बुलंदशहर

VIDEO: जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा, ‘उत्तर प्रदेश सरकार से हम तंग आ चुके हैं, ऐसा लगता है यूपी में जंगलराज है’

Highlights:
-बेलो देवी मंदिर (belon devi mandir) में आने वाले चढ़ावे को लेकर गांव के दो पक्ष आमने-सामने आ गए थे
-2009 से प्रशासन द्वारा belon devi mandir Uttar Pradesh अपने कब्जे में ले लिया गया
-जिसे लेकर मंदिर प्रशासन द्वारा जिला प्रशासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है

बुलंदशहरOct 18, 2019 / 07:14 pm

Rahul Chauhan

बुलंदशहर। जनपद बेलो देवी मंदिर (belon devi) का मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। दरअसल, बेलो देवी मंदिर (belon devi mandir) में आने वाले चढ़ावे को लेकर गांव के दो पक्ष आमने-सामने आ गए थे। जिसके बाद विवाद भी हुआ था। विवाद इतना बढ़ गया था कि प्रशासन को इसमें हक क्षेत्र करना पड़ा था और उसके बाद 2009 से प्रशासन द्वारा पूरा मंदिर (belon devi mandir Uttar Pradesh) अपने कब्जे में लेकर मंदिर में आने वाले चढ़ावे को बैंक में खाता खुलवाकर प्रशासन की निगरानी में जमा करवाया जाता है। बेलो मंदिर की व्यवस्था श्री सर्वमंगला बेला भवानी समिति देख रही है। जिसमें दो पंडा सदस्यों के अलावा जिला प्रशासन के 9 सदस्य शामिल हैं। जिसे लेकर मंदिर प्रशासन द्वारा जिला प्रशासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है।
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इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हम उत्तर प्रदेश सरकार से तंग आ चुके हैं। ऐसा लगता है यूपी में जंगलराज है। यूपी के वकीलों को पता ही नहीं है कि किस नियम के तहत काम किया जा रहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी पूछा है कि सरकार किस कानून के तहत मंदिर और उनकी संस्थाओं की निगरानी कर रही है। जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश वकील की बोलती बंद ही रही। इसके बाद वकील की ओर से लिखित हलफनामा दायर किया गया और सर्वोच्च अदालत से कुछ समय मांगा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी पूछा कि सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार का कोई अधिकारी मौजूद क्यों नहीं है। जिसका जवाब भी सरकारी वकील नहीं दे पाए।
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बता दें कि बुलंदशहर के थाना डिबाई क्षेत्र के नरौरा गांव में सैकड़ों वर्ष पुराना मंगला बेलो भगवती मंदिर है। पूर्व प्रधान विजय प्रताप सिंह का दावा है कि उनके पूर्वजों ने इस मंदिर की स्थापना की थी। तभी से इनके लोग मंदिर में सेवा करते हुए आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर में दो पंडाल ने समिति बनाकर मंदिर का पैसा खाना चाहा। इसको लेकर पहले हमने प्रशासन से शिकायत की और उसके बाद प्रशासन ने इस मामले में 9 सदस्य टीम भी बनाई थी। जिसमें बैंक में खाता खुलवा कर इसमें सहारा चढ़ावा जमा कराया जाता था। वहीं दूसरे पक्ष अमर उपाध्याय का कहना है कि मंदिर पूर्व प्रधान विजय प्रताप सिंह की संपत्ति नहीं है। इस मंदिर का चार्ज गांव के पंडा पर रहा है और वही लोग पहले से ही मंदिर की सेवा करते हुए आ रहे हैं। हमारी मांग है कि इस मंदिर का चार्ज पंडा को ही मिलना चाहिए।
इस मामले में जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया कि देवी मंदिर के लिए एसडीएम की निगरानी में समिति बनी हुई है। जो मंदिर में चढ़ावा आता है उसको बैंक में जमा करा दिया जाता है। मंदिर में 3 सदस्य निगरानी रखते हैं। वहीं मंदिर में पुलिस भी तैनात की हुई है और बाकायदा मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए हुए हैं जो दानपात्र के ऊपर लगे हुए हैं। मंदिर में किसी भी तरह की कोई बेईमानी नहीं कर सकता।
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