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पुलिस की नौकरी छोड़कर स्टार बनने वाले राज कुमार क्यों चाहते थे कि उनका अंतिम संस्कार गुमनामी में हो?

राजकुमार ने मरने से पहले ही सबको यह सख्त हिदायत दी थी कि उनके अंतिम संस्कार में फिल्म इंडस्ट्री का या मीडिया से कोई शामिल न हो। उनका मानना था कि लोग शमशान यात्रा को तमाशा बना देते हैं।

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अपने डायलॉग, अंदाज से बॉलीवुड में अगल पहचान बनाने वाले अभिनेता राजकुमार कहने को अब राजकुमार हमारे बीच नहीं है। 3 जुलाई, 1996 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था। वो अपने जमाने के दमदार अभिनेताओं में गिने जाते थे। राजकुमार को लेकर कई किस्से बी-टाउन में आज भी सुनाए जाते हैं। राजकुमार की शख्सियत ही ऐसी थी कि जो उनसे एक बार मिल लेता उनका मुरीद हो जाता। बॉलीवुड का ये दिवंगत अभिनेता जितना परदे पर अपनी संवाद अदायगी के लिए मशहूर था, उतना ही निजी जीवन में अपनी बेबाकी के लिए पहचाना जाता था।

जी हां, राजकुमार अपने जमाने में इंडस्ट्री के सबसे मुंहफट शख्सियतों में से एक थे। उनके जो दिल में आता था, बेबाक बोल देते थे। किसी को उनकी बात अच्छी लगी या बुरी, इससे उन्हें कोई वास्ता नहीं रहता था। जैसा कि आप जानते हैं कि कोई भी स्टार जब इस दुनिया से जाता है, तो उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का मजमा लग जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजकुमार के अंतिम संस्कार में कोई बॉलीवुड सेलेब शामिल नहीं हुआ था। इसकी वजह थी एक्टर की इच्छा। साथ ही उन्होंने इसके पीछे की वजह भी बताई थी।

उनकी मशहूर फिल्म, ‘तिरंगा’ के निर्देशक मेहुल कुमार ने इसके पीछे की वजह बताई थी। दरअसल राज कुमार ने ही मेहुल कुमार को बताया था कि उनकी अंतिम यात्रा में कोई शामिल नहीं होगा। वो नहीं चाहते कि उनका अंतिम संस्कार एक मजाक बनकर रह जाए। हुआ ये था कि राज कुमार मेहुल कुमार की फिल्म, ‘मरते दम तक’ में अपनी मौत का सीन फिल्मा रहे थे।

एक इंटरव्यू में मेहुल कुमार ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था, ‘उनकी शमशान यात्रा जब निकली और उन्हें गाड़ी में सुलाया गया। मैंने जब एक फूल माला उन्हें अपने हाथों से पहनाया तो मुझसे वो कहते हैं कि जानी अभी पहना लो हार, जब जाएंगे तो आपको पता भी नहीं चलेगा कि हम कब गए। उस समय तो मैंने कुछ ज्यादा रिएक्ट नहीं किया लेकिन शूटिंग खत्म हुई तो रात को मैंने उनसे पूछा था कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा।’

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जिस पर राज कुमार (Raj Kumar) कहते हैं कि जानी तुमको मालूम नहीं, श्मशान यात्रा को लोग तमाशा बना देते हैं। सब साफ-सुथरे सफेद कपड़े पहनकर आते हैं। मीडिया वाले भी पहुंचते हैं और मर चुके इंसान को सम्मान देने की जगह उनका मजाक बनाते हैं। साथ ही श्मशान यात्रा निकालकर तमाशा भी बनाया जाता है। जिसके बाद उन्होंने कहा कि उनकी मौत उनका पारिवारिक मामला है। ऐसे में उनके अंतिम संस्कार में परिवारवालों के अलावा कोई भी नहीं होगा। बता दें कि इन सब बातों का खुलासा मेहुल ने खुद एक इंटरव्यू के दौरान किया था।

बता दें राज कुमार पढ़ाई के बाद पुलिस में भर्ती हो गए। वे मुंबई के माहिम थाने में सब इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात थे। पर उनकी रौबीली आवाज को देखकर कई लोग उन्हें फिल्मों में काम करने की सलाह देते थे. राज कुमार भी इस बात पर गौर करने लगे और एक दिन वह पुलिस की नौकरी छोड़कर फिल्मों का हिस्सा बनने चल पड़े। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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