ग्रामीण रामलाल मीणा, प्रकाश मीणा, महावीर आदि लोगों ने बताया खलुंदा के प्राचीन तालाब में पहले 12 माह ही पानी भरा रहता था। ग्रामीण तालाब में नहाते थे और अपने मवेशियों को पानी पिलाते थे। तालाब के अंदर बड़ी-बड़ी मछलियां हुआ करती थी और देसी और विदेशी पक्षी तालाब में रहा करते थे और चारों तरफ पक्षियों की कलरव सुनाई देता था और तालाब के अंदर सिंघाड़े की खेती हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने तालाब को शौचालय बना रखा है, जिसकी वजह से तालाब में गंदगी बढ़ती जा रही है।
तालाब के चारों ओर ग्रामीण कचरा डालते हैं, जिसके चलते तालाब के चारों तरफ गंदगी की भरमार है। गांव में निकलने वाला गंदा पानी नाली के माध्यम से तालाब में जा रहा है, जिससे तालाब का पानी गंदा हो रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि तालाब में पानी आने व पानी निकास का रास्ता बना हुआ था, लेकिन ग्रामीणों के अतिक्रमण के कारण वह बन्द सा हो गया है, जिसके चलते बारिश आने पर तालाब में पानी भर जाता है, लेकिन गंदा पानी तालाब से बाहर नहीं निकल पा रहा है जिसके चलते यह पानी बाद में बदबू मारने लग जाता है।
महावीर शृंगी, खलुंदा
प्रियंका गोस्वामी, पंचायत प्रशासक, सुवासा