29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मदर्स डे: मां की बेशकीमती सीख ने इस बॉलीवुड स्टार्स को दिलाई सफलता, बदला दुनिया को देखना नजरिया

पत्रिका एंटरटेनमेंट से बातचीत में कुछ बॉलीवुड स्टार्स ने अपनी मां के लिए अपने विचारों और उस बेशकीमती सबक के बारे में बताया जो उन्होंने उनसे सीखा है।

3 min read
Google source verification
Richa chaddha

Richa chaddha

आज देश में मदर्स डे मनाया जा रहा है। मां, भगवान की ओर से इंसान को दिया गया सबसे बेशकीमती तोहफा है। बहुत से लोग अपनी मां के लिए अपना प्यार जाहिर करने के लिए दिल खोलकर बातें बताते हैं। बॉलीवुड की हस्तियाँ भी इससे दूर नहीं हैं। पत्रिका एंटरटेनमेंट से बातचीत में कुछ बॉलीवुड स्टार्स ने अपनी मां के लिए अपने विचारों और उस बेशकीमती सबक के बारे में बताया जो उन्होंने उनसे सीखा है।


ऋचा चड्ढा
मेरी मां ने मुझे सच्चाई और दयावान होने की अहमियत सिखाई है। उनमें गजब की सहनशक्ति है और अटूट विश्वास है। वे बहुत आशावादी हैं। वे भी सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी शख्सियत हैं, जिन्हें मैं जानती हूं। मुझे लगता है कि मैंने मां से इन सब चीजों मे से थोड़ा-थोड़ा सिखा है।

अली फज़ल
मैंने सीखा कि अपने साधनों के हिसाब से खर्च कैसे करना है। उसने मुझे इस दुनिया में साधनों के साथ और उनके बिना जीना सिखाया है। मैं अपनी मां जैसे किसी और इंसान को नहीं जानता। सहनशील और इस हद तक ज़िद्दी कि उन्होंने वक़्त के इम्तिहान के सामने घुटने टेकने के बजाय प्यार, इज्जत और गर्व के साथ अपनी सारी जिंदगी गुजार दी। आज मेरे पास जो कुछ भी है वह सब उनका ही दिया हुआ है। और मेरा जो कुछ भी है उनका है।

श्वेता त्रिपाठी
मेरी मां के कारण ही डिजाइन में मुझे दिलचस्पी हुई। संगीत, नृत्य और किसी भी रचनात्मक काम में। उन्होंने मुझे एक अलग नजरिए से दुनिया को देखना सिखाया। उन्होंने मुझे हमेशा वही करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे मुझे ख़ुशी मिले और मैं सीखते हुए बड़ी होती रहूं। वे एक टीचर के तौर पर रिटायर हुईं और रिटायर होने के बाद, उन्होंने पेंटिंग करना सीखना शुरू कर दिया है। हर बार वे मुझे अपनी नई पेंटिंग भेजती हैं, मुझे बहुत खुशी होती है।

पंकज त्रिपाठी
एक बात जो मैंने अपनी मां से सीखी है जिसने मुझे अपने व्यक्तित्व को संवारने में मदद की है, वो यह है कि सच्चाई, ईमानदारी और कड़ी मेहनत के बदले दूसरा कोई रास्ता नहीं है। दूसरी बात, जो उन्होंने मुझे सिखाई वो है कि अपनी थाली में अन्न का एक भी दाना मत छोड़ो, खाना बर्बाद मत करो और जो कुछ भी तुम्हें परोसा गया है, उसे पूरा खाओ। अपने ज़िंदगी के इस पड़ाव पर भी मैं अभी भी उनकी सीखों का अनुसरण कर रही हूं और आगे भी करती रहूंगी। मैं केवल सच्चाई, ईमानदारी और कड़ी मेहनत में विश्वास करती हूं। प्लेट में एक भी दाना नहीं छोड़ने का कारण यह है कि हम किसानों के परिवार से हैं।

हम जानते हैं कि चावल के एक दाने को उगाने और उसी दाने को खेत से घर तक लाने में कितनी मेहनत और कोशिश की ज़रूरत होती है। किसान होने के नाते हम जानते हैं कि अन्न के दाने की अहमियत और कीमत क्या होती है। यह एक कारण है जिसकी वजह से उन्होंने हमें भोजन की और उसे बर्बाद नहीं करने की क़ीमत सिखाई ।