scriptभारतीय बाजारों से 1.5 महीने में 1 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके विदेशी निवेशक, जानिए क्यों? | FPI Foreign investors have withdrawn Rupee 1 lakh crore from Indian markets in 1-5 months know why | Patrika News
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भारतीय बाजारों से 1.5 महीने में 1 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके विदेशी निवेशक, जानिए क्यों?

FPI: 2025 की शुरुआत से विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 1 लाख करोड़ रुपये की पूंजी निकाली। फरवरी में अब तक 21,272 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली हो चुकी है।

मुंबईFeb 15, 2025 / 03:30 pm

Ratan Gaurav

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FPI: भारतीय शेयर बाजार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली जारी है। 2025 की शुरुआत से ही विदेशी निवेशक आक्रामक रूप से भारतीय बाजारों से पूंजी निकाल रहे हैं, और अब यह आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने वर्ष 2025 के पहले डेढ़ महीने में 99,299 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले हैं।

फरवरी में भी जारी रही बिकवाली (FPI)

जनवरी में भारी बिकवाली के बाद फरवरी में भी विदेशी निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयरों से दूरी बनाए रखी। फरवरी 10 से 14 के बीच ही एफपीआई ने 13,930.48 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए। इस तरह, फरवरी में अब तक कुल 21,272 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली हो चुकी है। इससे पहले, जनवरी में विदेशी निवेशकों ने 78,027 करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार से निकाले थे।
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2024 के अंत में था सकारात्मक रुख

बीते साल दिसंबर में विदेशी निवेशकों (FPI) का भारतीय बाजारों में रुझान सकारात्मक था और उन्होंने 15,446 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। हालांकि, पूरे 2024 में एफपीआई की कुल शुद्ध खरीदारी घटकर केवल 427 करोड़ रुपये रह गई थी।

बिकवाली के प्रमुख कारण

विश्लेषकों का मानना है कि विदेशी निवेशकों की इस आक्रामक बिकवाली के पीछे कई वैश्विक कारक जिम्मेदार हैं—

अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी: अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण निवेशक अब सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।
भू-राजनीतिक तनाव: वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं, जैसे कि पश्चिम एशिया में तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राजनीति में सक्रिय वापसी के बाद वहां की अर्थव्यवस्था में निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। निवेशकों को उम्मीद है कि ट्रंप की नीतियों से अमेरिकी बाजारों में स्थिरता आएगी, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों से निवेश बाहर जा रहा है।
विकसित बाजारों की ओर रुझान: वैश्विक निवेशक अब उभरते बाजारों (इमर्जिंग मार्केट्स) से विकसित बाजारों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे भारत से भी पूंजी का बहिर्वाह हो रहा है।

भारतीय बाजार पर असर

लगातार बिकवाली के चलते भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। एफपीआई (FPI) की बिकवाली से बैंकिंग, आईटी और मेटल सेक्टर पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ा है। यदि यह रुझान जारी रहा, तो बाजार में और गिरावट देखने को मिल सकती है। ब्रोकरेज हाउस और विश्लेषकों का मानना है कि यदि वैश्विक कारक भारतीय बाजारों पर हावी रहते हैं, तो निकट भविष्य में एफपीआई का निवेश और कम हो सकता है। हालांकि, घरेलू निवेशकों (DII) की सक्रियता के चलते भारतीय बाजार को कुछ हद तक समर्थन मिल रहा है।

क्या होगा आगे?

विशेषज्ञों के मुताबिक, आने वाले महीनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व (FPI) की ब्याज दरों से संबंधित नीतियां, वैश्विक बाजार की स्थिति और भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती एफपीआई के निवेश को प्रभावित करेंगी। यदि घरेलू बाजार में स्थिरता बनी रहती है और सरकार निवेशकों के लिए आकर्षक नीतियां लाती है, तो एफपीआई का प्रवाह वापस लौट सकता है।
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एफपीआई की बड़े पैमाने पर बिकवाली

भारतीय शेयर बाजार को (Share Market) 2025 की शुरुआत में ही एफपीआई (FPI) की बड़े पैमाने पर बिकवाली का सामना करना पड़ा है। वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और अमेरिकी नीतियों का असर भारत पर दिख रहा है। ऐसे में, निवेशकों को सतर्क रहना होगा और बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए भारतीय कंपनियों और सरकार को अधिक मजबूत कदम उठाने होंगे।

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