
SIP की रकम का चुनाव भविष्य की वित्तीय जिम्मेदारियों को ध्यान में रखकर करना चाहिए. (PC: Canva)
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना अब काफी पॉपुलर हो चुका है, क्योंकि SIP आपको निवेश में एक लचीलापन देता है. आप अपनी सहूलियत और क्षमताओं के हिसाब से निवेश कर सकते हैं और लंबी अवधि में एक अच्छा कॉर्पस बना सकते हैं. लेकिन इसमें सबसे जरूरी बात ये है कि SIP से फायदा तभी मिलेगा जब आप कुछ कॉमन गलतियां न करें. ये गलतियां चुपचाप आपकी वेल्थ क्रिएशन को खा जाती हैं. इसलिए हम आपको यहां पर 5 सबसे कॉमन गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अक्सर लोग करते हैं, और फिर शिकायत करते हैं कि SIP से पैसा नहीं बना
SIP कोई फटाफट करोड़पति बनाने की स्कीम नहीं है. इसलिए शुरू शुरू में कई लोग बहुत ज्यादा बड़ी रकम से SIP की शुरुआत करते हैं. इसका नुकसान ये है कि अगर आप उस SIP को लंबे समय तक जारी नहीं रख सके तो बीच में ही बंद करना पड़ सकता है. SIP का तो सारा खेल ही लॉन्ग टर्म निवेश पर ही टिका है. इसलिए जरूरी है कि SIP की राशि उतनी चुनें, जितना आप आसानी से लंबे समय तक निवेश करने में सक्षम रहें.
SIP की रकम का चुनाव भविष्य की वित्तीय जिम्मेदारियों को ध्यान में रखकर करना चाहिए. जैसे- मान लीजिए आज आप 50,000 रुपये की SIP करने में सक्षम हैं, क्योंकि आपकी शादी नहीं हुई, न होम लोन है, न कार लोन है. बच्चों की फीस और दूसरी पारिवारिक जिम्मेदारियां भी नहीं हैं. मगर जब आपकी शादी होगी और ये सारी जिम्मेदारियां आपको उठानी होंगी तब आप इतनी मोटी SIP को क्या आगे जारी रख सकेंगे. इसलिए SIP की रकम इतनी रखनी चाहिए कि बाकी खर्चे भी आराम से चल जाएं.
मार्केट में उतार चढ़ाव तो आते रहते हैं, इससे घबराना नहीं है, लेकिन ये अक्सर देखा गया है कि जब भी मार्केट क्रैश हुआ या कोई बड़ी गिरावट आई तो लोग घबराहट में सबसे पहला काम SIP को बंद कर देते हैं. यही सबसे बड़ी गलती है. जबकि करना ये चाहिए कि जब मार्केट डाउन हो तब SIP को कतई बंद न करें, क्योंकि गिरे हुए बाजार में आपको म्यूचुअल फंड्स की ज्यादा यूनिट्स मिलती हैं. इसका फायदा तब दिखता है जब बाजार बाउंस बैक करता है. तो यही यूनिट्स आपको वेल्थ बनाकर देती हैं. बाजार में गिरावटें आती रहती हैं, SIP अगर चालू रखते हैं तो लंबी अवधि में इन उतार-चढ़ाव का असर नहीं होता है, बल्कि एवरेजिंग का पूरा फायदा इसी में मिलता है.
अगर आप वेल्थ बनाने की सोच से SIP शुरू कर रहे हैं तो लॉन्ग टर्म लक्ष्य लेकर ही चलें. 2-3 साल में पैसा निकालने से ज्यादा वेल्थ नहीं बनेगा. कंपाउंडिंग का जादू तो लंबी अवधि में ही दिखेगा. असली कंपाउंडिंग तो निवेश के 7, 10 और 15वें साल में शुरू होती है. अगर आप इससे पहले ही निवेश से बाहर आ जाते हैं, तो फिर कंपाउंडिंग का फायदा नहीं ले पाएंगे. इसलिए निवेश का एक लक्ष्य लेकर चलें कि आपको 10 साल से कम वक्त के लिए निवेश नहीं करना है. तभी कंपाउंडिंग का फायदा दिखेगा.
दूसरे की थाली हमेशा बढ़िया लगती है. अगर आपको भी लगता है कि आपके पोर्टफोलियो में जो फंड्स हैं, वो बढ़िया परफॉर्म नहीं कर रहे हैं, बल्कि कोई दूसरा फंड है जो काफी बढ़िया रिटर्न दे रहा है तो आप उनको स्विच कर सकते हैं, लेकिन बार बार फंड्स में स्विच करना एक बुरी आदत है. क्योंकि जितनी बार आप फंड्स स्विच तरते हैं आपको एग्जिट लोड, टैक्स और कंपाउंडिंग का नुकसान उठाना पड़ता है. देखिए अपने फंड्स के प्रदर्शन पर नजर जरूर रखनी चाहिए, लेकिन बार-बार लगातार हर रोज फंड्स के प्रदर्शन को देखने से फायदा नहीं होगा. लंबी अवधि में अगर कोई फंड अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो आप उसे स्विच कर सकते हैं. इसमें कोई बुराई नहीं है.
एक्सपेंस रेश्यो म्यूचुअल फंड का वो सालाना चार्ज है जो फंड हाउस आपके निवेश से काटता है, फंड मैनेजमेंट, एडमिन और अन्य खर्चों के लिए. ये हो सकता है कि दो फंड्स बिल्कुल एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन उनका एक्सपेंस रेश्यो अलग अलग हो सकता है. एक्सपेंस रेश्यो हर साल आपके रिटर्न का एक हिस्सा खा जाता है. ये दिखने में तो छोटा सा अमाउंट लगता है, लेकिन लंबी अवधि में काफी बड़ी रकम बन जाती है
अगर आपने अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में संयम रखा और इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा तो लंबी अवधि में आप भी वेल्थ क्रिएट कर सकते हैं. निवेश का पहला सबक तो यही है कि आप जितनी जल्दी शुरू करेंगे, उतना ज्यादा वेल्थ क्रिएट कर पाएंगे. इसलिए SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश से पैसा तो बनता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है, संयम और धैर्य. बाजार की स्थितियों के हिसाब से आप अपने फैसले नहीं बदलें. क्योंकि आपका लक्ष्य लंबी अवधि का है.
Published on:
16 Dec 2025 04:25 pm
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