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सीजन में पर्यटकों की संख्या घटने से व्यवसायी चिंतित, इंटरनेट सेवा ठप रहने और तनाव ने रोके ‘पावणे’

बूंदी. ‘कुंड-बावडिय़ों का शहर’ के नाम से विख्यात बूंदी के पर्यटन व्यवसाय में बीते वर्ष की तुलना में दो माह में गिरावट आंकी गई है। सोशल मीडिया पर ‘बूंद

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Businessmen worried about the decline in the number of tourists in the

बूंदी. ‘कुंड-बावडिय़ों का शहर’ के नाम से विख्यात बूंदी के पर्यटन व्यवसाय में बीते वर्ष की तुलना में दो माह में गिरावट आंकी गई है। सोशल मीडिया पर ‘बूंदी’ को लेकर बताए जा रहे माहौल का असर सीधा पर्यटन व्यवसाय पर पड़ा है। जानकारों ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है। सुधार नहीं होने पर आने वाले वर्षों में बूंदी के लिए इसे ठीक नहीं माना है।
पर्यटन व्यवसाय घटने से सीजन में आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है। यहां आने वाले पर्यटकों के ठहराव में कमी से शहर के होटल, पेइंग गेस्ट हाउस व रेस्टोरेंट संचालकों की ङ्क्षचता बढ़ गई। परकोटे के भीतरी शहर के बालचंदपाड़ा, नाहर का चौहट्टा, सदर बाजार, चौमुखा बाजार सहित कई इलाकों में पर्यटक सीजन में गिने चुने पर्यटक नजर आ रहे हैं। जो दल पहुंच रहे हैं वह रात्रि का ठहराव अब यहां नहीं कर रहे। शहर की चाय की थड़ी से लेकर रेस्टोरेंट, कैफे, टैक्सी चालक सहित अन्य दुकानदारों को विदेशियों से होने वाले व्यवसाय में कमी महसूस की जा रही है। बूंदी कई महान चित्रकारों, लेखकों एवं कलाकारों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा है। रूडयार्ड किपलिंग को भी अपनी रचना ‘किम’ की प्रेरणा यहीं से मिली थी।

जो आए थे वह भी चले गए
शहर के बालचंदपाड़ा, नाहर का चौहट्टा इलाके में दुकानें व होटल चला रहे व्यवसायियों से बातचीत करने पर पता चला कि बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष सीजन में पर्यटकों की कमी खली है। जनवरी 2018 की शुरुआत में ही शहर में बिगड़े माहौल ने पर्यटकों के कदमों को बूंदी में आने से रोक दिया। जो पर्यटक बूंदी में थे वह भी चले गए।बाद में पूरे जनवरी माह में पर्यटक नहीं आने से सन्नाटा ही रहा। इसके बाद माहौल भले ही शांत हुआ, लेकिन सोशल मीडिया पर बार-बार की गई टिप्पणी से पर्यटक कतराने लगे। इंटरनेट सेवाओं का बंद रहना भी पर्यटन के लिए ठीक नहीं रहा।

बीते साल की तुलना में दो माह में घटे
वर्ष 2017 में जनवरी व फरवरी माह में बूंदी शहर में 3888 विदेशी सैलानी भ्रमण के लिए आए थे। वहीं वर्ष 2018 में जनवरी व फरवरी माह में कुल 3769 ही सैलानी ही बूंदी भ्रमण के लिए आए। अकेले जनवरी माह की वर्ष 2017 से तुलना करें तो बीते वर्ष 1790 सैलानी बूंदी आए थे। जबकि वर्ष 2018 के जनवरी में विदेशी पर्यटकों की संख्या घटकर 1632 ही रह गई। जबकि बूंदी में भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों का मुख्य सीजन दिसम्बर से मार्च माह तक माना है।

सहायक पर्यटन अधिकारी पे्रमशंकर सैनी ने बताया कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर शहर की छवि बनी रहनी चाहिए। सोशल मीडिया पर शहर के माहौल को लेकर अधिक चर्चाएं ठीक नहीं। पर्यटन से यहां सैकड़ों लोगों का रोजगार चल रहा है। शहर के लोग इस व्यवसाय के बारे में प्राथमिकता से सोचें।