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कागजों में गुम हो गई तम्बाकूमुक्त घोषणा-

locationबूंदीPublished: Dec 06, 2017 02:59:15 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

स्कूलों में नही टंगा तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थान का बोर्ड-

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बूंदी- जिले के शासकीय व अशासकीय शिक्षण संस्थानों को तम्बाकूमुक्त करने के आदेश कागजों में कैद हो गए। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने हर प्राचार्य को ताकीद देकर तम्बाकू मुक्त स्कूल संबंधी घोषणा पत्र देने के लिए कहा था साथ ही शिक्षण परिसर में बोर्ड टांगने के निर्देश के साथ स्कूल के 100 गज के दायरे में किसी भी प्रकार के तम्बाकू उत्पाद बेचना कानूनी अपराध है। उल्लंघन करने पर 200 रुपये जुर्माना वसूला वसूला जाएगा। लेकिन अब तक अनुपालन नहीं हो सकी। जिले के ज्यादातर शिक्षण संस्थान यह नही बता पाए है। वहीं निरीक्षणों को लेकर भी जिम्मेदारों ने संजीदगी नही दिखाई है हालांकि दावा अब भी तम्बाकूमुक्त की जागरूकता का किया जा रहा है।

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माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने एक सकुर्लर जारी कर प्रदेशभर की शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों को तम्बाकूमुक्त करने के लिए गाइड लाइनजारी की थी। लेकिन जब इस सर्कुलर के परिणाम जाने गए तो सामने आया कि ज्यादातर शिक्षण संस्थानों ने तय घोषणा पत्र ही जमा नही कराए है। शिक्षण संस्थानों ने तम्बाकू मुक्त स्कूल की गाइड लाइन को कागजों से बाहर नही निकलने दिया। बूंदी जिले में भी ज्यादा संस्थाए घोषणा पत्र अमल तो दूर इसे पूरा भी नही कर पाई। शिक्षा महकमा का दावा अब भी तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थाओं का हो रहा है।

हर तीन महिने में रिपोर्ट का दावा-
स्कूल प्रचार्यो को डीईओ को चेतावनी नोट के फोटो और घोषणा पत्र देने के लिए कहा गया था। इसमें यह उल्लेख करना जरूरी था कि स्कूल परिसर में कोई भी बाहरी व्यक्ति, स्टाफ और छात्र तंबाकू पदार्थो का सेवन नही करते है। साथ ही यह भी लिखना अनिवार्य था कि वे परिसर की जांच कर चुके है, जहां बीडी, सिगरेट,गुटका पाउच, और तंबाकू थूकने के निशान नही पाए गए। प्राचार्य को हर तीन महिने में इस तरह की रिपोर्ट के निर्देश थ, लेकिन ज्यादातर संस्थाए फार्मेट में आए घोषणा पत्र से आगे नही बढ़ पाई।


प्राचार्य को दी थी अहम जिम्मेदारी
विभाग ने जारी सर्कुलर में सभी शिक्षण संस्थाओं के प्राचार्य को तम्बाकू मुक्त सबंधी अहम जवाबदारी दी थी। सर्कुलर के मुताबिक प्रदेश के सरकारी और गैर सराकरी स्कूलों को तंबाकू मुक्त करना प्राचार्य की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी को एक घोषणा पत्र भी देना होगा कि स्कूल पूरी तरह से तंबाकूमुक्त है। स्कूल का कोई भी शिक्षक, छात्र और स्टाफ तंबाकू का सेवन नही करता और परिसर में भी इसका उपयोग नही किया जाता, यह परिसर भी तम्बाकूमुक्त है।


दाग दिखने पर प्राचार्य की जवाबदारी
अहम बात यह है कि अगर स्कूल में जांच के दौरान दीवारों पर तंबाकू गुटखे के दाग नजर आते है तो इसके जिम्मेदार भी स्कूल प्रमुख बनाए गए है। लेकिन इस सर्कुलर के बाद भी शिक्षा विभाग ने अपने अधिन स्कूल नही देखे। स्कूल के प्राचार्यो को परिसर में तंबाकूमुक्त क्षेत्र और मुख्य गेट पर १०० गज के दायरे में तंबाकू पदार्थो की बिक्री पर प्रतिबंध चेतावनी लिखना था, लेकिन यह भी नही मिली।


आकलन के बाद यह हकीकत
कई स्कूलों मे तंबाकूमुक्त शाला की स्थिति संतोषजनक नही है। अशासकीय स्कूलों में भी इसकी पालना ठीक से नही हो रही है। इस कारण सभी डीईओ को इस पर नजर रखना होगी। और समय पर स्कलों का दौरा करना होगा। अब विभाग के निर्देश है कि अगर स्क्ूलों में घोषणा-पत्र का पालन नही हो रहा है तो सख्त कार्रवाई की जाए। जांच के दौरान अगर किसी जिले में इसे गम्भीरता से नही लिया जाता तो शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा सकता है।


समय समय पर निरीक्षण-
तम्बाकूमुक्त शिक्षण संस्थाओं संबंधी सर्कुलर के अनुसार हम समय समय पर शिक्षण संस्थाओं की जांच कराते है, जहां भी कमियां सामने आ रही है, उनको दूर करने के निर्देश दिया जाता है। कलक्टर स्तर से भी स्क्ूलों के आसपास दुकाने हटाने के लिए कहा गया है सर्कुलर के अनुसार ही सभी प्राचार्यो को निर्देश दिए गए है।
जिला शिक्षा अधिकारी तेजकंवर

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