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निजीकरण के विरोध में 15-16 मार्च को बैंक हड़ताल, जमा-निकासी और चेक क्लीयरेंस होगा प्रभाव

locationनई दिल्लीPublished: Mar 15, 2021 08:09:23 am

Submitted by:

Shaitan Prajapat

बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में देशभर में दो दिन बैंकों की हड़ताल।हड़ताल के कारण जमा और निकासी, चेक क्लीयरेंस और ऋण स्वीकृति जैसी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। इस दौरान ग्राहकों को ऑनलाइन भुगतान के अलावा कैश के लिए एटीएम पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।

Bank strike

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नई दिल्ली। आपको बैंक से संबंधित कोई जरूरी काम है तो आपको परेशानी होने वाली है। क्योंकि सरकारी बैंकों को प्राइवेट क्षेत्र को सौंपने के सरकार के कदम के खिलाफ पब्लिक सेक्टर के बैंक दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जा रहे हैं। जिसके चलते सोमवार और मंगलवार यानी 15 और 16 मार्च को बैंकों की हड़ताल होगी। राष्ट्रव्यापी हड़ताल के चलते सोमवार और मंगलवार को देशभर में बैकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। हड़ताल के कारण जमा और निकासी, चेक क्लीयरेंस और ऋण स्वीकृति जैसी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। इस दौरान ग्राहकों को ऑनलाइन भुगतान के अलावा कैश के लिए एटीएम पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।

84 कर्मचारी और मजदूर यूनियन ने दिया समर्थन
देश के 12 सरकारी बैंकों के लाखों कर्मचारी और अधिकारी दो बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में देशव्यापी हड़ताल करेंगे। बैंक कर्मचारियों के शीर्ष संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के आह्वान पर हो रही इस हड़ताल को देश की अन्य 84 कर्मचारी और मजदूर यूनियन ने अपना समर्थन दिया है। आपको बता दें कि पिछले महीने पेश किये गये केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के तहत अगले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी।

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‘युवा हल्लाबोल’ ने भी किया समर्थन
निजीकरण का विरोध कर रहे बैंक कर्मियों की हड़ताल में पहली बार युवा शामिल होने जा रहे है। सोशल मीडिया पर ‘हम देश नहीं बिकने देंगे’ हैशटैग से मुहिम छेड़ने जा रहे है। युवा हल्लाबोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम के मुताबिक, देशभर के बैंकों में 15 व 16 मार्च को होने वाली हड़ताल में युवा वर्ग भी शामिल होगा। इसके अलावा ट्विटर पर ‘हम देश नहीं बिकने देंगे’ हैशटैग के जरिए निजीकरण के खिलाफ मुहिम शुरू की है। रोजगार के मुद्दे को राष्ट्रीय बहस में लाने वाले ‘युवा हल्ला बोल’ के संयोजक अनुपम ने मुनाफा कमा रहे सरकारी बैंकों को राजनीतिक स्वार्थ के लिए निजी हाथों में सौंपने की योजना का पुरजोर विरोध किया है।

निजी हाथों में सौंपने से कर्मचारियों की नौकरी खतरे में
बैंक कर्मचारियों की मांग है कि सरकारी बैंकों को निजी हाथों में न सौंपा जाएगा। इससे कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। सरकार का इस बाबत कहना है कि कुछ सरकारी संस्थानों को चलाने के लिए इन बैंकों का निजीकरण करना बेहद आवश्यक है। अगर कुछ संस्थानों का निजीकरण नहीं किया गया तो, वहां के कर्मचारियों की सैलरी को भी निकाल पाना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में बेहतर है कि इन संस्थानों को निजी हाथों में सौंप दिया जाए, ताकि कर्मचारियों की नौकरी चलती रहे। सरकार का दावा है कि निजीकरण के बाद किसी भी कर्मचारी के नौकरी पर असर नहीं पड़ने वाला है।

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