए। उन दिनों सुनील दत्त एक फिल्म बना रहे थे। जिसका नाम था ‘दर्द का रिश्ता’। जिसमें उन्होंने जॉनी लीवर को भी कास्ट किया। यह फिल्म 1982 में रिलीज़ हुई थी। जहां से उनका फिल्मी करियर शुरू हुआ।