गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है। इस बार नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार गुरू स्वाति योग बन रहा है। ये 27 नक्षत्रों में 15वें स्थान का माना जाता है। चूंकि गणेश जी बुद्धि के देवता और गुरू समृद्धि के इसलिए फल ज्यादा शुभदायी होगा।
इस दिन.स्वाति नक्षत्र का स्वामी ग्रह वायु देव होते हैं। इस नक्षत्र के चारों चरण तुला राशि के अंतर्गत आते हैं जिसका स्वामी शुक्र है। वहीं चतुर्थी के गुरूवार को पडऩे से ये महासंयोग बन रहा है। इस दिन गणपति की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही मुश्किलें खत्म होंगी और उसे सारे सांसारिक सुखों की प्राप्ति होगी।
अंक ज्योतिष के अनुसार इस दिन अंकों का भी संयोग बन रहा है क्योंकि चतुर्थी तिथिका चार अंक है इस दिन 13 सितंबर का मूलांक भी 4 होता है। इस ग्रह का स्वामी राहु होता है। इसलिए इस बार गणेश जी की पूजा करने से राहु के दोष से भी मुक्ति मिलेगी।
गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त मध्यकाल में गणेश पूजन का समय – सुबह 11.09 से 01.36 तक। मुहूर्त की अवधि – 2 घंटे 45मिनट। सुबह 11.09 से 01.25 तक वृश्चिक लग्न सर्वश्रेष्ठ है….
शुभ सुबह 06.15से 07.47 तक
चर ,लाभ सुबह 10.51 से 01.30 तक
सायकलं शुभ 04.59 से 06.31 तक
चंद्र दर्शन निषेध इस दिन यानी गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन निषेध माना जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या दोष लग सकता है। जिस कारण से भक्तों को झूठे आरोपों से सामना करना पड़ता है। इस दिन चांद नहीं देखने का एक विशेष समय निर्धारित होता है। आज के दिन चंद्रमा को नहीं देखने का समय – चंद्रोदय से रात 09. 22 बजे तक।
राशि अनुसार कैसे करें श्री गणेश का सिद्ध पूजन, कौन सा लगाएं भोग- मेष- मंत्र वक्रतुण्डाय हुं॥
विशेष भोग- छुआरा और गुड़़ के लड्डू वृष- मंत्र- ह्रीं ग्रीं ह्रीं।
विशेष भोग- मिश्री, शक्कर, नारियल से बने लड्डू
विशेष भोग- छुआरा और गुड़़ के लड्डू वृष- मंत्र- ह्रीं ग्रीं ह्रीं।
विशेष भोग- मिश्री, शक्कर, नारियल से बने लड्डू
मिथुन- मंत्र श्रीं गं लक्ष्मी गणपतेय वरवरदं सर्वजनं में वशमानयं स्वाहा॥
विशेष भोग – मूंग के लड्डू, हरे फल। कर्क- मंत्र एकदंताय हुं॥
विशेष भोग- मोदक के लड्डू, मक्खन, खीर। सिंह- मंत्र श्रीं श्रियै: नम:॥
विशेष भोग – गुड़़ से बने मोदक के लड्डू व लाल फल, छुआरा ।
विशेष भोग – मूंग के लड्डू, हरे फल। कर्क- मंत्र एकदंताय हुं॥
विशेष भोग- मोदक के लड्डू, मक्खन, खीर। सिंह- मंत्र श्रीं श्रियै: नम:॥
विशेष भोग – गुड़़ से बने मोदक के लड्डू व लाल फल, छुआरा ।
कन्या- मंत्र- गं गणपतयै नम:॥
विशेष भोग हरे फल, मूंग की दाल के लड्डू व किशमिश। तुला- मंत्र ह्रीं, ग्रीं, ह्रीं॥
विशेष भोग -मिश्री, लड्डू और केला। वृश्चिक- मंत्र ह्रीं उमापुत्राय नम:
विशेष भोग – छुआरा और गुड़़ के लड्डू ।
विशेष भोग हरे फल, मूंग की दाल के लड्डू व किशमिश। तुला- मंत्र ह्रीं, ग्रीं, ह्रीं॥
विशेष भोग -मिश्री, लड्डू और केला। वृश्चिक- मंत्र ह्रीं उमापुत्राय नम:
विशेष भोग – छुआरा और गुड़़ के लड्डू ।
धनु- मंत्र ? गं गणपतये नम:
विशेष भोग – मोदक व केला। मकर- मंत्र – लम्बोदराय नम:।
विशेष भोग -मोदक के लड्डू, किशमिश, तिल के लड्डू। कुंभ- मंत्र सर्वेश्वराय नम:।
विशेष भोग – गुड़़ के लड्डू व हरे फल।
विशेष भोग – मोदक व केला। मकर- मंत्र – लम्बोदराय नम:।
विशेष भोग -मोदक के लड्डू, किशमिश, तिल के लड्डू। कुंभ- मंत्र सर्वेश्वराय नम:।
विशेष भोग – गुड़़ के लड्डू व हरे फल।
मीन- मंत्र सिद्धि विनायकाय नम:।
विशेष भोग – बेसन के लड्डू, केला, बादाम।
विशेष भोग – बेसन के लड्डू, केला, बादाम।