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मुश्किल समय में परिजन ऐसेे कर सकते हैं आपके बैंक खाते का इस्तेमाल

बैंक खाते के लिए बने कड़े नियम आपके लिए अच्छे होने के साथ कई बार कष्टदायी भी हो सकते हैं।

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नई दिल्ली. बैंक खाते के लिए बने कड़े नियम आपके लिए अच्छे होने के साथ कई बार कष्टदायी भी हो सकते हैं। इसे हाल में हुई एक घटना से समझ सकते हैं। एक महिला को अपने बीमार पति के बैंक अकाउंट को यूज करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। महिला के पति कोमा में थे और उनके इलाज के लिए पैसे की सख्त जरूरत थी पर वह पति के बैंक खाते का इस्तेमाल नहीं कर पा रही थी। बाद में कोर्ट ने पत्नी को पति के अभिभावक के तौर पर अकाउंट का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी पर इस दौरान करीब एक महीने महिला को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। आइए जानते हैं कि बचत खाते कैसे संचालित होते हैं और मुश्किल समय में आपके परिवार के सदस्य भी इसका इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं...

कानूनी तौर पर नॉमिनी उत्तराधिकारी नहीं

खाता खोलते समय नॉमिनेशन फाइल करना बिल्कुल ना भूलें। यह आपको कई तरह की परेशानियों से बचा सकता है। इसमें साफ है कि अकाउंट होल्डर की मौत या उसके बाद कभी भी नॉमिनी को क्लेम का भुगतान किया जाएगा। नॉमिनी कानूनी तौर पर उत्तराधिकारी नहीं होता है। नॉमिनी और कानूनी उत्तराधिकारी दोनों अलग शख्स हो सकते हैं। अगर कोई नॉमिनी नहीं है तो कानूनी उत्तराधिकारी पैसे का हकदार होगा। नॉमिनी का नाम होने पर बैंक भुगतान के लिए किसी दूसरे दस्तावेज की मांग नहीं करते हैं। अच्छी बात यह है कि आप किसी भी समय अपना नॉमिनी बदल भी सकते हैं।

संयुक्त बैंक खाता हो सकता है बेहतर विकल्प
हालांकि यह भी समझने की जरूरत है कि बैंक अकाउंट होल्डर की मौत होने पर ही नॉमिनी को पैसे का हकदार मानेगा। अगर अकाउंट होल्डर कोमा में या लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है तो बैंक नॉमिनी को अकाउंट इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देगा। इस मुश्किल से बचने के लिए अच्छा यह है कि संयुक्त बैंक खाता खोला जाए।

आइदर ऑर सर्वाइवर

इसमें दोनों खाता धारक अकाउंट का इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों के पास पूरा अधिकार होता है। यहां, दोनों डिपॉजिटर के हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होगी। अगर पति और पत्नी अपना आइदर ऑर सर्वाइवरअकाउंट खोलते हैं तो इनमें से एक के न होने पर भी दूसरा बड़ी आसानी से इसे इस्तेमाल कर सकता है।

फॉर्मर ऑर सर्वाइवर
इस केस में जब दोनों डिपॉजिटर जीवित हों तो फॉर्मर यानी पहला खाताधारक अकेले अकाउंट का इस्तेमाल कर सकता है। अगर डिपॉजिट को उसकी मेच्योरिटी से पहले निकाला जाता है तो दोनों डिपॉजिटर के हस्ताक्षर की जरूरत होगी। पहले खाताधारक की मौत होने की दशा में सर्वाइवर या दूसरे खाताधारक को अकाउंट का पूरा अधिकार मिल जाएगा। अगर पहला खाताधारक जीवित है तो बैंक कानूनी तौर पर दूसरे को अकाउंट का चार्ज नहीं दे सकता है। इस केस में कोर्ट के आदेश के बाद ही बैंक कोई फैसला ले सकता है।

क्या आपको संयुक्त खाता खोलना चाहिए?

संयुक्त खाते के भी अपने फायदे और नुकसान हैं। सबसे बड़ा लाभ है कि जब जरूरत होगी, दोनों खाताधारक पैसे का इस्तेमाल कर सकते हैं। कपल के लिए यह काफी सुविधाजनक रहता है। दूसरा फायदा यह है कि अगर आपने नॉमिनेशन फाइल किया है और सर्वाइवर क्लॉज चुना है तो भी बैंक अकाउंट का चार्ज सर्वाइवर को देगा, नॉमिनी को नहीं। नॉमिनी को तभी अकाउंट सौंपा जाएगा जब दोनों खाताधारक की मौत हो चुकी हो। हालांकि इस जॉइंट अकाउंट की सबसे बड़ी खामी है कि इससे आपको अपने पैसे को लेकर स्वतंत्रता की भावना का बोध नहीं होता है।