
नई दिल्ली। भारत सहित दुनिया के 130 देशों ने जिस वैश्विक न्यूनतम कर समझौते पर सहमति जताई हैं, उसके तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियों को उन देशों में भी कर देना होगा, जहां वे ऑनलाइन कारोबार से मुनाफा कमाती हैं। चाहे भले ही उन देशों में इनकी भौतिक रूप से मौजूदगी न हो।
इससे पहले भारत और चीन जैसे बड़े विकासशील देशों ने वैश्विक न्यूनतम कर के प्रति आपत्ति जताई थी। अब सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की कोशिश करेगी कि उनके देशों में जिनके मुख्यालय हैं, वह न्यूनतम 15 फीसदी की दर से कर का भुगतान करें।
सालाना अतिरिक्त कर
अमरीका के पांच फीसदी के वैश्विक न्यूनतम कर के प्रस्ताव पर जिन देशों ने सहमति जताई हैं, उनमें G-20 देश भी शामिल हैं। इससे देशों को 150 अरब डॉलर अतिरिक्त कर मिलेगा।
नई कर व्यवस्था के दो पहलू
नई कर व्यवस्था के दो पहलू हैं। पहला, दुनियाभर के देशों को अपने यहां कारोबार करने वाली कंपनियों पर समुचित कर लगाने का अधिकार मिलेगा। दूसरा, करदाताओं का आधार बनाए रखने के लिए कॉरपोरेट कर की दम कम रखने की होड़ नहीं मचेगी।
भारत ने कहा, अक्टूबर तक बन सकती है सहमति
वैश्विक न्यूनतम कर पर भारत ने कहा है कि मुनाफा आवंटन में हिस्सेदारी और नियम सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दे हल किया जाना बाकी है। प्रस्ताव के तकनीकी विवरण आने के बाद इस पर अक्टूबर तक सहमति बन सकती है। भारत सहज और सरल तरीके का समाधान चाहता है।
Published on:
05 Jul 2021 08:43 am
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