
Mohammed Zahur Khayyam
दिग्गज संगीतकार मोहम्मद जहुर खय्याम हाश्मी का 92 साल की उम्र में 19 अगस्त को निधन हो गया है। खय्याम 28 जुलाई को अपनी आर्मचेयर से गिर गए थे और इसके बाद से ही अस्पताल में भर्ती थे। पद्मभूषण से सम्मानित खय्याम के अस्पताल में भर्ती होने के 4 दिन बाद ही उनकी पत्नी जगदीप कौर को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था क्योंकि उनका ब्लड शुगर काफी लो हो गया था। दोनों ही जुहू स्थित अस्पताल के आईसीयू यूनीट में भर्ती रहे और कुछ दिन बाद उनकी पत्नी को डिस्चार्ज कर दिया गया है। हालांकि, डिस्जार्च होने के बाद भी जगदीप दिमाग संतुलित नहीं है। वे लगातार खय्याम साहब की चिंता कर रही हैं।
पहली बार ओवरब्रिज पर मिले थे खय्याम और जगदीप
खय्याम साहब और उनकी पत्नी जगदीप कौर की लव स्टोरी काफी दिलचस्प रही है। उनकी पहली मुलाकात साल 1954 में रेलवे स्टेशन के एक ओवरब्रिज पर हुई थी। इन दोनों की प्रेम कहानी खय्याम साहब के फना होने तक बदस्तूर जारी रही। खय्याम साहब के प्रति अपने प्रेम के बारे में बात करते हुए जगदीप कौर ने कहा था कि आखिर कैसे कोई शाम-ए-गम की कसम गाना सुनकर उनके प्यार में ना पड़ जाए?
कौर ने परिवार के खिलाफ जाकर की थी खय्याम साहब से शादी
जगदीप कौर पंजाब के एक रसूखदार परिवार में जन्मी और वह बॉलीवुड में प्लेबैक सिंगर बनने मुंबई आई थीं। मुंबई आने के बाद दादर रेलवे स्टेशन के ओवरब्रिज पर उन्हें लगा कि उनका कोई पीछा कर रहा है, वे सर्तक हो गई और अलार्म बजाने ही वाली थी कि तभी वो शख्स उनके पास आया और म्यूजिक कंपोजर के तौर पर अपना परिचय दिया। यह बात 1954 की है। यहीं से जगदीप कौर और खय्याम साहब की बीच दोस्ती की शुरुआत हुई और दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदली और दोनों ने शादी कर ली। हालांकि, जदगीप को कौर का परिवार इस शादी के खिलाफ था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने खय्याम साहब से शादी रचाई और इसे बॉलीवुड की पहली इंटरकास्ट मैरिज भी माना जाता है।
कभी अपने सिंगर्स से नाराज नहीं होते थे खय्याम साहब
शादी के बाद जगदीप कौर ने कई फिल्मों के लिए गाने भी गाए हैं। उन्होंने उमराव जान के लिए भी अपनी आवाज दी थी। जगदीप ने एक इंटरव्यू में कहा था कि खय्याम साहब भले ही प्रोड्यूसर्स से नाराज हो जाएं, लेकिन सिंगर्स से कभी नाराज नहीं होते थे। गौरतलब है कि खय्याम साहब ने कई दिग्गज सिंगर्स के साथ भी काम किया है।
पद्मभूषण से नवाजे गए थे ख्य्याम साहब
दिग्गज संगीतकार मोहम्मद जहुर खय्याम हाश्मी को अपने शानदार काम के लिए उन्हें कई सारे अवॉर्ड भी मिले थे। उन्हें साल 2007 में संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड और साल साल 2011 में पद्म भूषण जैसे सम्मानों से नवाजा गया। 'कभी-कभी' और 'उमराव जान' के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड और 'उमराव जान' के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला। खय्याम साहब ने साल 1953 में फुटपाथ फिल्म से उन्होंने अपने बॉलीवुड कॅरियर की शुरुआत की थी। साल 1961 में आई फिल्म 'शोला और शबनम' में संगीत देकर खय्याम साहब को पहचान मिलनी शुरू हुई। 'आखिरी खत', 'कभी-कभी', 'त्रिशूल', 'नूरी', 'बाजार', 'उमराव जान' और 'यात्रा' जैसी फिल्मों में धुनें दीं।
Updated on:
20 Aug 2019 11:45 am
Published on:
20 Aug 2019 11:39 am
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