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बेटा आइएएस अफसर बना तो ढोल-ढमाके से हुआ गांव में स्वागत

स्वच्छता अभियान की सफलता देख आइएएस अफसर बनने की ठानी, खकनार में दादा पटवारी थे, अब पोता बन गया आइएएस अफसर

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बुरहानपुर. यूपीएससी (upsc 2021) की परीक्षा में खकनार के युवक ने भी 204वीं रैंक लाकर बुरहानपुर का नाम रोशन कर दिया। दादा भागवत महाजन गांव में पटवारी थे, अब पोता आइएएस अफसर बन गया। जब पोता गांव आया तो ग्रामीणों को बड़ा गर्व महसूस हुआ और बैंड बाजे के साथ जोरदार स्वागत किया। यह युवक है खकनार निवासी अर्जित पिता विजय महाजन (arijit mahajan)। ऐसे तो अर्जित के पिता विजय महाजन इंदौर में बिजली ट्रांसमिशन लाइन के कंस्ट्रक्शन का काम करते हैं। इसलिए अर्जित भी तीसरी तक पढ़ाई बुरहानपुर में करने के बाद इंदौर चला गया। यहां 12वीं के बाद तक प्रशासनिक अफसर बनने के बारे में नहीं सोचा था। यहां से आइआइटी दिल्ली बीटेक में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर इंदौर लौटे।

यहां पैतृक मकान

अर्जित का खकनार में पैतृक मकान है। अभी दादी दादी लक्ष्मीबाई, काका मनोज महाजन और बुरहानपुर में संतोष महाजन व लोनी में किशोर महाजन निवास करते हैं। किशोर महाजन ने बताया कि लोनी में अर्जित के आगमन में ढोल-ताशे के साथ स्वागत किया। परिवार में मां उदिता महाजन है।

युवाओं को मिली प्रेरणा

अर्जित के आईएएस अफसर बनने के बाद गांव के कई युवा अर्जित से मिलने पहुंचे। अर्जित ने बताया कि प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। इसलिए कई युवा आगे बढ़ नहीं पाते। सही मार्गदर्शन और सुविधाएं मिलने पर राह आसान हो जाती है।

2020 में दी थी पहली परीक्षा

अर्जित बताते हैं कि सफाई के मामले में इंदौर बहुत पिछड़ा था। 2017 में स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर नंबर वन पर आ गया। यहां के प्रशासनिक अफसरों ने किस तरह से मेहनत कर सफाई के मामले में समाज में एक बड़ा बदलाव ला दिया। बस यहीं से मेरी रुचि इसमें बढऩे लगी। मैंने भी ठान लिया कि अच्छे काम के लिए बड़ा बदलाव करना है, तो अफसर बनना चाहिए।

2020 में यूपीएससी में 521वीं रैंक आई। परीक्षा तो क्लीयर कर ली। इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस मिली इसे जॉइन भी किया। लक्ष्य बड़ा था। इसलिए 2021 में फिर परीक्षा दी और 204वीं रैंक लगी। अब बेहतर स्थिति में रहा। पहले दादा हमारे प्रशासनिक सेवा में थे, उनके बाद अब मैं प्रशासनिक कार्य में सेवा दूंगा।

अब आगे क्या : अर्जित महाजन ने बताया कि अगस्त में जॉइनिंग होगी। मसूरी में फिर ट्रेनिंग दी जाएगी। कैडर अलॉट होगा। पहली पोस्टिंग एसडीएम के रूप में होगी। इसके बाद आगे प्रमोशन लेते हुए कलेक्टर बनने की राह बनेगी।