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Gold Silver Price: सोना-चांदी खरीदने का सही समय निकल गया या अब भी है मौका?

Gold price forecast next year: सोने और चांदी की कीमतों में 2026 में भी उछाल दिखाई दे सकता है। एक्स्पर्ट्स का मानना है कि मांग बढ़ने के चलते इन धातुओं की कीमतों में तेजी बनी रह सकती है।

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Gold Silver Price

सोने और चांदी ने इस साल शानदार रिटर्न दिया है। (PC: AI)

Gold Silver price outlook 2026: सोने और चांदी की कीमतें आसमान पर हैं। चांदी के प्रदर्शन ने तो सभी को चौंका दिया है। चांदी 2 लाख रुपए के आंकड़े को पार कर गई है, जबकि अनुमान था कि यह मुकाम सिल्वर नए साल में हासिल करेगी। 2026 में भी इन धातुओं के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। ऐसे में इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है कि सोना-चांदी को खरीदने का सही समय निकल गया या फिर अभी भी मौका है?

कंस्ट्रक्टिव है 2026 का आउटलुक

गोल्ड और सिल्वर को लेकर तमाम एक्स्पर्ट्स का 2026 का आउटकुल पॉजिटिव है। अगले साल सोना डेढ़ लाख का आंकड़ा पार कर सकता है और चांदी 3 लाख की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच सकती है। इस लिहाज से देखें तो निवेश का समय अभी निकला नहीं है। हालांकि, कीमतों में लगातार तेज उछाल के बाद एक करेक्शन की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसलिए सतर्कता और समझदारी से निवेश जरूरी है। एनडीटीवी प्रॉफिट की रिपोर्ट के अनुसार, निर्मल बांग सिक्योरिटीज में कमोडिटी रिसर्च के हेड कुणाल शाह का कहना है कि 2026 में कीमती धातुओं के लिए आउटलुक कंस्ट्रक्टिव बना हुआ है, लेकिन अनुशासन ज़रूरी है।

कैसे निवेश करना है बेहतर?

कुणाल शाह चांदी की तुलना में सोने को लेकर अधिक आशावादी हैं। उन्होंने निवेशकों को सलाह देते हुए कहा कि गोल्ड में निवेश का सबसे अच्छा तरीका धीरे-धीरे खरीदना है। गोल्ड ETF के जरिए सोने में निवेश सबसे अच्छा विकल्प है। शाह का कहना है कि मॉनेटरी डिस्बर्समेंट के मौजूदा हालात को देखते हुए सोना एक जरूरी एसेट बना रहेगा। इस वजह से वह चांदी की तुलना में सोने को लेकर अधिक उत्साहित हैं। मालूम हो कि चीन आदि देश फिर से अपने सोने को भंडार को भर रहे हैं। इससे डिमांड और सप्लाई के बीच का अंतर चौड़ा होने की भी संभावना है।

फिलहाल बड़े निवेश से बचें

कोटक म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर सतीश डोंडापति का कहना है कि चांदी 2 लाख रुपए प्रति किलो का आंकड़ा पार कर गई है। यह तेजी बढ़ती निवेश मांग के साथ-साथ मजबूत इंडस्ट्रियल डिमांड को दर्शाती है। चांदी को रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री का सपोर्ट मिला है, यहां चांदी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। सिल्वर इस समय दोहरी भूमिका निभा रही है - सेफ-हेवन एसेट और जरूरी इंडस्ट्रियल मेटल। हालांकि, इसके बावजूद निवेशकों को एकमुश्त बड़ी रकम लगाने से बचना चाहिए। सतीश डोंडापति के अनुसार, बड़ा निवेश करने के बजाए शॉर्ट-टर्म में संभावित उतार-चढ़ाव और कंसोलिडेशन के साथ, SIP या STP (सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान)के जरिए धीरे-धीरे निवेश अच्छा रहेगा।

SIP/STP रणनीति सही

गोल्ड के बारे में सतीश डोंडापति ने कहा कि ग्लोबल अनिश्चितता, जियोपॉलिटिकल तनाव और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के चलते सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। महंगाई और करेंसी के उतार-चढ़ाव के खिलाफ सोना सेफ-हेवन के तौर पर अपनी भूमिका बनाए हुए है, जिसे सेंट्रल बैंक की खरीदारी और निवेशकों की लगातार मांग से सपोर्ट मिला है। हालांकि, अगर जियोपॉलिटिकल तनाव में सुधार होता है, अमेरिकी डॉलर में मजबूती लौटती है और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद खत्म होती है, तो शॉर्ट-टर्म कंसोलिडेशन देखने को मिल सकता है। लिहाजा, चांदी की तरह यहां भी बड़े निवेश से बचना चाहिए और SIP/STP की रणनीति से आगे बढ़ना चाहिए।

कीमतों का क्या अनुमान?

वेंचुरा के कमोडिटी और CRM हेड, एनएस रामास्वामी का अनुमान है कि चांदी के दाम अगले साल $100 प्रति औंस (करीब 3 लाख रुपए प्रति किलो) तक पहुंच सकते हैं। जबकि अमेरिकी कारोबारी और मशहूर किताब 'रिच डैड पुअर डैड' के लेखक रॉबर्ट कियोसाकी का अनुमान है कि 2026 में चांदी $200 तक पहुंच सकती है। वहीं, इंडिया इकोनॉमिक कॉनक्लेव के इवेंट में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के CEO डेविड टेट का कहना है कि साल 2026 में भी सोने की कीमतों में तेजी बने रहने के संकेत हैं। अनुमान है कि सोना 6,000 डॉलर प्रति आउंस (1.90 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम) तक जा सकता है।