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जंजीरों में जकड़ा मुकेश हुआ आजाद…पत्रिका बनी आवाज, प्रशासन ने ली सुध

15 साल से बेड़ियो में बंधे मानसिक रोगी मुकेश को आखिर सरकारी मदद मिल ही गई।पत्रिका में प्रकाशित खबर के बाद प्रशासन ने सुध ली और उसका इलाज शुरू करवाया

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जंजीरों में जकड़ा मुकेश हुआ आजाद...पत्रिका बनी आवाज, प्रशासन ने ली सुध

बूंदी/जजावर.15 साल से बेड़ियो में बंधे मानसिक रोगी मुकेश को आखिर सरकारी मदद मिली गई।पत्रिका में प्रकाशित खबर के बाद प्रशासन ने सुध ली और मुकेश को चिकित्सा विभाग ने बूंदी अस्पताल मनोरोगी चिकित्सक को दिखाया जहां मुकेश के साइकोसिस नामक बीमारी होना सामने आया।

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इसी दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक रामराज मीणा भी मुकेश की सुध लेने जिला अस्पताल पहुंचे ।इसी के साथ मीणा ने परिजनों को आश्वस्त किया कि विभाग की तरफ से मुकेश के लिए हरसंभव मदद की जाएगी।

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बूंदी अस्पताल में उचित चिकित्सा नही होने के कारण मुकेश को कोटा मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया। जहां जजावर अस्पताल के मेल नर्स हर्षवर्धन सैन के सहयोग से मेडिकल कालेज में भर्ती करवाया गया।जिला अस्पताल के मनोरोगी चिकित्सक रश्मि गुप्ता ने बताया कि मुकेश के साइकोसिस व मंदबुद्धिता है। ऐसे रोगी का काफी हद तक इलाज संभव है ।

पत्रिका ने उठाई थी आवाज-

मानसिक रोगी मुकेश व परिजनों की पीड़ा की व्यथा को पत्रिका ने 'जंजीरो में जकड़ा जिगर का टुकड़ा, बेबस मां बाप' से खबर प्रकाशित की थी। वही समय समय पर चिकित्सा विभाग व समाज कल्याण के सर्वे होते रहते हैं।लेकिन अब ऐसे कई मामले है जो दबे हुए। प्रशासन की इतने दिनों में सुध लेना भी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है।