
400 साल वर्किंग मोड में हैं यहां दुनिया का इकलौता अंडर वाटर सिस्टम, मुगलकाल से है इसका कनेक्शन
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में दुनिया का इकलौता अंडर वॉटर सिस्टम है जो आज भी अपनी मूल और चालू स्थिति में है। शहर के लाल बाग में बना ये अंडर वॉटर सिस्टम जमीन की सतह से 80 फीट नीचे है। इस अंडर वॉटर सिस्टम को अब नैहरे खैरे जारियां, खूनी भंडारा और कुंडी भंडारा जैसे नामों से जाना जाता है। यहां से पानी 101 कुंडलियों में घूमता है और माना जाता है कि, यहां का पानी शुद्धता और स्वच्छता के मामले में मिनरल वाटर से कई गुना बेहतर है। इस इस भूमिगत जल प्रणाली को देखने बड़ी संख्या में पर्यटक भी यहां आते हैं। खास बात ये है कि, कई लोग तो यहां से पानी भरकर अपने साथ भी ले जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि, इस अंडर वॉटर सिस्टम का निर्माण मुगलकाल में कराया गया था। इसे मुगलों के दूसरे शासक अकबर के कार्यकाल में उस दौरान बुरहानपुर के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना को 1612 में भूमिगत जल भंडार के बारे में पता चला था। इसके बाद उन्होंने इसी सूचना अकबर को पहुंचाई, जिसके बाद 1615 में अकबर द्वारा इस अंडर वाटर सिस्टम का निर्माण कराया गया था, जिससे उस दौरान पूरे शहर में पानी सप्लाई की व्यवस्था की जाने लगी थी। इस अंडर वॉटर सिस्टम के बनने के बाद से पूरा शहर इसी पानी को पिया करता था। आज बुरहानपुर के उपनगर लालबाग के 10 हजार से 15 हजार लोग इसका पानी पीते हैं।
दुनिया में सिर्फ एक बची है अद्भुत भूमिगत जल प्रणाली
खास बात ये है कि, करीब 400 साल पहले मुगलकाल में बनाए गए पानी सप्लाई के लिए ये अद्भुत भूमिगत जल प्रणाली आज भी अपने मूल व्यव्हार में जीवित है। ऐसे ही एक भूमिगत जल प्रणाली बुरहानपुर की तरह ईरान में भी स्थित है, लेकिन वो अब पूरी तरह से बंद हो चुकी है। ये भी माना जाता है कि, मुगलों का ईरान से गहरा नाता रहा है, इसलिए ये जल प्रणाली वहीं से आयातित की गई थी, लेकिन अब दुनियाभर में सिर्फ बुरहानपुर ही वो शहर है, जहां ये आज भी जीवंत अवस्था में मौजूद है।
इस तरह काम करता है सिस्टम
इतिहासकारों की मानें तो जल संरचना के चारों तरफ सतपुड़ा के पहाड़ और घनी झाड़ियां हैं, जिसके चलते वहां से पानी रिसते हुए इस संरचना के केंद्र बिंदु तक आता है जो बिना किसी पंपिंग सिस्टम के केवल हवा के दबाव से ही 101 कुंडलियों तक पहुंचता है। यहां जमीन से 80 फीट नीचे कुंडी में कैप्सूल लिफ्ट से नीचे उतरने पर जल संरचना का अद्भुत नजारा दिखाई पड़ता है, जहां पहाड़ों से पानी रिस्ते हुए दिखाई देता है। आधुनिकता के इस दौर में भी यहां आने वाले पर्यटक इस अद्भुत निर्माण को दखकर चकित रह जाते हैं। जमीन से 80 फीट नीचे कुंडलियों में उतरने के लिए नगर निगम ने एक कैप्सूल लिफ्ट भी लगाई है, जिसमें पर्यटक जमीन की सतह से 80 फीट नीचे उतरकर अद्भुत कुंडी भंडारे की संरचना देखते हैं। यहां पहुंचने के लिए बुरहानपुर रेलवे स्टेशन से कुंडी भंडारे तक रास्ता भी बनाया गया है, ताकि सुगमता से पर्यटक कुंडी भंडारे तक आ सकें।
यूं नाम पड़ा खूनी भंडारा
इतिहासकारों की मानें तो पूरी दुनिया के एकमात्र जीवंत जल प्रणाली को खूनी भंडारा, कुंडी भंडारा और नैहरे खैरे जारियां के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, कुछ आक्रमण कारियों ने व्यापारी जत्थे को लूट लिया था, जिसके बाद उनकी हत्या कर शवों को यहीं फैंक दिया गया था। बाद में यहां पहुंचने वाले लोगों ने जैसे ही शवों को हटाया तो यहां से पानी का भंडार निकल आया। तब से इसका नाम खूनी भंडारा पड़ गया।
UNESCO ने सर्वे किया पर नहीं बन सका विश्व धरोहर- सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल
वहीं, इस संबंध में सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल का कहना है कि, विडंबना तो ये है कि, कुंडी भंडारा अपने आप में विश्वभर में सबसे अद्भुत है, बावजूद इसके अबतक इसे विश्व विरासत में शामिल नहीं किया जा सका है। 2007 में यूनेस्को की टीम ने यहां सर्वे भी किया था, लेकिन मापदंड पूरे न होने के चलते इसे विश्व धरोहर में शामिल नहीं किया गया। अब चूंकी यूनेस्को ने सारे मापदंड पूरे कर लिए हैं तो बहुत जल्द राज्य और केंद्र सरकार से बात कर इसे विश्व विरासत में शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे, ताकि शहर का और ज्यादा विकास हो। यहां ज्यादा से ज्यादा पर्यटक आएं और इस अद्भित निर्माण को देख सकें।
Published on:
19 Dec 2022 08:43 pm
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