निर्यातकों और एमएसएमइ पर प्रभाव, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए हुए ये 7 बड़े बदलाव
केंद्रीय बजट 2025-26 में निर्यात क्षेत्र और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमइ) के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्त्वपूर्ण नीतिगत सुधारों और योजनाओं की घोषणा हुई है। इनका उद्देश्य व्यापार को सरल बनाना, वित्तीय सहायता प्रदान करना और निर्यातकों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलना है। इन प्रमुख बदलावों को समझते हैं।
केंद्रीय बजट 2025-26 में निर्यात क्षेत्र और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमइ) के विकास को बढ़ावा देने के लिए कई महत्त्वपूर्ण नीतिगत सुधारों और योजनाओं की घोषणा हुई है। इनका उद्देश्य व्यापार को सरल बनाना, वित्तीय सहायता प्रदान करना और निर्यातकों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलना है। इन प्रमुख बदलावों को समझते हैं।
- बिल ऑफ एंट्री/शिपिंग बिल में स्वैच्छिक संशोधन नई व्यवस्था: बजट 2025 के तहत धारा 18ए पेश की गई है, जिससे आयातक-निर्यातक क्लीयरेंस के बाद भी बिल ऑफ एंट्री या शिपिंग बिल में संशोधन कर सकते हैं।
स्वैच्छिक संशोधन: क्लीयरेंस के बाद गलती सुधार की अनुमति। स्व-मूल्यांकन: संशोधन को स्वीकृति, सटीक कर भुगतान सुनिश्चित। रिफंड: अधिक शुल्क होने पर रिफंड का प्रावधान। लाभ: यह प्रावधान कस्टम्स को सरल बनाता और अनावश्यक विलंब या दंड से बचाता है। - क्रस्ट लेदर पर निर्यात शुल्क में छूट
परिवर्तन: निर्यात शुल्क 20त्न से घटाकर 0त्न कर दिया गया है।
लाभ: जीएसटी रिफंड पर प्रतिबंध हटेगा, निर्यातकों को पूरा लाभ मिलेगा और कार्यशील पूंजी में सुधार होगा। - भारत ट्रेड नेट का शुभारंभ
यह एक व्यापार डॉक्यूमेंट्स व वित्त पोषण मंच है, जो निर्यात प्रक्रिया को सरल बनाता है।
लाभ: निर्यातक एक ही मंच पर दस्तावेजों व अनुपालन प्रक्रिया को पूरी कर समय व लागत दोनों बचा सकते हैं। - हवाई माल के लिए गोदाम सुविधा:
नई पहल: हवाई माल के लिए विशेष गोदाम सुविधा शुरू, जिससे लॉजिस्टिक्स आसान और निर्यात दक्षता बढ़ेगी।
लाभ: फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, उच्च मूल्य व जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं के तेज निर्यात में सहायक। जीएसटी सरल होने से आइजीएसटी रिफंड प्रक्रिया तेज होगी। - ‘मेक इन इंडिया’ के तहत खिलौना उद्योग को बढ़ावा
बदलाव: ‘मेक इन इंडिया’ के तहत खिलौना उद्योग को निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन की बात की गई है।
लाभ: घरेलू उत्पादन मजबूत होगा, आयात घटेगा, गुणवत्ता बढ़ेगी और ई-कॉमर्स से निर्यात बढ़ेगा। - हस्तशिल्प निर्यात में बढ़ावा:
परिवर्तन: निर्यात की समय सीमा 6 महीने से बढ़ाकर 1 वर्ष, जरूरत पडऩे पर 3 महीने और। 9 नए इनपुट्स ड्यूटी-फ्री सूची में शामिल। लाभ: निर्यात लागत घटेगी, मांग बढ़ेगी। - जीएसटी रिफंड के अवसरों में वृद्धि:
निर्यात रिफंड: बढ़ी समय सीमा से दावे के लिए अधिक वक्त मिलेगा। ड्यूटी-फ्री कच्चा माल: लेदर, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में लागत घटेगी, रिफंड बढ़ेगा। जीएसटी रिफंड में इजाफा।
-मोहित धमोड़, सीए
Hindi News / Business / निर्यातकों और एमएसएमइ पर प्रभाव, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए हुए ये 7 बड़े बदलाव