फिल्म की कहानी शुरू होती है कानपुर में रहने वाले चिंटू त्यागी (कार्तिक आर्यन) से। चिंटू बचपन से अपने पिता के सख्त अनुशासन में पढ़-लिखकर इंजीनियर बन जाता है। सरकारी नौकरी भी लगा जाती है और पिता के कहने पर वेदिका (भूमि पेडणेकर) से शादी कर लेता है। शादी के कुछ समय बाद कहानी में अचानक ट्विस्ट आता है। चिंटू त्यागी की ऑफिस में एक खूबसूरत लड़की तपस्या आती है। इसके बाद तो मानो चिंटू त्यागी पगला ही जाते हैं। चिंटू के दिल में उस लड़की के लिए रोमांस की चिंगारी जलने लगती है। दोनों की दोस्ती भी हो जाती है। फिर तपस्या को पता चलता है कि चिंटू त्यागी शादीशुदा हैं। लेकिन चिंटू भाई अपनी चालाकी से शादी की लंबी-चौड़ी कहानी का पिटारा खोल देते हैं और सिचुएशन को संभाल लेते हैं। चिंटू तपस्या को यह बताते हैं उनकी बीवी का एक्सट्रा मैरिटल अफेयर है। फिर चिंटू त्यागी की वॉट लगना शुरू हो जाती है और फिर होता है जमकर हंगामा और जोरदार ड्रामा। पति-पत्नी और वो एक मनोरंजक फिल्म है, जिसे आप परिवार के साथ देख सकते हैं। जहां हर इंसान कहीं ना कहीं मन में दबी-छुपी भावनाओं का ग्लैमर का गुलाम बनकर अपनी नैतिकता भुला देता है।
पानीपत की कहानी इतिहास के पन्नों को दर्शाती दिखाई देती है। जहां सदाशिवराव भाऊ (अर्जुन कपूर) अपने कजिन नानासाहब पेशवा (मोहनीश बहल) की मराठा आर्मी का कमांडर होता है। निजाम ऑफ उदगीर को हराने के बाद सदाशिवराव का चुनाव मराठा सेना के प्रमुख के रूप में किया जाता है जो दिल्ली में अहमद शाह अब्दाली (संजय दत्त) के खिलाफ लड़ने के लिए अपनी सेना तैयार करते हैं। वहीं, अहमद शाह अब्दाली को जब ये बात पता चलती है तो वे नजबी-उद्-दौला के साथ मिलकर मराठाओं के खिलाफ युद्ध के मैदान में उतर जाते हैं। जिससे जीत हासिल करने के बाद वे अपनी पावर को बढ़ा सकें। फिल्म में आपको साथ-साथ सदाशिवराव और पार्वती बाई की प्रेम कहानी भी देखने को मिलेगी। जो आपको बांधे रखेगी। दोनों की ही केमिस्ट्री काफी दिलचस्प दिखाई गई है। हालांकि, कई जगहों पर आपको फिल्म जरूरत से ज्यादा खींची गई भी दिखाई देगी।