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बूंदी में बढ़ी राज्य पशु चिंकारा की चौकड़ियां, आसानी से दिखने लगे

रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन भीमलत व कालदां वन क्षेत्र में राज्य पशु चिंकारा की बढ़ती संख्या यहां की समृद्ध जैवविविधता के लिए अच्छा संकेत है।

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बूंदी

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pankaj joshi

Mar 03, 2025

बूंदी में बढ़ी राज्य पशु चिंकारा की चौकड़ियां, आसानी से दिखने लगे

गुढ़ानाथावतान क्षेत्र के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में कलदां माता की तलहटी में वन्यजीवों के लिए तैयार होता घास का मैदान।

गुढ़ानाथावतान. रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन भीमलत व कालदां वन क्षेत्र में राज्य पशु चिंकारा की बढ़ती संख्या यहां की समृद्ध जैवविविधता के लिए अच्छा संकेत है।

वनविभाग ने कालदां की तलहटी में शाकाहारी वन्यजीवों के लिए बिशनपुरा के निकट दो सिल्वी पॉश्चर घास के मैदान बनाना शुरू कर दिया है। इसी प्रकार भीमलत क्षेत्र में भी घास के मैदान विकसित करने का काम चल रहा है। भीमलत क्षेत्र की बाणगंगा नदी के उद्गम स्थल का प्राकृतिक सौंदर्य काफी समृद्ध व लोगों को आकर्षित करने वाला है। अब यहां पर चिंकारा हरिणों की उपस्थिति से जंगल का रोमांच बढ़ गया है। अब यहां वन विभाग ने लव-कुश वाटिका के साथ इस क्षेत्र को भी विकसित करने का काम शुरू कर दिया है।

यहां बहने वाली बाणगंगा नदी के उद्गम स्थल तक रास्ता बनाने का काम पूरा हो चुका है तथा शीघ्र ही यहां पर्यटकों की पहुंच आसान बनाने की योजना है। जिले में तीन जगहों पर सफारी शुरू करने की स्वीकॄति मिली थी,जिनमें यह क्षेत्र भी शामिल है। भीमलत नाले के दोनो किनारों पर रास्ते बनाने का काम पूरा हो गया हें। यह प्राकृतिक पर्यटक स्थल टाइगर रिजर्व की भोपतपुरा रेंज में आता है। यहां चिंकारा के अलावा भालू, पेंथर, भेड़िया, नीलगाय, गिद्ध सहित वन्यजीवों की कई प्रजातियां मौजूद है।

इको टूरिज्म के नए केंद्र, जल्द होगी सफारी शुरू
रामगढ़ विषधारी टागगर रिजर्व के बूंदी-चित्तौड़ मार्ग स्थित दक्षिण-पश्चिमी छोर पर एक घास का मैदान व बहुत बड़ा पठार है, जो मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से जुड़ता है। यह घास का मैदान व झांड़ीदार क्षेत्र स्थानीय रूप से उपरमाल के पठार के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान के बड़े हाड़ौती या दक्षिणपूर्वी पठार का हिस्सा है। भीलवाड़ा व बूंदी जिले का यह क्षेत्र टाइगर रिजर्व के कोर प्रशासन के नियंत्रण में तथा वर्तमान में यहां रास्ते बनाकर सुरक्षा बढ़ाने से वन्यजीवों की गतिविधियां देखी जा सकती है। विभाग जल्दी ही यहां जंगल सफारी भी शुरू करने जा रहा है।

गतिविधियां बहुत कम
वन क्षेत्र में कलदां, मूंदेड़, भालाकुई व बाणगंगा के जंगलों में मानवीय गतिविधियां बहुत कम है जहां चिंकारा की संया लगातार बढ़ रही है। टाइगर रिजर्व के इस बफर क्षेत्र में बहने वाली बाणगंगा व मांगली बारहमासी नदियां और मंडोल, भीमलत व अभयपुरा बांध चिंकारा हरिणों के लिए अच्छे आश्रय स्थल सिद्ध हो रहे है। इस क्षेत्र में जिले से लुप्तप्राय: भेड़ियों का दिखाई देना अच्छा संकेत इसके अलावा यहां गीदड़, जंगली सूअर, सेही, रोझ अदि भी अच्छी तादात में मौजूद है।