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पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन को तमिलनाडु सरकार ने आर्थिक सलाहकार परिषद में किया शामिल

सीएम एमके स्टालिन की अडवाइजरी काउंसिल में कई और आर्थिक विशेषज्ञ भी शामिल हैं। रघुराम राजन को यूपीए सरकार ने 2013 में आरबीआई का गवर्नर बनाया था।

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raguram rajan

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नीतियों के आलोचक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन Raghuram Rajan को नई जिम्मेदारियां मिल गई हैं। तमिलनाडु सरकार ने उन्हें आर्थिक सलाहकार परिषद में शामिल किया है। सीएम एमके स्टालिन की अडवाइजरी काउंसिल में कई और आर्थिक विशेषज्ञ भी शामिल हैं।

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तमिलनाडु सरकार की आर्थिक सलाहकार परिषद में इकनॉमिक एक्सपर्ट रघुराम राजन के साथ एस्थर डफ्लो और डॉक्टर अरविंद सुब्रमणियन जैसे नामों को भी जोड़ा गया है।

राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित होगी

राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने सोमवार को घोषणा की कि तमिलनाडु सरकार ने अपनी नई आर्थिक सलाहकार परिषद में इन प्रमुख अर्थशास्त्रियों को शामिल किया है। पुरोहित ने कहा कि आर्थिक सलाहकार परिषद में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, नोबेल पुरस्कार विजेता एस्थर डफ्लो, पूर्व सीईए अरविंद सुब्रमण्यम, विकास अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज और पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव एस नारायण शामिल होंगे। पुरोहित ने कहा, इस परिषद की सिफारिशों के आधार पर सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करेगी। इसके साथ वह सुनिश्चित करेगी कि आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों मिले।

मतभेद सामने आए

इस परिषद का प्रमुख चेहरा रघुराम राजन को यूपीए सरकार ने 2013 में आरबीआई का गवर्नर बनाया था। इस दौरान आरबीआई डिविडेंड (RBI Dividends) और इंटरेस्ट रेट (interest rates) के मुद्दे पर उनके मोदी सरकार से मतभेद बने रहे।

केंद्र सरकार नीतियों की कड़ी आलोचना

भाजपा ने उन पर अधिक ब्याज दरें रखने का आरोप लगाया था। इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (IMF) के चीफ इकनॉमिस्ट रहे राजन ने विदेशी मीडिया में कोरोना को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि बीते साल कोरोना संक्रमण के मामले कम होने के बाद से सरकार को लगा कि वायरस का बुरा दौर निकल गया है। अब सबकुछ खोलने का समय है। यही आत्ममुग्धता आज भारत को भारी पड़ी।

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कोरोना की दूसरी लहर पर सरकार को घेरा

यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में राजन ने कहा कि कोरोना वायरस की पहली लहर से निपटने में भारत की सफलता का नतीजा यह है कि उसने अपने लोगों के लिए पर्याप्त वैक्सीन बनाने पर ध्यान नहीं दिया है। उसे लगा भारत के पास समय है। ऐसे में वैक्सीनेशन में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा था कि अब जाकर सरकार चेती है कि और वह तेजी से वैक्सीनेशन पर काम कर रही है।