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Air Pollution बढ़ा रहा सांस की बीमारियां, क्या आपका हेल्थ इंश्योरेंस करता है इन्हें कवर?

Respiratory Disease Health Insurance: वायु प्रदूषण से सांस की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और इलाज का खर्च भी भारी हो रहा है। हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले जानना जरूरी है कि कैसे ये पुरानी बीमारियों में सुरक्षा देता है और इसमें कौनसा इलाज मिलता है।

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भारत

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Pawan Jayaswal

Dec 16, 2025

Health Insurance

स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां अस्पताल में भर्ती से जुड़े खर्चों को कवर करती हैं। (PC: Pixabay)

Respiratory Disease Health Insurance: भारत में वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। ये प्रदूषण अपने साथ सांस से जुड़ी ढेरों बीमारियां लेकर आता है। वायु प्रदूषण फेफडों के साथ-साथ शरीर के दूसरे हिस्सों जैसे नर्वस सिस्टम, पाचन तंत्र और यूरिनरी सिस्टम पर भी गहरा असर करता है। ऐसे वातावरण में ज्यादा समय तक रहने से ​स्थिति और गंभीर होती जाती है और फिर बार-बार हॉस्पिटल के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन बीमारियों का इलाज काफी लंबा हो सकता है और जेब पर भी भारी प्रभाव डालता है। ऐसे में सही इंश्योरेंस पॉलिसी काफी कारगर साबित हो सकती है, जिसमें सांस से जुड़ी बीमरियां भी कवर होती हैं। लेकिन क्या सभी पॉलिसियों में लाभ मिलता है? आइए इस लेख में जानते हैं।

Health Insurance में क्या होता है कवर?

अधिकांश स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां अस्पताल में भर्ती से जुड़े खर्चों को कवर करती हैं, जिससे मरीजों को इलाज के खर्च संभालने में मदद मिलती है। कई योजनाओं में OPD (आउटपेशेंट विभाग) के लाभ शामिल हैं, जिनमें चेस्ट एक्स-रे और CT स्कैन जैसे जांच परीक्षण, डॉक्टर से परामर्श, फॉलो-अप, सालाना हेल्थ चेकअप, टेली-कंसल्टेशन और नियमित दवाओं का खर्च शामिल होता है। इसके अलावा, कुछ योजनाएं नेब्युलाइजेशन थेरेपी जैसी डे-केयर प्रक्रियाओं को भी कवर करती हैं, जिनमें रात भर अस्पताल में रुकने की जरूरत नहीं होती। यह खास तौर पर अस्थमा या COPD जैसी सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए फायदेमंद है। इन सुविधाओं के जरिए स्वास्थ्य बीमा बेहतर इलाज और सेवाओं तक पहुंच देता है और लंबे इलाज के दौरान वित्तीय बोझ को काफी कम करता है।

क्या होगा अगर पहले से बीमारी हो?

बजाज हेल्थ इंश्योरेंस लिमिटेड की हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम के हेड भास्कर नेरुरकर ने बताया कि यदि इंश्योरेंस खरीदने से पहले ही आपको बीमारी लग चुकी है, तो इसे प्री-एग्जिस्टिंग इलनेस में रखा जाएगा। इसके तहत आपका कवरेज शुरू होने से पहले आपको वेटिंग पीरियड पूरा करना होगा, जिसकी अवधि आमतौर पर 2 से 4 साल तक हो सकती है। पॉलिसी खरीदने से पहले ही अपनी सभी बीमारियों के बारे में जानकारी दे देनी चाहिए। बाद में पता चलने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकते हैं।

नई योजनाओं में मिलता है अनलिमिटेड इलाज

अब बीमा बाजार में कस्टमाइजेबल योजनाएं उपलब्ध हैं, जिनमें ग्राहक अपनी जरूरत के अनुसार कवरेज चुन सकते हैं। इनमें बेहतर OPD लाभ मिलते हैं, जिसमें कीमत प्रीमियम राशि के दोगुने तक हो सकती है। यानी अगर आपका 100 रुपये का प्रीमियम है, तो आपको 200 रुपये तक का लाभ मिल सकता है। 5 करोड़ रुपये तक का इलाज एक बार में करवा सकते हैं। वहीं, अगर एक बार पूरी रकम खर्च करके इलाज करवा लिया तो अनलि​मिटेड सम इंश्योर्ड रिइंस्टेटमेंट (unlimited sum insured reinstatement) की सहायता से आपको दोबारा पैसा मिल जाता है और आप दोबारा करोड़ों का इलाज करवा सकते हैं। इसमें होम नर्सिंग की सुविधा भी शामिल हो सकती है, जिसमें घर पर नर्स आकर आपका खयाल रखती है।

अच्छी बात यह है कि बीमा कंपनियां अब ऐसे प्लान और प्रोडक्ट तैयार कर रही हैं, जिनमें अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी पुरानी बीमारियों के लिए कवरेज लेना आसान हो गया है, खासकर वेटिंग पीरियड के मामले में। ये विकल्प पुरानी सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए काफी उपयोगी हैं, क्योंकि ये उन्हें व्यापक सुरक्षा देते हैं और उनकी कुल वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाते हैं।