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मौलवियों की बातों में आकर Mohammad Rafi ने छोड़ दिया था गाना, बेटे की इस बात पर हुए थे राजी

रफी साहब ने मौलवियों के कहने पर छोड़ दिया था गाना बड़े बेटे के लाख समझाने के बाद हुए थे राजी

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Mohmmad Rafi Birth Anniversary

नई दिल्ली: भारतीय सिनेमा को एक से बढ़कर एक नगमे देने वाले गायक मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर के कोटला सुल्तानपुर गांव में हुआ था। रफी साहब की आवाज में हिंदुस्तान का दिल धड़कता है। रफी साहब के गांव में एक सूफी फकीर आया करता था। उस फकीर का गाना सुनते-सुनते रफी साहब दूर तक उनके पीछे चले जाया करते थे। फकीर के गाने सुनकर ही उन्हें गाने की प्रेरणा मिली। रफी साहब को फिल्मों में गाने का पहला मौका पंजाबी फिल्म गुल बलोच में मिला था।

उसके बाद उन्होंने हिंदी फिल्म गांव की गोरी में गाने का अवसर मिला। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक हिट गाने दिए। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब रफी साहब ने मौलवियों के कहने पर गाना छोड़ दिया था।

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मोहम्मद रफी के बेटे शाहिद ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था। शाहिद ने बताया, '1970 के दशक में उनके पिता हज करने के लिए गए थे। वह खुदा पर काफी यकीन करते थे। मक्का से जब वह लौटे तो कुछ लोगों ने उनसे कहा कि आप ये क्या कर रहे हैं? यह हमारे मजहब के खिलाफ है। अब आप हाजी हो गए हैं। ऐसे में आपको गाना-बजाना बंद कर देना चाहिए।' लोगों की बातों में आकर रफी साहब ने गाना छोड़ दिया। इतना ही नहीं, वह लंदन में जाकर बस गए। जिसके बाद उनके बड़े बेटे ने उन्हें समझाया।

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उनके बेटे से उनसे कहा था कि खुदा ने आपको ये आवाज बख्शी है। इसलिए आपको वापस आना होगा। आप कुछ महीने बैठे रह सकते हैं लेकिन उसके बाद क्या करेंगे। आपका गला ही परिवार के रोजगार का जरिया है। अगर गाना बंद कर दिया तो घर कैसे चलेगा। बेटे के काफी समझाने के बाद आखिरकार रफी साहब मान गए थे। उसके बाद उन्होंने फिर से गाना शुरू कर दिया। अपनी दूसरी पारी में भी रफी साहब ने सुपरहिट गाने दिए। 31 जुलाई 1980 को रमजान के महीने में रफी साहब ने दुनिया को अलविदा कह दिया।