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MS Dhoni Retirement: संन्यास के बाद रख सकते हैं फिल्मों में कदम

क्रिकेटर्स और फिल्मों का रिश्ता काफी पुराना है। सुनील गावस्कर (मालामाल) और कपिल देव (इकबाल) से लेकर अजय जडेजा (खेल) तक कई क्रिकेटर्स फिल्मों में नजर आ चुके हैं। धोनी चौंकाने में माहिर हैं। मैदान में बतौर कप्तान वे अपने फैसले से चौंकाते थे। आजादी की सालगिरह पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से आजाद होकर चौंकाया। मुमकिन है, कल वे फिल्मों में पारी की शुरुआत का ऐलान कर सभी को चौंका दें।

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संन्यास के बाद रख सकते हैं फिल्मों में कदम, धोनी का सिनेमा कनेक्शन

संन्यास के बाद रख सकते हैं फिल्मों में कदम, धोनी का सिनेमा कनेक्शन

-दिनेश ठाकुर
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेते वक्त शायद महेंद्र सिंह धोनी के जेहन में अंग्रेजी के कवि एलेक्जेंडर पॉप की यह कविता रही होगी- 'आहिस्ता से विदा हो लो/ इससे पहले कि प्रफुल्ल उम्र/ हंसने पर आ जाए/ और तुम्हें मंच से परे कर दे।' अब 38 साल के धोनी क्या फिल्मों में पारी शुरू करेंगे? खुद धोनी ने फिलहाल इस बारे में कोई खुलासा नहीं किया है, लेकिन उनके फिल्मों में सक्रिय होने की अटकलें उनकी बायोपिक 'एम.एस. धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी' (2016) के समय से चल रही हैं। इस फिल्म में उनका किरदार अदा करने वाले सुशांत सिंह राजपूत से उनकी खास दोस्ती थी। किसी क्रिकेटर पर बनी यह पहली बायोपिक है, जिसने 125 करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार किया। जॉन अब्राहम से भी धोनी की गहरी दोस्ती है। याद आता है कि दस साल पहले निर्देशक डेविड धवन ने जॉन अब्राहम को लेकर क्रिकेट की पृष्ठभूमि पर 'हुक या क्रुक' नाम की फिल्म शुरू की थी। इसमें धोनी का भी छोटा-सा किरदार था। निर्माता कंपनी से तनातनी के कारण यह फिल्म 90 फीसदी पूरी होने के बाद अटक गई। अगर यह सिनेमाघरों में पहुंचती तो धोनी की अदाकारी वाली पहली फिल्म होती। वैसे धोनी की अदाकारी से लोग टीवी पर कई विज्ञापनों में रू-ब-रू हो चुके हैं। इनमें कहीं वे 'कइसन बात' के साथ भोजपुरी के रंग बिखेरते हैं तो कहीं फर्राटेदार अंग्रेजी में देसी जेंटलमैन नजर आते हैं। उन्हें भारत का सबसे कामयाब स्पोट्र्स ब्रांड माना जाता है। धोनी का आत्म विश्वास उनकी सबसे बड़ी ताकत है, जिसके दम पर वे इतने लम्बे समय तक भारतीय क्रिकेट पर ध्रुव तारे की तरह छाए रहे।

महेंद्र सिंह धोनी फिल्म-प्रेमी हैं। फिल्में देखने के साथ-साथ वे पार्टियों में अपने पसंदीदा फिल्मी गीत गाते रहे हैं। दो गीत उन्हें ज्यादा प्रिय हैं। एक तो वही, जिसका जिक्र उन्होंने संन्यास के ऐलान के वक्त किया- 'मैं पल दो पल का शायर हूं' (कभी कभी)। दूसरा विनोद खन्ना की 'जुर्म' का 'जब कोई बात बिगड़ जाए।' जब वे मैदान में बल्ले का जादू दिखाया करते थे तो उनके करोड़ों चाहने वालों पर 'कभी अलविदा न कहना' या 'अभी न जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं' का भाव छाया रहता था। दरअसल, धोनी उस मध्यम वर्ग की नुमाइंदगी करते हैं, जिसकी उम्र बड़े सपने देखते-देखते गुजर जाती है। धोनी की कामयाबी में उसे अपने सपने साकार होते लगतेे हैं। बहरहाल, पिछले साल खबर आई थी कि धोनी निर्माता की हैसियत से फिल्म इंडस्ट्री से संभावनाएं टटोल रहे हैं। एक खबर यह भी थी कि 'यमला पगला दीवाना' के निर्देशक समीर कार्णिक की 'डॉगहाउस' में छोटे-से किरदार से वे फिल्मों में कदम रख सकते हैं। इस फिल्म के तीन अहम किरदारों में से एक संजय दत्त निभाने वाले हैं।

क्रिकेटर्स और फिल्मों का रिश्ता काफी पुराना है। सुनील गावस्कर (मालामाल) और कपिल देव (इकबाल) से लेकर अजय जडेजा (खेल) तक कई क्रिकेटर्स फिल्मों में नजर आ चुके हैं। धोनी चौंकाने में माहिर हैं। मैदान में बतौर कप्तान वे अपने फैसले से चौंकाते थे। आजादी की सालगिरह पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से आजाद होकर चौंकाया। मुमकिन है, कल वे फिल्मों में पारी की शुरुआत का ऐलान कर सभी को चौंका दें।