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बापू की 150वीं बर्थडे साल भर मनेंगी…बूंदी में नाच-गानों के साथ होगा यह…

locationबूंदीPublished: Sep 28, 2018 03:50:14 pm

Submitted by:

Nagesh Sharma

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर से लेकर वर्ष पर्यन्त विविध आयोजन कर राष्ट्रपिता को श्रृद्धांजलि दी जाएगी।

Birth anniversary of Bapu

बापू की 150वीं बर्थडे साल भर मनेंगी…बूंदी में नाच-गानों के साथ होगा यह…

बूंदी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर से लेकर वर्ष पर्यन्त विविध आयोजन कर राष्ट्रपिता को श्रृद्धांजलि दी जाएगी। जिला कलक्टर महेश चन्द्र शर्मा ने बुधवार को विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक लेकर निर्देश दिए कि वे वर्षभर होने वाले आयोजन के लिए अपने अपने विभाग की कार्य योजना बनाकर दो दिन में प्रस्तुत करें।
उन्होंने निर्देश दिए कि वन विभाग द्वारा व्यापक पौधारोपण करवाया जाए। जिला परिषद द्वारा उर्जा के गैर पारम्परिक स्त्रोतों को बढावा देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम किए जाएं तथा स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रभावी गतिविधियां की जाए। राजकीय महाविद्यालयों तथा जिला शिक्षा अधिकारी स्तर पर महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित नाटिकाए प्रार्थना सभाए गायनए फिल्म प्रदर्शनए निबंधए प्रश्नोत्तरीए पेंटिंग आदि प्रतियोगिताएं एवं गांधी जी के जीवन से संबंधित साहित्य प्रकाशन करवाकर वितरण करवाया जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा कमजोर वर्गों के उत्थानए विशेष योग्यजनों के कल्याण के लिए गतिविधियां की जाए। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा महिला अपराधों के विरूद्ध जन जागरण गतिविधियां की जाए। चिकित्सा विभाग द्वारा कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए जागरूकता कार्यक्रम किए जाए। इसी तरह विभिन्न विभागों द्वारा गतिविधियों का निर्धारण कर कार्ययोजना बनाई जाए।
बैठक में सहायक पर्यटन अधिकारी प्रेमशंकर ने बताया कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के आयोजन आगामी 2 अक्टूबर से आरंभ होकर वर्ष पर्यन्त चलेंगे।

‘दे दी हमें आजादी, बिना खड्‍ग बिना ढाल।
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।’
हमारा देश महान स्त्रियों और पुरुषों का देश है जिन्होंने देश के लिए ऐसे आदर्श कार्य किए हैं जिन्हें भारतवासी सदा याद रखेंगे। कई महापुरुषों ने हमारी आजादी की लड़ाई में अपना तन-मन-धन परिवार सब कुछ अर्पण कर दिया। ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे महात्मा गांधी। महात्मा गांधी युग पुरुष थे जिनके प्रति पूरा विश्व आदर की भावना रखता था।
ब‍चपन एवं शिक्षा- इस महापुरुष का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। आपका पूरा नाम मोहनदास था। आपके पिता कर्मचंद गांधी राजकोट के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली अत्यंत सरल महिला थी। मोहनदास के व्यक्तित्व पर माता के चरित्र की छाप स्पष्ट दिखाई दी।

प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में पूर्ण करने के पश्चात राजकोट से मेट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर आप वकालत करने इंग्लैंड चले गए। वकालत करके लौटने पर वकालत प्रारंभ की। एक मुकदमे के दौरान आपको दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां भारतीयों की दुर्दशा देख बड़े दुखी हुए। उनमें राष्ट्रीय भावना जागी और वे भारतवासियों की सेवा में जुट गए। अंग्रेजों की कुटिल नीति तथा अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए। असहयोग आंदोलन एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया।

सिद्धांत- गांधीजी ने अंग्रेजों से विरोध को प्रकट करने के लिए सत्याग्रह को अपना प्रमुख अस्त्र बनाया। सत्य, अहिंसारूपी अस्त्रों के सामने अंग्रेजों की कुटिल नीति तथा अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन आरंभ किए। असहयोग आंदोलन एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किया। गांधीजी के उच्चादर्शों एवं सत्य के सम्मुख उन्हें झुकना पड़ा और वे हमारा देश छोड़ चले गए। इस प्रकार हमारा देश 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ।

अन्य कार्य- गांधीजी ने अछूतों का उद्धार किया। उन्हें ‘हरिजन’ नाम दिया। भाषा, जाति और धर्म संबंधी भेदों को समाप्त करने का आजीवन प्रयत्न किया। स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर जोर दिया। सूत कातने, सब धर्मों को आदर से देखने और सत्य, अहिंसा को जीवन में अपनाने की शिक्षा दी। गांधीजी ने विश्व को शांति का संदेश दिया।

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