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क्यों सरोज खान ने 13 की उम्र में 43 साल के डांसर से की थी शादी? इस्लाम कबूल कर अकेले किया बच्चों का पालनपोषण

सरोज खान (Saroj Khan) की मैरिज लाइफ रही संघर्षपूर्ण 13 की उम्र में की थी 43 साल के मास्टर से शादी सरोज खान ने अकेले की बच्चों की परवरिश

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Neha Gupta

Jan 09, 2020

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नई दिल्ली | बॉलीवुड में आजकल डांस को लेकर कई फिल्में बन रही हैं। हाल ही में फिल्म स्ट्रीट डांसर 3 डी में कमाल के डांस मूव्स देखने को मिल रहे हैं। लेकिन इन सॉंग्स में कई तरह के फॉर्म दिखाई पड़ रहे हैं जो पहले की फिल्मों से काफी अलग हैं। अगर पुराने सुपरहिट गानों पर नज़र डाले तो उसमें कोरियोग्राफर सरोज खान (Saroj Khan) कडांस मूव्स इंडस्ट्री के आइकोनिक स्टेप्स में से एक हैं। सरोज खान का बॉलीवुड में बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी में लगभग 2000 से ज्यादा गानों को कोरियोग्राफ किया है। श्रीदेवी (Sridevi) से लेकर माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) तक सभी सरोज खान के डांस स्टेप्स से ही लोगों के दिलों पर राज करती हैं लेकिन सरोज खान का करियर 50 के दशक में शुरू हो चुका था।

50 के दशक में सरोज खान (Saroj Khan) बतौर बैकग्राउंड डांसर काम करती थीं। इस दौरान ही उनके करियर की शुरूआत हो रही थी। वैसे तो सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल है। उनके पिता का नाम किशनचंद सद्धू सिंह और मां का नाम नोनी सद्धू सिंह था। सरोज खान की मैरिड लाइफ बहुत संघर्षपूर्ण रही। उन्होंने कोरियोग्राफर बी.सोहनलाल (B. Sohanlal) से ट्रेनिंग ली थी और इसी दौरान उन्हें प्यार हो गया। उस वक्त सरोज सिर्फ 13 साल की थी जबकि बी. सोहनलाल 43 साल के थे। दोनों के बीच 30 साल का फासला था। हालांकि ये फासला दोनोें के प्यार की बीच में नहीं आ पाया और उन्होंने शादी कर ली। सरोज ने इसके साथ ही इस्लाम धर्म भी कबूल किया था। सरोज सोहनलाल की दूसरी पत्नी थी और उनके चार बच्चे हुए। हालांकि बाद में एक इंटरव्यू के दौरान सरोज ने बताया था- मैं उन दिनों स्कूल में पढ़ती थी तभी एक दिन मेरे डांस मास्टर सोहनलाल ने गले में काला धागा बांध दिया था और मेरे शादी हो गई थी। उस वक्त मुझसे कई लोगों ने पूछा कि मुझ पर कोई दबाव तो नहीं है लेकिन ऐसा नहीं था। मुझे इस्लाम धर्म से प्रेरणा मिलती है।

सरोज खान (Saroj Khan) ने एक बार साझा किया था कि जब उनकी शादी हुई थी तब उन्हें नहीं पता था कि सोहनलाल पहले से शादीशुदा हैं। उन्हें इस बात की जानकारी 1963 में बेटे राजू खान के जन्म के दौरान हुई। इस दौरान ही सरोज के दूसरे बच्चे की मौत हो गई थी और दूसरी तरफ सोहनलाल ने सरोज के दोनों बच्चों को नाम देने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद दोनों दूर हो गए। सरोज खान को अपने बच्चों को परवरिश हमेशा खुद ही करनी पड़ी। हालांकि कुछ सालों बाद जब सोहनलाल को हार्ट अटैक आया तब सरोज फिर उनके पास गईं और फिर उन्होंने बेटी कुकु को जन्म दिया।