
बोनस की रकम बढ़ाने की मांग कर रहे केंद्रीय कर्मचारी। (फोटो सोर्स : पत्रिका)
रेल कर्मचारियों ने बोनस बढ़ाने की डिमांड रखी है। इसके लिए रेल मंत्री और वित्त मंत्री को लेटर लिखा गया है। भारतीय रेल तकनीकी पर्यवेक्षक संघ (Indian Railways Technical Supervisors’ Association - IRTSA) ने Non-Gazetted रेलवे कर्मचारियों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 का प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस (PLB) तय करने से पहले उसकी सीमा बढ़ाने की मांग की है। संगठन ने तर्क दिया है कि मौजूदा महंगाई भत्ते की दर के आधार पर 930 रुपये रोजाना के हिसाब से बोनस का पेमेंट होना चाहिए।
एसोसिएशन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र में कहा कि PLB की मौजूदा अधिकतम सीमा 7000 रुपये (बेसिक पे + महंगाई भत्ता) पर तय की गई है, जो 2016 से अब तक नहीं बदली गई। इस आधार पर 78 दिनों का बोनस निकालकर कर्मचारियों को केवल 17,951 रुपये दिया जा रहा है। यह 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के अनुसार नहीं है।
रेलवे में प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस (PLB) की व्यवस्था वर्ष 1979 में शुरू की गई थी। 1995-96 से सभी ग्रुप ‘C’ और ‘D’ कर्मचारियों को बिना वेतन सीमा लगाए PLB मिलता रहा है। रेलवे की उत्पादकता को नेट टन किमी (माल यातायात) और यात्री किमी को माल यातायात में परिवर्तित कर मापा जाता है।
हालांकि, रेलवे बोर्ड ने 2014-15 से PLB पेमेंट के कैलकुलेशन के लिए मासिक वेतन सीमा 7000 रुपये तय कर दी थी। उसी आधार पर 2015-16 से लेकर 2023-24 तक कर्मचारियों को लगातार 17,951 रुपये ही बोनस के रूप में दिया गया। इस बीच महंगाई भत्ते में 55% तक की बढ़ोतरी हो चुकी है, लेकिन बोनस रकम स्थिर बनी हुई है।
1; वेतन आयोग से विसंगति : 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद रेलवे में न्यूनतम प्रवेश वेतन 18,000 रुपये तय हुआ। ऐसे में बोनस की सीमा 7000 रुपये पर बनाए रखना अनुचित है।
2; बोनस रकम में कोई बढ़ोतरी नहीं : 10 साल से कर्मचारियों को 17,951 रुपये से अधिक PLB नहीं मिला। महंगाई दर और वेतन बढ़ोतरी के बावजूद यह रकम स्थिर है।
3; दिनों के हिसाब से असमानता : पिछले साल कर्मचारियों को 78 दिनों का बोनस घोषित किया गया था। लेकिन वास्तविकता में जो रकम मिली, वह रोजाना केवल 230 रुपये के हिसाब से थी। जबकि लेवल-1 कर्मचारी का दैनिक वेतन (18,000 रुपये बेसिक + 55% DA) करीब 930 रुपये बनता है।
4; उच्च स्तर के कर्मचारियों की उपेक्षा : लेवल-2 और उससे ऊपर के कर्मचारियों, जो अधिक जिम्मेदारियां संभालते हैं, उनके लिए PLB की गणना में कोई अलग वेटेज नहीं है।
5; रेलवे की बेहतर उत्पादकता का असर नहीं : रेलवे का सकल ट्रैफिक रसीद (Gross Traffic Receipt) 2023-24 में 2,64,600 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 2,78,100 करोड़ रुपये हो गया यानी इसमें 5.1% की बढ़ोतरी हुई। इसके बावजूद कर्मचारियों के बोनस में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।
लेवल-1 कर्मचारियों के लिए सीमा संशोधित हो : PLB की गणना के लिए वेतन सीमा 18,000 रुपये + DA की जानी चाहिए। इसके अलावा लेवल-2 और उससे ऊपर के कर्मचारियों के लिए सीमा हटे : इनके लिए PLB सीधे उनके पे लेवल से जुड़ा होना चाहिए, ताकि ज्यादा जिम्मेदारी के अनुरूप बोनस मिल सके। IRTSA महासचिव केवी रमेश ने कहा कि रेलवे की उत्पादकता बढ़ रही है और राजस्व में लगातार सुधार हो रहा है। कर्मचारियों की मेहनत और योगदान को मान्यता देने के लिए PLB की गणना में तर्कसंगत बदलाव जरूरी है। मौजूदा सीमा कर्मचारियों के साथ अन्याय है और इसे तुरंत संशोधित किया जाना चाहिए।
Updated on:
02 Sept 2025 06:01 pm
Published on:
02 Sept 2025 05:59 pm
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