यह भी पढ़ें
कानून को कतर रहा चाइनीज मांझा, आदेश ताक पर
बकौल नामा, वर्ष २००९ में बीएड करने के बाद जब वाणिज्य वर्ग में व्याख्याताओं के लिए भर्ती निकाली गई थी। उस समय उनकी उम्र ४८ वर्ष हो गई थी। ऐसे में यह उनका अंतिम अवसर था। इसके चलते एक दिन में १५ घंटे तक अध्ययन किया। कभी कोचिंग संस्थानों का सहारा नहीं लिया। लगातार अध्ययन के चलते इसमें सफलता पाई।
यह भी पढ़ें
दीवारों पर उकेरे आखर, अक्षर, चित्र श्लोक, भवन
विद्यालय के लिए थ्रीडी
वर्तमान में राजकीय सीनियर सैकंडरी विद्यालय देई में कार्यरत शिक्षक नामा को विद्यालय के शिक्षक मित्र व विद्यार्थी थ्रीडी मानते हैं। शिक्षक शंकरलाल प्रजापत ने बताया कि शिक्षक नामा दृढ़ निश्चय, अनुशासन व विद्यालय के लिए समर्पित है। विद्यालय के छात्र छात्राएं भी आदर्श मानते हैं। शिक्षक नामा बिना किताब लिए छात्रों को हर टॉपिक को बड़ी बारीकी से समझाते हैं। अपने पहले वर्ष में ही कक्षा १२वीं बोर्ड में शत प्रतिशत परिणाम दिया।