
रतन टाटा ने कई कंपनियों में निवेश किया था। (PC: Facebook)
Ratan Tata Birthday Special: कल (28 दिसंबर) रतन टाटा का जन्मदिन है। टाटा पिछले साल दुनिया से रुखसत हुए थे। वह अपने पीछे विचारधारा की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो कभी खत्म नहीं होगी। रतन टाटा ने कई कंपनियों में निवेश किया, वो भी तब जब दूसरे उनमें पैसा लगाने से कतरा रहे थे। देश के स्टार्टअप ईको-सिस्टम को आकार देने में रतन टाटा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। टाटा के निवेश वाले कई स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन चुके हैं।
रतन टाटा किसी भी निवेश से पहले कई बातों पर गौर करते थे। उनके लिए स्टार्टअप फाउंडर की सोच, मैच्योरिटी और गंभीरता को समझना किसी भी दूसरे फैक्टर से कहीं ज्यादा जरूरी था। टाटा जब किसी से जुडते थे, तो यह जुड़ाव केवल वित्तीय योगदान तक ही सीमित नहीं रहता था। वह नए एंटरप्रेन्योर्स के साथ अपनी नॉलेज शेयर करते थे और बाजार में मजबूती से बने रहने के लिए उनका मार्गदर्शन भी करते थे। इस वजह से कई स्टार्टअप फाउंडर अपनी रणनीति को बेहतर बना पाए और उन्हें उम्मीद अनुरूप सफलता हासिल हुई।
टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा खुद को 'एक्सीडेंटल इन्वेस्टर' मानते थे। जब 2014 में उन्होंने स्नैपडील में निवेश किया, तो कई लोगों को ताज्जुब हुआ। क्योंकि यह वो दौर था जब भारत में ई-कॉमर्स सेक्टर मजबूती के शुरुआती दौर में था। किसी स्टार्टअप के लिए एक बिलियन डॉलर का वैल्यूएशन हासिल करना बेहद मुश्किल था। हालांकि, टाटा को विश्वास था कि उनका यह फैसला सही साबित होगा और ऐसा हुआ भी।
टाटा ने भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 50 से अधिक स्टार्टअप्स में निवेश किया था। इसमें ओला, अपस्टॉक्स, लेंसकार्ट, कारदेखो, फर्स्टक्राई, पेटीएम और ब्लूस्टोन जैसे प्रतिष्ठित नाम भी शामिल हैं। रतन टाटा को यदि कोई आइडिया अच्छा लगता था, तो वह उसमें पैसा लगाने से हिचकते नहीं थे। उन्होंने पीयूष बंसल (Peyush Bansal) की लेंसकार्ट में भी निवेश किया, जो उनकी कंपनी टाइटन की प्रतिद्वंदी है। टाटा ने जब इन स्टार्टअप्स में निवेश का निर्णय लिया, तब वे फंडिंग सहित तमाम परेशानियों से जूझ रहे थे।
रतन टाटा के अधिकांश निवेश उनकी पर्सनल इन्वेस्टमेंट फर्म -RNT एसोसिएट्स, और UC-RNT के जरिए हुए। टाटा कई स्टार्टअप फाउंडर्स के लिए मेंटर की तरह थे। ET की रिपोर्ट के अनुसार, कारदेखो के को-फ़ाउंडर और CEO अमित जैन मानते हैं कि टाटा का गाइडेंस स्टार्टअप्स के लिए बहुत ज़रूरी था। जैन ने पिछले साल कहा था कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में रतन टाटा के दशकों के अनुभव ने हमें वह मेंटरशिप दी जिसके बारे में हमने सपने में भी नहीं सोचा था। रिस्क और रिवॉर्ड के बीच बैलेंस बनाने पर उनकी बातें हमें अक्सर प्रेरणा देती हैं। दुनिया से रुखसत होने से पहले टाटा लेंसकार्ट और फर्स्टक्राई जैसे कुछ वेंचर्स से भी बाहर निकल गए थे।
रतन टाटा एक असली लीडर थे। उन्होंने अपने कर्मचारियों को परिवार की तरह माना और सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहे। 2021 में जब टाटा को पता चला कि उनका एक पूर्व कर्मचारी काफी समय से बीमार है, तो वह मुंबई से पुणे उसका हालचाल जानने पहुंच गए। टाटा बेजुबानों से भी बेहद प्यार करते थे। मुंबई के प्रसिद्ध ताज होटल के दरवाजे स्ट्रीट डॉग के लिए हमेशा खुले रहते हैं। बॉम्बे हाउस में भी स्ट्रीट डॉग्स के आने-जाने पर कोई रोक नहीं रही।
Updated on:
27 Dec 2025 12:35 pm
Published on:
27 Dec 2025 12:30 pm
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