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‘सलाम नमस्ते’ के 15 वर्ष: सिद्धार्थ आनंद ने बताया क्यों बनाई थी लिव इन पर फिल्म

सिद्धार्थ ने कहा,'मुझे लगता है कि 'सलाम नमस्ते' एक ऐसे मुद्दे को उठा रही थी जो टैबू समझा जाता था,लेकिन यह भारत के अंदर या विदेशों में बसे भारतीय समाज में बेहद प्रचलित था। भले ही यह अपने वक्त से आगे की फिल्म जान पड़ती थी, लेकिन बात यह है कि फिल्म के अंदर जानबूझकर कोई लज्जाजनक या चौंका देने वाला काम नहीं किया गया।

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'सलाम नमस्ते' के 15 वर्ष: सिद्धार्थ आनंद ने बताया क्यों बनाई थी लिव इन पर फिल्म

'सलाम नमस्ते' के 15 वर्ष: सिद्धार्थ आनंद ने बताया क्यों बनाई थी लिव इन पर फिल्म

फिल्म 'सलाम नमस्ते' के 15 वर्ष पूरे होने पर फिल्म-मेकर सिद्धार्थ आनंद ने खुलासा किया कि उन्होंने इस अपरंपरागत रोमांस वाली फिल्म को डायरेक्ट करना क्यों चुना। सिद्धार्थ ने कहा,'मुझे लगता है कि 'सलाम नमस्ते' एक ऐसे मुद्दे को उठा रही थी जो टैबू समझा जाता था,लेकिन यह भारत के अंदर या विदेशों में बसे भारतीय समाज में बेहद प्रचलित था। भले ही यह अपने वक्त से आगे की फिल्म जान पड़ती थी, लेकिन बात यह है कि फिल्म के अंदर जानबूझकर कोई लज्जाजनक या चौंका देने वाला काम नहीं किया गया। न ही कुछ अजीब करने की कोशिश भी नहीं हुई थी। जब फिल्म रिलीज हो रही थी और हमने इसमें दिखाए गए लिव-इन रिलेशनशिप को प्रचारित करना शुरू किया, तो मुझे महसूस हुआ कि हम कुछ बिल्कुल नया करने जा रहे हैं!'

उन्होंने आगे बताया,'मैंने कुछ अलग या नया करने की एकदम कोई कोशिश नहीं की थी। ये बिल्कुल इस तरह से था कि ठीक है, वे भाड़ा शेयर कर रहे हैं और अब एक दूसरे से घुलने-मिलने लगे हैं, इसलिए दो कमरों से एक ही कमरे में रहने जा रहे हैं। यही लिव इन है। इसमें लज्जाजनक या चौंका देने वाली कोई बात ही नहीं थी। मैं इसी तरह की कोई नई और बेपरवाह किस्म की चीज दिखाना चाहता था। सिद्धार्थ ने यशराज फिल्म्स के साथ भी 19 साल भी पूरे कर लिए हैं। वह कहते हैं, 'सलाम नमस्ते के साथ एक डायरेक्टर के रूप में मेरी यात्रा के 15 साल मुकम्मल हो गए! वाईआरएफ के साथ मेरा सफर इससे थोड़ा लंबा रहा है। मैंने वाईआरएफ के साथ 2001 में काम करना शुरू किया था। बतौर एक असिस्टेंट मुझसे जिस बराबरी का व्यवहार किया गया, उसे देख कर मैं हक्का-बक्का रह गया था। मैं असिस्टेंट था और हमें कुछ इस तरह से बराबरी का दर्जा दिया जाता था कि शनिवार को आदित्य हमें अक्सर लंच पर ले जाया करते थे। मेरा मतलब है कि हम महज असिस्टेंट थे और आदि को इंडियन सिनेमा के गॉड की नजर से देखते थे, जिन्होंने सबसे बड़ी इंडियन ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाई थीं और वे हमारे प्रेरणास्रोत थे!'