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मौत से जुड़ा है कादर खान का सबसे पसंदीदा डायलॉग, पूरा डायलॉग पढ़कर रह जाएंगे सन्न!

उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। उनका बचपन कठिनाईयों से भरा था।

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kader khan

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नए साल के पहले दिन सुबह जो सबसे बुरी खबर जो आई, वह अभिनेता कादर खान की मौत की खबर। इस खबर से बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई। बता दें कि कादर खान ना सिर्फ महान एक्टर थे बल्कि एक बेहतरीन डायलॉग राइटर भी थे। 81 साल की उम्र में उन्होंने कानाडा के टोरंटो स्थित अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया।

उनका बचपन कठिनाईयों से भरा था। बता दें कि कादर खान का जन्म काबुल में हुआ था। पिछले कुछ सालों से वह कनाड़ा में अपने बेटे सरफराज के साथ रह रहे थे। कादर खान ने बॉलीवुड फिल्मों में एक से बढ़करा एक सुपरहिट डायलॉग्स लिखे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनका सबसे पसंदीदा डायलॉग कौन सा था।

ये था कादर खान का सबसे पसंदीदा डायलॉग:
एक इंटरव्यू में जब उनसे उनकी सबसे पसंदीदा लाइंस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बिना किसी नोट के अपनी भारी आवाज में अपनी सबसे पसंदीदा लाइंस सुनाई। यह डायलॉग फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' से है। उन्होंने बताया कि 'मैं एक भिखारी के किरदार में था और मैं एक कब्रिस्तान में जाता हूं, जहां देखता हूं कि एक छोटा सा बच्चा (अमिताभ बच्चन) एक कब्र के पास बैठा रो रहा है।

डायलॉग:
'किसकी कब्र पर बैठे हो बच्चों, हमारी मां मर गई है, उठो, आओ मेरे साथ चारों तरफ देखो। यहां भी कोई किसी की बहन है, कोई किसी का भाई है, कोई किसी की मां है। इस शहर ए खामोशियों में, इस खामोश शहर में, इस मिटटी के ढेर के नीचे, सब दबे पड़े हैं। मौत से किसको रास्तागारी है? मौत से कौन बच सकता है? आज उनकी तो कल हमारी बारी है। पर मेरी एक बात याद रखना, इस फकीर की बात ध्यान रखना ये जिन्दगी में बहुत काम आएगी कि अगर सुख में मुस्कुराते हो तो दुःख में कहकहा लगाओ। क्योंकि जिन्दा हैं वो लोग जो मौत से टकराते हैं, पर मुर्दों से बद्तर हैं वो लोग जो मौत से घबराते हैं। सुख तो बेवफा है चंद दिनों के लिए है, तवायफ की तरह आता है दुनिया को बहलाता है, दिल को बहलाता है और चला जाता है। मगर दुःख तो हमेशा साथी है। एक बार आता है तो कभी लौट कर नहीं जाता है। इसलिए सुख को ठोकर मार, दुःख को गले लगा, तकदीर तेरे कदमों में होगी और तू मुकद्दर का बादशाह होगा।'