राज कपूर ने दिया था रीमेक का प्रस्ताव
करीब 220 फिल्मों, पद्मश्री, तीन नेशनल और 19 फिल्मफेअर अवार्ड्स से लैस कमल हासन का फिल्मी सफर दक्षिण में बुलंदी पर रहा। अफसोस की बात है कि उत्तर भारत में उनकी ज्यादा पूछ-परख नहीं हुई। यह तथ्य भी अजीब है कि भूगोल के हिसाब से किसी समर्थ अभिनेता की लोकप्रियता के पैमाने बदल जाते हैं। दक्षिण में सौ से ज्यादा फिल्मों के बाद हिन्दी सिनेमा में ‘एक दूजे के लिए’ (1981) से कमल हासन ने धमाकेदार शुरुआत जरूर की, लेकिन यहां उनकी धमक ज्यादा देर कायम नहीं रही। उनकी और श्रीदेवी की तमिल फिल्म ‘मुंडरम पिरई’ के रीमेक ‘सदमा’ (1983) में लाजवाब अदाकारी के बावजूद हिन्दी सिनेमा ने कमल हासन की प्रतिभा को नजरअंदाज किया। तमिल की ‘स्वाथि मध्यम’ में उनकी अदाकारी से प्रभावित होकर राज कपूर ने उन्हें इस फिल्म के हिन्दी रीमेक का प्रस्ताव दिया था, लेकिन दक्षिण की व्यस्तताओं के कारण वे इस पर ध्यान नहीं दे पाए। बाद में के. विश्वनाथ ने अनिल कपूर और विजय शांति को लेकर इसे ‘ईश्वर’ नाम से बनाया।
हिन्दी में बनीं तमिल फिल्में
कमल हासन की कुछ और तमिल फिल्में हिन्दी में दूसरे कलाकारों के साथ बन चुकी हैं। मसलन ‘नायकन’ (यह हॉलीवुड की ‘गॉडफादर’ से प्रेरित थी) को फिरोज खान ( Frioz Khan ) ने ‘दयावान’ नाम से बनाया। इसमें वह किरदार विनोद खन्ना ( Vinod Khanna ) ने अदा किया, जो मूल फिल्म में कमल हासन ने अदा किया था। इसी तरह ‘थेवर मगन’ के हिन्दी रीमेक ‘विरासत’ में वे किरदार अनिल कपूर ( Anil Kapoor ) और अमरीश पुरी ( Amrish Puri ) ने अदा किए, जो मूल फिल्म में कमल हासन और शिवाजी गणेशन ने अदा किए थे। ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ का तमिल रीमेक ‘वसूल राजा एमबीबीएस’ कमल हासन की उल्लेखनीय फिल्मों में गिना जाता है।
अमिताभ के साथ ‘खबरदार’ नहीं बन पाई
रमेश सिप्पी की ‘सागर’ में कमल हासन की अदाकारी की तारीफ हुई, लेकिन फिल्म की कारोबारी नाकामी के कारण उन्हें फायदा नहीं हुआ। ‘सागर’ से पहले अमिताभ बच्चन और उन्हें लेकर ‘खबरदार’ शुरू की गई थी। डॉक्टर और मनोरोगी के रिश्तों वाली यह फिल्म कुछ रीलों के बाद बंद कर दी गई। उनकी तमिल फिल्म ‘मगलीर मत्तुम’ को हिन्दी में ‘लेडीज ओनली’ नाम से बनाया गया। इसमें उनके साथ रणधीर कपूर, शिल्पा शिरोडकर, सीमा बिस्वास और हीरा राजगोपाल के अहम किरदार थे। जाने क्या हुआ कि नब्बे के दशक की यह फिल्म सिनेमाघरों में नहीं पहुंच सकी।
कई साल से दक्षिण तक सीमित
बगैर संवाद वाली ‘पुष्पक’ को भी कमल हासन की अदाकारी के लिए याद किया जाता है। ‘सनम तेरी कसम’ (1982) को छोड़ उनकी ज्यादातर हिन्दी फिल्में घाटे का सौदा साबित हुईं। इनमें ‘जरा-सी जिंदगी’, ‘ये तो कमाल हो गया’, ‘ये देश’, ‘एक नई पहेली’, ‘राजतिलक’, ‘यादगार’, ‘करिश्मा’ आदि शामिल हैं। हिन्दी सिनेमा में अपनी उपेक्षा के कारण कमल हासन ने कई साल से खुद को दक्षिण की फिल्मों तक सीमित कर रखा है। इन दिनों वे तमिल फिल्म ‘इंडियन’ (1996) के सीक्वल ‘इंडियन 2’ में व्यस्त हैं। इसे हिन्दी में भी डब किया जाएगा।