
बिजनौर. कैराना लोकसभा और और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जहां बसपा ने गठबंधन के साथ होने की बात कही है। वहीं, कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यानी कांग्रेस पूरी तरह असमंजस में नज़र आ रही है। दरअसल, गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से अलग कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन, दोनों ही सीटों पर कांग्रेस को करारी हार मुंह देखना पड़ा था। गोरखपुर में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सुरहीता करीम 18,858 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहीं। इस चुनाव में उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी। वहीं, फूलपुर में कांग्रेस ने प्रत्याशी मनीष मिश्रा को निर्दलीय अतीक अहमद से भी कम वोट मिले थे। उन्हें मात्र 19,353 वोटों के साथ चौथे नंबर पर रहना पड़ा था। कांग्रेस के ये उम्मीदवार भी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे। लिहाजा, कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अभी तक अपने प्रत्याशी का ऐलान नही किया है और न ही कुछ साफ किया है कि वह चुनाव लड़ेगी भी की नहीं। वहीं, कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं का कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेता फिलहाल कर्नाटक चुनाव में व्यस्त हैं। इसलिए फैसले में देरी हो रही है। पार्टी का जो भी फैसला होगा मंगलवार तक इस पर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा। हालांकि, पार्टी नेताओं ने इशारे-इशारे में यह जरुर कहा कि दोनों ही सीटों पर बीजेपी को हराने के लिए जो भी करना पड़े कांग्रेस करेगी। पार्टी नेताओं के इस बयान के बाद इस बात की संभावना जताई जा रही है कांग्रेस कैराना में बीजेपी के सामने खड़े रालोद के उम्मीदवार का साथ दे सकती है और लगभग यहीं स्टैंड नूरपुर में भी ले सकती है। कांग्रेस के तरफ से मिल रहे इस संकेत से भाजपा नेताओं के अभी से हाथ-पांव फूलने लगे है। गौरतलब है कि इस चुनाव में बसपा ने भी अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। वहीं, रालोद और सपा ने आपस में हाथ मिलाकर कैराना लोकसभा सीट रालोद को दे दी है, जबिक नूरपुर विधानसभा की सीट सपा को मिली है। ऐसे में अगर कांग्रेस भी महागठबंधन को समर्थन दे देती है तो भाजपा के लिए अपनी साख बचाना भी मुश्कल हो जाएगा।
भाजपा ने सहानुभूति की लहर का फायदा उठाने के लिए दोनों ही दिवंगत नेताओं के परिवार की महिला प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है। भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद खाली हुई कैराना लोकसभा सीट से भाजपा ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को टिकट दिया है। वहीं, नूरपुर विधानसभा सीट के विधायक लोकेंद्र सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद खाली हुई सीट पर उनकी पत्नी अवनी सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है। गौरतलब है कि कैराना से रालोद की प्रत्याशी तबस्सुम हसन और नूरपुर से सपा के उम्मीदवार नईमुल हसन दावा ठोक रहे हैं।
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कैराना और नूरपुर में प्रत्याशी उतारने को लेकर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने साफ तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्होंने मीडिया से बात करते हुए इतना जरूर कहा है कि कैराना हो या नूरपुर हमारे लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि किस तरह दोनों ही सीटों से हम बीजेपी को हरा पाएं। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा फैसला है कि कांग्रेस पार्टी इस उपचुनाव में खुद चुनाव लड़ेगी या फिर जो गठबंधन है उसे समर्थन करेगी। इस पर आला नेता ही कुछ बता पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कहा कि 2019 करीब है। अभी हमारे आला नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर दोनों ही कर्नाटक चुनाव में बीजी हैं। ऐसे में अभी कैराना औ नूरपुर को लेकर कोई न कोई फैसला आने में थोरा समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि अभी हमारा लक्ष्य कांग्रेसमुक्त भारत का सपना देख रही भाजपा को यूपी से पूरी तरह से सफाया करना है।
कांग्रेस के चुनाव लड़ने की नहीं है संभाना
गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष संयुक्त राजबब्बर गठबंधन के प्रत्याशी को समर्थन देने के संकेत दिए थे। इसके बाद अब यह संभावना प्रबल होती जा रही है कि पार्टी यहां कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी। राजबब्बर ने अपने बयान में कहा था कि कैराना में कांग्रेस के पास मजबूत वोट बैंक है। बावजूद इसके पार्टी चाहती है कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एक संयुक्त प्रत्याशी को मैदान में उतारे। उन्होंने महागठबंधन का समर्थन करते हुए कहा ता कि अकेले चुनाव लड़ने से बेहतर होगा की मजबूत विपक्ष एक साथ खड़ा हो।
Published on:
08 May 2018 09:06 pm
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