
भगवान दादा (फोटो सोर्स: अल्ट्रा)
Bhagwan Dada: भगवान दादा 1950 के दशक में बॉलीवुड का सबसे हाई पैड एक्टर थे। उस जमाने में उनकी गिनती सबसे अमीर एक्टर में होती थी। उन्होंने अपने अनोखे डांस स्टाइल, खासकर हाथों की मूवमेंट और बॉडी लैंग्वेज के लिए खूब लोकप्रियता पाई। उनकी फिल्म ‘अल्बेला’ (1951) एक सुपरहिट थी, जिसका गाना "शोला जो भड़के…" आज भी सिनेप्रेमियों के बीच जिंदा है।
भगवान दादा ने अपने करियर की शुरुआत मूक फिल्मों से की थी और धीरे-धीरे वे एक अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के रूप में स्थापित हो गए। ‘अल्बेला’ की सफलता के बाद उन्होंने मुंबई में जुहू के पास एक 25 कमरों का बड़ा बंगला और हर दिन चलने के लिए 7 लग्जरी गाड़ियां ले लीं।
बता दें भगवान दादा वहीं निर्देशक हैं जिन्होंने सेट पर शूटिंग के लिए असली नोटों की बारिश करवा दी थी।
भगवान दादा ने ‘अल्बेला’ की सफलता से प्रेरित होकर और भी कई फिल्में बनाई, लेकिन वे फ्लॉप हो गईं। प्रोडक्शन में लगातार हुए घाटों की वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा।
रिपोर्ट के मुताबिक ‘हसते रहना’ फिल्म में उन्होंने किशोर कुमार को बतौर लीड एक्टर साइन किया था लेकिन कहा जाता है किशोर कुमार बार-बार फिल्म को लेकर टिप्पणी किया करते थे। उनके नखरे बढ़ने के कारण भगवान दादा ने फिल्म की शूटिंग बीच में ही रोक दी। जिससे उन्हें बहुत बड़ा नुकसान हुआ। एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें अपना बंगला और सारी गाड़ियां बेचनी पड़ीं। क्योंकि इस फिल्म के लिए भगवान दादा ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। अब उनके पैसे इतने पैसे नहीं बचे थे। यह वजह है कि वह मुंबई का जुहू छोड़ बस्ती (चॉल) में रहने लगे थे। एक्टर-निदेशक भगवान दादा दिल का निधन (2002) दौरा पड़ने से हुआ था।
सुपरस्टार से गुमनामी तक की कहानी बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया के उस कड़वे सच को उजागर करती है, जिसमें एक सितारे की चमक कभी भी बुझ सकती है।
Published on:
05 Jun 2025 08:29 pm
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