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जानिए कैसे डायलॉग के दम पर हिट हुआ था ‘महाभारत’, गजेंद्र चौहान ने बताया कैसे बना था शो

Mahabharat Show: गजेंद्र चौहान जो महाभारत में युधिष्ठिर के पात्र के चित्रण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने बताया कि कैसे 'महाभारत' के डायलॉग लिखे जाते थे।

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Gajendra Chauhan told 8 writers writing dialogues of Mahabharat show

महाभारत

Mahabharat Show: हाल ही में रिलीज हुई फिल्म आदिपुरुष के डायलॉग्स की वजह से निगेटिविटी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन उस दौर में रिलीज हुई महाभारत के मेकर्स ने बताया की कैसे शो के एक-एक डायलॉग्स का खासा ध्यान रखा जाता था। सिर्फ डायलॉग्स के लिए बीआर चोपड़ा आठ राइटर्स के साथ मिलकर मीटिंग किया करते थे।

गजेंद्र चौहान जो महाभारत में युधिष्ठिर के पात्र के चित्रण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने बताया, “हमारे समय में महाभारत की कहानी किसी एक राइटर ने नहीं लिखी। न ही डायरेक्टर या प्रोड्यूसर अकेले कोई डिसीजन ले सकता था। यह सब मिलकर साथ में चर्चा कर किसी एक पॉइंट पर आते थे। महाभारत में 8 राइटर्स थे। जो स्क्रिप्ट पर डिबेट किया करते थे।”

चोपड़ा साहब ने राही जी से पूछा कि मां पर हमने कोई रिएक्शन क्यों नहीं दिया?
गजेंद्र चौहान ने आगे बताया, “कहानी पंडित नरेंद्र शर्मा जी की थी। मासूम राही संवाद लिखा करते थे. स्टोरी में सतीश भटनागर, ये सभी दिनभर बैठकर चर्चा किए करते थे। मैं एक दिन चोपड़ा साहब में ऑफिस में पहुंचा था, जहां ये सभी राइटर्स चर्चा कर रहे थे। एक सीन पर बातचीत चल रही थी। सीन में जुए में सबकुछ हारने के बाद पांडवों की मां पर कोई रिएक्शन नहीं आया था। चोपड़ा साहब ने राही जी से पूछा कि मां पर हमने कोई रिएक्शन क्यों नहीं दिया है। मां अपने बेटों को हार गई, बहू हार गई।”

राही जी किरदार में घुस जाया करते थे
उन्होंने आगे बताया, “राही साहब का बहुत खूबसूरत जवाब था, उन्होंने कहा कि मियां मैं शाम को जब कुंती बनकर लिखने बैठूंगा, तब ही इसका जवाब दे पाऊंगा। आप ये सोचें, वो किरदार में कितना घुस जाया करते थे। उन्हें कुंती के डायलॉग लिखने के लिए कुंती बनना पड़ता था। लिखने के लिए इस कदर का डेडिकेशन हुआ करता था। बकायदा वो रातभर कुंती के डायलॉग लिखते रहें। आप देखें, कुंती का वो डायलॉग और सीन कितना शानदार हुआ है।”

एक इंटरव्यू में बातचीत करते हुए गजेंद्र चौहान ने बताया, “उस दौरान रोज कुछ न कुछ इंट्रेस्टिंग होता था। भले स्क्रीन पर पांडव और कौरव एक दूसरे के जानी दुश्मन हों लेकिन सेट पर हम सब एक साथ खाना ही खाया करते थे। सेट पर सबको एक साथ ही खाना परोसा जाता था, वहीं खाना बनाया भी करते थे। एक दोस्ताना माहौल हुआ करता था।”


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गजेंद्र चौहान ने आगे बताया, “इस शो में कोई कमी न रह जाए, इसका पूरा ख्याल प्रोड्यूसर और डायरेक्टर रखा करते थे।एक वक्त ऐसा हुआ था कि युद्ध में लड़ने के दौरान जो बख्तर बनवाए थे, वो बहुत ही हार्ड बन गया था। जिसे पहनकर हमने प्रैक्टिस की, तो पता चला वो बख्तर हमें बाजुओं और छाती पर काट रहे थे। उस वक्त 6 हजार बख्तर बनकर तैयार हो गए थे। जब चोपड़ा साहब ने देखा कि उनके आर्टिस्ट्स को परेशानी हो रही है, तो उन्होंने उन सभी बख्तर को हटवा दिया और दोबारा से बनवाया था।”