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शेयर मार्केट से हुए मुनाफे पर फीफो फॉर्मूले से घटाएं टैक्स देनदारी, हो जाएगा आपका काफी फायदा

Tax on Profits in Share Market: फीफो नियम फर्स्ट इन, फर्स्ट आउट की बात करता है। इस रणनीति को सही तरह से अपनाकर निवेशक अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं।

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भारत

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Pawan Jayaswal

Dec 27, 2025

Tax on profits in share market

शेयर मार्केट में मुनाफे पर टैक्स लगया है। (PC: Pixabay)

स्मार्ट निवेशक वे हैं जो सिर्फ शेयर चुनने में ही माहिर नहीं होते, बल्कि टैक्स कैसे घटाएं और नेट प्रॉफिट कैसे बढ़ाएं, यह भी अच्छी तरह जानते हैं। इक्विटी में निवेश जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है उसका टैक्सेशन समझना। फीफो (फर्स्ट-इन, फर्स्ट-आउट) जैसी रणनीतियों को सही तरीके से अपनाकर निवेशक अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते है और मुनाफा बढ़ा सकते हैं।

शेयरों से कमाई के दो जरिए

  1. कैपिटल गेन: जब आप शेयर बेचते हैं और आपको खरीद मूल्य से ज्यादा मिलता है, तो यह कैपिटल गेन (पूंजी लाभ) कहलाता है। एक साल के कम शेयर रखने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20% लगता है। 12 माह के बाद शेयर बेचने पर 12.5% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। सालाना 1.25 लाख रुपए तक के लाभ पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता है।
  2. डिविडेंड: वहीं, जब आप किसी कंपनी के शेयर रखते हैं और कंपनी अपने मुनाफे का हिस्सा शेयरधारकों को बांटती है, उसे डिविडेंड कहते है। इस पर टैक्स स्लैब के हिसाब से लगता है। डिविडेंड पर आप ब्याज खर्च घटा सकते हैं। अगर आपने शेयर खरीदने के लिए लोन लिया था, तो उसकी ब्याज राशि का 20% ही घटा सकते है। ब्रोकरेज, कमीशन आदि घटाने की अनुमति नही है।

फीफो नियम क्यों जरूरी है?

निवेशक कई बार एक ही कंपनी के शेयर अलग-अलग तारीखों पर खरीदते है। जब वे चाहें तभी कुछ शेयर बेच देते हैं। सेबी के नियम के अनुसार, जो शेयर सबसे पहले खरीदा गया, वही सबसे पहले बेचा हुआ माना जाएगा। यह कानून है।

कितना लगेगा टैक्स?

अब फीफो नियम कहता है कि पहले आए हुए 2000 शेयर (यानी 1 फरवरी वाले) बेचे हुए माने जाएंगे। यानी लागत मूल्य 50 रुपए प्रति शेयर होगा। इस तरह कुल लाभ होगा: (105- 50)×2000= 1,10,000 रुपए। चूंकि शेयर 12 महीने पूरे होने से पहले बेच दिए गए, इसलिए यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन है, तो टैक्स होगा 1.10 लाख रुपए का 20% यानी 22,000 रुपए।

तो फिर टैक्स बचाने का क्या उपाय है?

आपके सारे शेयर एक ही डीमैट में है, तो फीफो लागू होने से कभी-कभी अनजाने में पुराने, सस्ते और लंबे समय से रखे गए शेयर पहले बेच दिए जाते है। इससे लॉन्ग टर्म गेन खत्म हो सकता है या अनचाहे ही टैक्स का बोझ बढ़ सकता है। लेकिन यदि दो डीमैट अकाउंट है, जैसे कि पहला लॉन्ग टर्म निवेश और दूसरा ट्रेडिंग/ शॉर्ट टर्म निवेश के लिए तो टैक्स प्लान कर सकते हैं।

इसे उदाहरण से समझें

मान लीजिए आपने एबीसी नाम की कंपनी के शेयर दो बार खरीदे। 1 फरवरी 2025 को 50 रुपये के भाव पर 2000 शेयर खरीदे और लागत 1,00,000 रुपए रही। फिर 1 अगस्त को 75 रुपए के भाव पर फिर 2000 शेयर खरीदे, यानी लागत 1,50,000 रुपए रही। फिर आपने 27 दिसंबर 2025 को 2000 शेयर 105 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेच दिए तो बिक्री मूल्य हुआ 2,10,000 रुपए।

इस तरह होगी बचत

मान लीजिए आपने 2000-2000 शेयर उपरोक्त भाव पर अलग-अलग डीमैट अकाउंट में खरीदे। यदि आप 2000 शेयर 105 रुपए प्रति शेयर पर बेचते है और यह सेल 75 रुपए खरीद वाले अकाउंट से करते हैं, तो लाभ होगा (105-75) ×2000=60,000 रुपए। तो टैक्स हुआ 12,000 रुपए। लेकिन यदि यही सेल एक अकाउंट में से की होती, तो टैक्स 22,000 रुपये होता। यानी एक ही सेल में 10,000 रुपए की टैक्स बचत सिर्फ अकाउंट अलग रखने से हो गई।