Second madrasa of the state will open in Burhanpur, read Hindi, English too
बुरहानपुर.
भोपाल के बाद प्रदेश का दूसरा मदरसा बुरहानपुर के टीपी नगर एसके कॉलोनी में खुला है। जहां दारूलउलूम नदवतुलउलामा के पांच वर्षीय पाठ्यक्रम का संचालन होगा। इसमें धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा दी जाएगी। इसमें अन्य स्कूलों की तरह सभी विषय पढ़ाए जाएंगे। मदरसा माहद अली मिया नदवी का उद्घाटन भोपाल रियासत के काजी शहर मदीना मुनव्वरा के फाजिल हजरत मौलाना सैयद मुश्ताक अली नदवी ने किया।
मुफती रेहमतुल्ला कासमी नाजिम दारूलउलूम शेख अली मुत्तकी ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस मदरसे में पांच वर्ष का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इसमें केवल 10वीं व 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी ही शामिल हो सकते हैं। प्रदेश में केवल भोपाल में पाठ्यक्रम पर आधारित मदरसा संचालित हो रहा था, प्रदेश का दूसरा मदरसा बुरहानपुर में शुरू किया है। बुरहानपुर में मुस्लिम आबादी ज्यादा है, उन्हें अच्छी शिक्षा देने व मुख्य धारा से जोडऩे के लिए यह अच्छा प्रयास है।
उन्होंने कहा कि पांच वर्ष के पाठ्यक्रम में तीन वर्ष बुरहानपुर में आलिमयत कोर्स होगा और दो वर्ष नदवतुल उलामा लखनऊ में शिक्षा दी जाएगी। पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को दीनी व दुनयावी यानी अधुनिक शिक्षा भी अनिवार्य रूप से दी जाएगी। धार्मिक शिक्षा के साथ राष्ट्रीय भाषा हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित की शिक्षा देकर बच्चों को मुख्य धारा से जोड़कर उन्हें आलिम-हाफिज बनने के साथ अच्छे डॉक्टर-इंजीनियर बनने व उनके देश-प्रदेश की सेवा करने का जस्बा पैदा किया जाएगा।
स्कूल में पढऩे वाले विद्यार्थी भी आ सकेंगे मदरसे में
मदरसे की दूसरी विशेषता यह है कि यहां कुरआन के मुखावर कराने की भी व्यवस्था है। स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थी समय निकालकर तीन घंटे में कुरआन की मुखावर कर सकते हैं। यहां छात्रावास में रहने की भी व्यवस्था है। यहां हर उम्र के लोग कुरआन नाजिरा और मुखावर कराने का भी नजम किया है।
कुरआन में सबसे पहले शिक्षा का आदेश दिया
मुफती रहमतुल्ला ने कहा कि कुरआन में सबसे पहले आदेश दिया गया वह शिक्षा का ही आदेश है। हर मर्ज की दवा शिक्षा है, लेकिन दीनी शिक्षा के साथ दुनिया की ओर असली जिंदगी आखीरत भी बनती है। स्कूल के विद्यार्थियों को मदरसे खुलने पर खुश होना चाहिए कि उनके लिए अच्छा अवसर मिला है।
इस दौरान यूनानी तिब्बया कॉलेज भोपाल के व्याख्याता डॉ. जलील, सैयद हनीफ, सैयद अनीस, सैयद आरिफ, मोहम्मद ऐजाज, मोहम्मद अयाज, डॉ. रजाउरब, बरकतुल्ला अंसारी, मौलाना नईम मुफती, मुफती अशफाक, आसीफ शेख, शेहजाद नूर, मौलाना असराररूल्लाह नदवी व मौलाना सलीम मोहम्मद गिन्नोरी मौजूद थे।