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कैश में करते हैं 20,000 रुपये से ज्यादा का लेनदेन? पेनल्टी में देनी पड़ जाएगी उतनी ही रकम, जानिए नियम

Cash Payment Rules: बड़ी रकम का पेमेंट हमेशा चेक, बैंक ड्राफ्ट या निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक तरीकों जैसे- NEFT, RTGS, UPI के माध्यम से करना चाहिए। कैश पेमेंट पेनल्टी का कारण बन सकता है।

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Cash Payment Rules

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की लास्ट डेट 15 सितंबर है। (PC: Gemini)

भारत में लोग छोटे से लेकर बड़ी खरीदारी तक में यूपीआई और कैश पमेंट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कैश का इस्तेमाल आपको इनकम टैक्स पेनल्टी की तरफ भी ले जा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 271DD के अनुसार, अगर आप किसी खरीदारी में या किसी लेनदेन में 20,000 रुपये से अधिक का पेमेंट कैश में करते हैं, तो आप पर इतनी ही रकम की पेनल्टी लग सकती है।

दोस्त या रिश्तेदार से भी कैश में नहीं ले सकते पैसा

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 269SS के तहत लोगों के बीच पर्सनल ट्रांजेक्शंस में भी समान नियम लागू होता है। इनमें दोस्त और रिश्तेदार भी आ जाते हैं। इसके अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से 20,000 या इससे अधिक की रकम कैश में नहीं ले सकता है। इस रकम को चेक, बैंक ड्राफ्ट या निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक तरीकों जैसे- NEFT, RTGS, UPI आदि के माध्यम से ही लिया जा सकता है। अगर आपने किसी व्यक्ति से 20,000 रुपये या इससे अधिक की रकम कैश में ली है, तो आप पर उतनी ही रकम के बराबर पेनल्टी लग सकती है।

इन पर नहीं लागू होता नियम

हालांकि, यह नियम उस रकम पर लागू नहीं होता है, जो निम्न से ली जाती है या उनके द्वारा स्वीकार की जाती है:

-सरकार
-एक बैंकिंग कंपनी, डाकघर बचत बैंक, सहकारी बैंक (लेकिन सभी सहकारी समितियां नहीं)
-एक केंद्रीय, राज्य या प्रांतीय अधिनियम द्वारा स्थापित निगम
-कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(45) में परिभाषित एक सरकारी कंपनी
-एक अधिसूचित संस्था, संघ या निकाय (या संस्थाओं, संघों या निकायों का वर्ग)

यह नियम तब भी लागू नहीं होता है, जब भुगतानकर्ता और प्राप्तकर्ता दोनों कृषि आय कमा रहे हों और उनमें से किसी की भी आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कर योग्य आय न हो।

इन बातों का भी रखें ध्यान

-अगर आपने एक वित्त वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) में 10 लाख रुपये या उससे अधिक कैश जमा किया है, चाहे वह राशि एक ही खाते में हो या कई खातों में मिलाकर हो, तो बैंक इसकी जानकारी आयकर विभाग को देगा। आयकर विभाग आपसे पूछ सकता है कि आपको इतना पैसा कहां से मिला। जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

-अगर आप एक साल में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की एफडी कैश में करते हैं, तो यह भी आयकर विभाग की नजर में आ सकता है। एफडी में इस्तेमाल किए गए पैसे का सोर्स स्पष्ट होना चाहिए।

-अगर आप 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा का इन्वेस्टमेंट कैश में करते हैं, तो इसकी जानकारी भी आयकर विभाग के पास जाती है। आपके पास टैक्स नोटिस भी आ सकता है।

-अगर आप हर महीने 1 लाख रुपये या उससे ज्यादा का क्रेडिट कार्ड बिल कैश में चुकाते हैं, तो यह भी आयकर विभाग के रिकॉर्ड में आ जाता है। अगर आप बार-बार ऐसा करते हैं, तो सवाल उठ सकते हैं।

-अगर आप 30 लाख रुपये या उससे अधिक की कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो आपको उस रकम का सोर्स बताना होगा। शहरों में यह लिमिट 50 लाख रुपये और ग्रामीण इलाकों में 20 लाख रुपये है।