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कश्मीर फाइल्स के बाद गिरिजा टिक्कू की भतीजी ने याद दिलाई वो रूह कँपाने वाली घटना

locationनई दिल्लीPublished: Mar 15, 2022 07:16:20 am

Submitted by:

Sneha Patsariya

“पिछले 32 साल से परिवार में किसी ने कभी गिरिजा दीदी का नाम नहीं लिया और इस विषय पर कभी कोई बात नहीं हुई। फिल्म देखने के बाद पहली बार हमलोग रात में बैठकर उनके बारे में बात की। हम लोग रोए और ऐसा लगता है कि हमारी फैमिली में हीलिंग प्रोसेस (Healing Process) शुरू हो गया।”

the kashmir file
जब भी कश्मीरी पंडित के बारे में चर्चा होती है तो देश के लाखों करोड़ों लोगों की आँखें नम हो जाती हैं। ‘द कश्मीर फाइल्स’ की रिलीज के बाद यह एक बार फिर से चर्चा में है। फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने इसमें कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और 1990 में घाटी से उनके पलायन के दर्द और पीड़ा को पर्दे पर उतारा है। कश्मीरी हिंदुओं पर इस्लामिक आतंकवाद की बर्बरता की सैंकड़ो कहानियाँ है जिन्हें सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएँगे। ऐसी ही एक कहानी है – गिरिजा कुमारी टिक्कू की। गिरिजा उस समय बारामूला जिले के गांव अरिगाम ( वर्तमान में बांदीपोरा जिले में स्थित ) की रहने वाली थी। वह एक स्कूल में लैब सहायिका का काम करती थी। 11.6.1990 के दिन वह स्कूल में अपनी सैलरी लेने गयी। सैलरी लेने के बाद उसी गाँव में अपनी एक मुस्लिम सहकर्मी के घर उसे मिलने चली गयी। आतंकी उस पर नज़र रखे हुए थे। गिरिजा को उसी घर से अपहृत कर लिया गया। गाँव में रहने वाले लोगो की आँखों के सामने यह अपहरण हुआ किसी ने आतंकियों को रोकने का साहस नहीं किया।
आतंकियों ने गिरिजा के अपरहण के बाद उसे से सामूहिक बलात्कार किया। उसे तरह-२ की यातनाये दी। इतने से आतंकियों का मन नहीं भरा तो उन्होंने गिरिजा को बिजली से चलने वाले आरे पर रख कर बीच से काट दिया। आतंकियों का सन्देश साफ़ था की जम्मू कश्मीर में केवल “ निज़ाम –ऐ- मुस्तफा “ को मानने वाले लोग ही रह सकते है और गिरिजा टिक्कू जैसी एक सामान्य सी अध्यापिका को भी वो निजाम –ऐ- मुस्तफा” के लिए खतरा मानते थे। गिरिजा टिक्कू अपने पीछे 60 साल की बूढी माँ , 26 वर्षीय पति, 4 साल का बेटा और 2 साल की बेटी छोड़ गयी। जम्मू कश्मीर के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर में हुए इस हादसे पर वहां के स्थानीय लोग चुप रहे आज आतंक का वाही दावानल कश्मीर में खुद मुसलमानों के लिए समस्या बन चुका है। इस पाकिस्तानी आतंकवाद के चलते हजारो काश कश्मीरी मारे जा चुके है। आतंकवादी जवान लोगों को ही नहीं बल्कि बूढ़े , बच्चो और महिलाओं तक को अपना निशाना बना रहे है।
गिरिजा के परिवार ने तीन दशकों से अधिक समय तक चुप रहने के बाद आखिरकार इस घटना पर अपना दर्द बयाँ किया। विवेक अग्निहोत्री ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनका परिवार फिलहाल अमेरिका में है। गिरिजा टिक्कू के भाई-बहन भी फिल्म की स्क्रीनिंग देखने आए थे। विवेक अग्निहोत्री ने उनको रुकने के लिए भी बोला, लेकिन वह नहीं रुके। वह चले गए। हालाँकि, बाद में उन्होंने उनको मैसेज करके कहा, “पिछले 32 साल से परिवार में किसी ने कभी गिरिजा दीदी का नाम नहीं लिया और इस विषय पर कभी कोई बात नहीं हुई। फिल्म देखने के बाद पहली बार हमलोग रात में बैठकर उनके बारे में बात की। हम लोग रोए और ऐसा लगता है कि हमारी फैमिली में हीलिंग प्रोसेस (Healing Process) शुरू हो गया।”
इसके अलावा विवेक ने कश्मीर में 90 के दशक में हुए नरसंहार पर बात करते हुए कहा कि हिंदुओं के प्रति नफरत का भाव स्पष्ट था। संदेश साफ था या तो धर्म बदलो या कश्मीर छोड़ दो। जो यह स्वीकार नहीं करते उन्हें मार दिया जाता। हिंदुओं को अपने घर की महिलाओं को घाटी में छोड़ कश्मीर छोड़ने तक की धमकियाँ दी गई। कश्मीर में हुए नरसंहार में हिंदुओं के साथ-साथ सिख समुदाय के लोग भी मारे गए। सिखों की हत्या भी उनके धर्म की वजह से हुई ना कि आर्थिक वजहों से, जैसा कि लोग बताते हैं।
वहीं फिल्म देखने के बाद गिरिजा के परिवार ने इस घटना पर चुप्पी तोड़ी। उनकी भतीजी सीधी रैना ने इंस्टाग्राम पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने कहा कि उनके परिवार को अभी भी न्याय का इंतजार है। पोस्ट में वह कहती हैं, द कश्मीर फाइल्स दुनिया भर में रिलीज हो गई है। यह फिल्म उन भयानक रातों को दिखाती है जिनसे न केवल उनका परिवार गुजरा बल्कि हर कश्मीरी पंडित परिवार गुजरा। उनके पिता की बहन गिरिजा टिक्कू, एक यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरियन थीं। वह अपनी सैलरी लेने के लिए गई थीं। वापस आते वक्त वह जिस बस में सवार थी, उसे रोक दिया गया और इसके बाद जो हुआ, उसे सोचकर अभी भी उनकी रुह काँप जाती है, आँख आँसुओं से और मन घृणा से भर उठता है।
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सीधी रैना ने बताया कि उनकी बुआ को एक टैक्सी में फेंक दिया गया था, जिसमें 5 आदमी थे (उनमें से एक उसका सहयोगी था)। उन लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया, उनके साथ बलात्कार किया और फिर बढ़ई की आरी से उन्हें जिंदा काटकर बेरहमी से उनकी हत्या कर दी। वह कहती हैं, “आज तक मैंने अपने परिवार के किसी व्यक्ति को इस घटना के बारे में बोलते नहीं सुना। मेरे पिता मुझसे कहते हैं कि हर भाई इतनी शर्म और गुस्से में जी रहा था कि मेरी बुआ को न्याय दिलाने के लिए कुछ नहीं किया गया।” उन्होंने आगे लोगों से अपील की है कि वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ फिल्म देखने के लिए जरूर जाएँ।

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