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Indian Overseas Bank में हिस्सेदारी बेच रही सरकार, आज बैंक के शेयर पर रहेगी सबकी नजर

Indian Overseas Bank share: सरकार इंडियन ओवरसीज बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटा रही है। ऐसे में आज मार्केट खुलने के बाद बैंक के शेयर में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

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Indian Overseas Bank share: मोदी सरकार ने एक ब्रेक के बाद सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाने की योजना पर फिर से काम शुरू कर दिया है। सरकार इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) में अपनी हिस्सेदारी 3% हिस्सेदारी बेच रही है। ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए हिस्सेदारी बेचकर सरकार को करीब 2100 करोड़ मिल सकते हैं। इस खबर के सामने आने से आज (17 दिसंबर) बैंक के शेयर फोकस में रह सकते हैं।

अभी क्या है शेयर का हाल?

इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) का शेयर पिछले सत्र में एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ 36.55 रुपए पर बंद हुआ था। बीते 5 सत्रों में आईओबी का शेयर 2 प्रतिशत से अधिक नीचे आया है। जबकि इस साल अब तक (YTD) यह 29.54% गिरा है। ऐसे में विनिवेश यानी डिसइन्वेस्टमेंट की खबर से इसमें उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। आमतौर पर जब भी विनिवेश या मर्जर की खबर सामने आती हैं, संबंधित बैंकों के स्टॉक में मजबूती दिखाई देनी लगती है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया के विलय की खबर से दोनों के स्टॉक ऊपर चढ़ गए थे।

क्यों हिस्सेदारी बेच रही सरकार?

सरकार ने OFS के जरिए फ्लोर प्राइस मंगलवार के भाव से करीब 7 प्रतिशत डिस्काउंट पर रखा है। फ्लोर प्राइस 34 रुपए है जबकि शेयर पिछले सत्र में 36.55 रुपए पर बंद हुआ था। सरकार का कहना है कि उसने सरकारी बैंकों में न्यूनतम हिस्सेदारी के नियमों के अनुरूप यह फैसला लिया है। फिलहाल इस बैंक में सरकार की 94% के आसपास हिस्सेदारी है। सरकार पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और सेंट्रल बैंक में भी अपनी हिस्सेदारी कम कर सकती है।

क्या होता है OFS?

ऑफर फॉर सेल एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके तहत लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटर्स अपने शेयर बेचकर हिस्सेदारी घटाते हैं। आमतौर पर ऐसा सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के न्यूनतम शेयर होल्डिंग नियमों का पालन करने के लिए किया जाता है। अब चूंकि, OFS के जरिए प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं, इसलिए बिक्री का पैसा कंपनी को नहीं मिलता बल्कि प्रमोटर के खाते में जाता है। आईपीओ यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में जहां कोई कंपनी लिस्टिंग के लिए नए शेयर जारी करती है। वहीं, OFS में पुराने शेयर बेचे जाते हैं। इस प्रक्रिया को SEBI ने 2012 में शुरू किया था।

क्या कहता है सेबी का नियम?

सेबी का नियम कहता है कि लिस्टेड कंपनियों में कम से कम 25% हिस्सेदारी सार्वजनिक होनी चाहिए। सरकार का कहना है कि इसी नियम के अनुरूप उसने IOB में हिस्सेदारी घटाने का फैसला लिया है। बिजनेस स्टैन्डर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले सरकार ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 6% हिस्सेदारी घटाई थी। अभी भी कुछ बैंक हैं, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी सेबी के नियमों से अधिक है। पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 93.9 प्रतिशत है। इसी तरह, यूको बैंक (91%) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (89.3%) में भी सरकार की हिस्सेदारी निर्धारित न्यूनतम सीमा से ऊपर बनी हुई है।