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बुलंद हौसले से लिखी सफलता की इबारत …. पढिए कैसे ?

locationबूंदीPublished: Jan 03, 2018 07:07:56 pm

Submitted by:

Narendra Agarwal

कहते हैं अगर हौसले बुलंद हो तो कोई सफल होने से नहीं रोक सकता है। अपने बुलंद हौसले

Highly written success stories How to read?

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बूंदी. कहते हैं अगर हौसले बुलंद हो तो कोई सफल होने से नहीं रोक सकता है। अपने बुलंद हौसले के चलते केशवरायपाटन निवासी दिव्यांग हरिओम नामा ने सफलता की इबारत लिख डाली। कभी जिसे छात्र के रूप में वाणिज्य वर्ग विषय को लेने से मना कर दिया था, उसी विषय में व्याख्याता बनकर नामा ने दिव्यांगों के लिए एक नजीर पेश की।
दिव्यांग नामा ने बताया कि वर्ष १९८२ में जब वह कक्षा नौ में अपने मनपंसद वाणिज्य विषय लेने राजकीय सीनियर सैकण्डरी विद्यालय केपाटन गए तो विषय व्याख्याताओं ने शारीरिक दिव्यांगता (दृष्टि बाधित) होने की वजह से विषय देने से मना कर दिया, लेकिन उसका विश्वास कम नहीं हुआ और मनपंसद विषय लेने व उसी विषय में शिक्षक बनने का दृढ़ निश्चय किया। पिता के सहयोग से वाणिज्य विषय मिल गया और वह अपने लक्ष्य को पाने में जुट गए। आखिरकर २१ जुलाई २०१५ को वाणिज्य विषय में व्याख्याता बनकर अपना लक्ष्य हासिल कर लिया। अब वे शिक्षक के रूप में असक्षम लोगों को एक नई दिशा दे रहे हंै।
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बकौल नामा, वर्ष २००९ में बीएड करने के बाद जब वाणिज्य वर्ग में व्याख्याताओं के लिए भर्ती निकाली गई थी। उस समय उनकी उम्र ४८ वर्ष हो गई थी। ऐसे में यह उनका अंतिम अवसर था। इसके चलते एक दिन में १५ घंटे तक अध्ययन किया। कभी कोचिंग संस्थानों का सहारा नहीं लिया। लगातार अध्ययन के चलते इसमें सफलता पाई।

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विद्यालय के लिए थ्रीडी
वर्तमान में राजकीय सीनियर सैकंडरी विद्यालय देई में कार्यरत शिक्षक नामा को विद्यालय के शिक्षक मित्र व विद्यार्थी थ्रीडी मानते हैं। शिक्षक शंकरलाल प्रजापत ने बताया कि शिक्षक नामा दृढ़ निश्चय, अनुशासन व विद्यालय के लिए समर्पित है। विद्यालय के छात्र छात्राएं भी आदर्श मानते हैं। शिक्षक नामा बिना किताब लिए छात्रों को हर टॉपिक को बड़ी बारीकी से समझाते हैं। अपने पहले वर्ष में ही कक्षा १२वीं बोर्ड में शत प्रतिशत परिणाम दिया।
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