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अब ओवरटाइम पर मिलेगा दोगुना वेतन, महिलाओं को पुरुषों के बराबर सैलरी, भारत सरकार ने लागू किये 4 लेबर कोड

Labour Codes: भारत में आज से नए लेबर कोड लागू हो गए हैं। इसमें ओवरटाइम करने पर दोगुनी सैलरी का प्रावधान है। साथ ही महिलाओं को पुरुषों के समान सैलरी मिलेगी।

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भारत

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Pawan Jayaswal

Nov 21, 2025

labour codes india

भारत में नए लेबर कोड लागू हो गए हैं। (PC: Gemini)

देश को लेबर कोड्स यानी श्रम संहिताओं का लंबे समय से इंतजार था। यह इंतजार अब खत्म हो गया है। भारत में आज से नई श्रम संहिताएं लागू हो गई हैं। श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी है। मांडविया ने बताया कि सभी कामगारों को समय से न्यूनतम वेतन की गारंटी मिलेगी और महिलाओं को भी पुरुषों के समान सैलरी मिलेगी।

एक साल बाद ग्रेच्युटी की गारंटी

केंद्रीय मंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा, ''मोदी सरकार की गारंटी: हर श्रमिक का सम्मान! आज से देश में नई श्रम संहिताएं लागू हो गई हैं। इसमें सभी कामगारों को समय से न्यूनतम वेतन की गारंटी मिलेगी। युवाओं को नियुक्ति पत्र की गारंटी मिलेगी। महिलाओं को समान वेतन और सम्मान की गारंटी मिलेगी। 40 करोड़ श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी मिलेगी। फिक्स टर्म कर्मचारियों को एक साल बाद ग्रेच्युटी की गारंटी मिलेगी।"

ओवरटाइम करने पर दुगने वेतन की गारंटी

मांडविया ने आगे बताया, ''नई श्रम संहिताओं के तहत 40 साल से अधिक आयु वाले श्रमिकों को सालाना मुफ़्त हेल्थ चेक-अप की गारंटी मिलेगी। ओवरटाइम करने पर दुगने वेतन की गारंटी मिलेगी। जोखिम-भरे क्षेत्रों के कामगारों को 100% हेल्थ सिक्युरिटी की गारंटी मिलेगी और इंटरनेशनल मानकों के मुताबिक श्रमिकों को सामाजिक न्याय की गारंटी मिलेगी।"

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

मांडविया ने कहा कि यह सुधार श्रमवीरों के कल्याण के लिए लिया गया एक ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने कहा कि ये नए श्रम सुधार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को नई गति प्रदान करेंगे।

ये हैं चार लेबर कोड

भारत सरकार ने शुक्रवार को चार लेबर कोड लागू किये हैं। ये हैं- वेतन संहिता (2019), औद्योगिक संबंध संहिता (2020), सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा (OSHWC) संहिता (2020) - 29 मौजूदा केंद्रीय श्रम कानूनों को निरस्त और युक्तिसंगत बनाते हुए।