लॉकडाउन में की थी प्रवासी मजदूरों की मदद
सोनू ने लॉकडाउन के दौरान हजारों लोगों की मदद की थी। वह लगातार दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों ( Migrant Workers ) की मदद कर रहे थे ताकि वे अपने घरों तक पहुंच सकें। साथ ही सोनू ने मजदूरों के अलावा कई अन्य लोगों को फेस शील्ड, खाना, मोबाइल फोन और अन्य चीजों से मदद की।
दिसंबर में रिलीज होगी सोनू की आत्मकथा
कुछ दिनों पहले सोनू ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर घोषणा की थी कि वह अपनी आत्मकथा प्रकाशित करने जा रहे हैं, जिसका नाम ‘मैं मसीहा नहीं हूं’ है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी आत्मकथा का कवर पेज भी शेयर किया था। बता दें कि उनकी आत्मकथा को मीरा अय्यर ने लिखा है। इसकी भाषा ऐसी होगी जिससे पढ़ने वाले को लगेगा कि सोनू खुद बात कर रहे हैं। यह किताब फैंस के लिए दिसंबर में उपलब्ध होगी। हिन्दी और अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाली इस किताब में सोनू की जिंदगी के अनुभवों के साथ प्रवासी श्रमिकों का भी विस्तार से जिक्र होगा।
आत्मकथा में प्रवासियों की व्यथा
गौरतलब है कि अपनी आत्मकथा की घोषणा सोनू ने कुछ माह पहले ही कर दी थी। उस समय बताया गया था कि सोनू की आत्मकथा में प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने से जुड़े अनुभव, इस दौरान सीखी जिंदगी की सीख और लॉकडाउन के दर्द को शामिल किया जाएगा।