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दुनिया के 9वें सबसे अमीर व्यक्ति Warren Buffett आज होंगे रिटायर, 6 साल की उम्र से कर रहे बिजनेस, 99% दौलत करेंगे दान

Warren Buffett’s retirement: वॉरेन बफे सोने में निवेश के खिलाफ रहे हैं। उनका मानना था कि सोना नॉन-प्रोडक्टिव और बेकार है। सोना कोई इनकम या उत्पाद पैदा नहीं करता।

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भारत

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Pawan Jayaswal

Dec 31, 2025

Warren Buffett’s retirement

वॉरेन बफे रिटायर हो रहे हैं।

Warren Buffett’s retirement: दुनिया के सबसे दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे 31 दिसंबर को बर्कशायर हैथवे के सीईओ के पद से रिटायर हो रहे हैं। दुनिया के निवेश इतिहास में एक युग अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। यह सिर्फ एक व्यक्ति के सक्रिय निवेश जीवन का अंत नहीं है, बल्कि उस सोच, धैर्य और अनुशासन का भी पड़ाव है, जिसने दशकों तक वैश्विक पूंजी बाजारों को नई दिशा दी। करीब छह दशक तक बर्कशायर हैथवे की कमान संभालने वाले बफे ने यह साबित किया कि निवेश सिर्फ आंकड़ों व तेजी-मंदी का खेल नहीं, बल्कि चरित्र, धैर्य और समझ का इम्तिहान है।

जब बाजार शोर, डर और लालच से भरे रहते थे, तब बफे ने सादगी से कहा- अच्छी कंपनी खरीदो, सही कीमत पर खरीदो और लंबे समय तक पकड़े रहो। यही दर्शन उन्हें भीड़ से अलग बनाता है। बफे ने अपना उत्तराधिकारी अपने बच्चों को नहीं बनाया। उनके रिटायरमेंट के बाद 1 जनवरी, 2026 से कंपनी की कमान बर्कशायर हैथवे के वाइस प्रेसिडेंट ग्रेग एबल के हाथों में आएगी। बफे एबेल को 400 अरब डॉलर यानी 36 लाख करोड़ रुपए की नकदी देकर विदा ले रहे हैं।

6 साल की उम्र से ही कर रहे बिजनेस

बफे ने 6 वर्ष की उम्र में कोल्ड ड्रिंक बेची। कॉलेज के दिनों में अखबार बांटे, फुटबॉल मैचों में पॉपकॉर्न बेचे और 17 की उम्र में पिनबॉल मशीनें खरीद बार्बर शॉप्स से नियमित आय अर्जित की। उन्होंने कभी ओमाहा शहर नहीं छोड़ा। आज भी उसी पुराने घर में रहते हैं, जिसे 1958 में 31.500 डॉलर में खरीदा था और अब कीमत 14 लाख डॉलर है। वे इसे 'तीसरा सबसे अच्छा निवेश कहते हैं। बर्कशायर हैथवे सिर्फ इसलिए खरीदा, ताकि उसके सीईओ को बाहर का रास्ता दिखा सकें।

इसलिए खरीदा बर्कशायर हैथवे

1964 में बर्कशायर हैथवे टेक्सटाइल कंपनी थी, जिसकी हालत खराब थी और इसके शेयर बेहद सस्ते मिल रहे थे। बफे ने इसका शेयर लेना शुरू किया और बफे के पास कंपनी की 7% हिस्सेदारी हो गई। इस दौरान कंपनी के सीईओ ने बफे को 11.50 डॉलर प्रति शेयर पर वापस खरीदने का ऑफर दिया। बफे ने हामी भर दी लेकिन बाद में सीईओ ने कीमत 12.5 सेंट कम कर दी। यही 12 सेंट का फर्क टर्निंग पॉइंट बना। बफे को यह अपमान लगा। उन्होंने शेयर बेचने के बजाय एक साल से भी कम समय में अपनी हिस्सेदारी बढ़कर 43% कर ली। अब कंपनी पर उनका पूरा कंट्रोल था। उन्होंने सबसे पहले सीईओ को निकाला। बफे ने बर्कशायर हैथवे को एक 'शेल कंपनी' की तरह इस्तेमाल किया। इसके जरिए आने वाले कैश से उन्होंने बीमा, बैंकिंग, रेलवे और बड़ी कंपनियों में निवेश शुरू किया। धीरे-धीरे बर्कशायर एक होल्डिंग कंपनी बन गई, जिसके पोर्टफोलियो में एपल, कोका-कोला जैसी दिग्गज कंपनियां थीं। 1985 में टेक्सटाइल बिज़नेस पूरी तरह बंद कर दिया। यहीं से असली बर्कशायर की कहानी शुरू हुई। अब 1.09 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप के साथ बर्कशायर हैथवे विश्व की 9वीं सबसे बड़ी कंपनी है।

गोल्ड में निवेश के खिलाफ

बफे गोल्ड में निवेश के हमेशा खिलाफ रहे। हालांकि, गोल्ड ने आर्थिक संकट के समय निवेशकों को रिटर्न देने के मामले में कभी निराश नहीं किया। लेकिन बफे ने सोने को लेकर हमेशा एक ही राय बनाई रखी। वह हमेशा से सोने को नॉन-प्रोडक्टिव और बेकार मानते हैं। उनका कहना है कि सोना कोई इनकम या उत्पाद पैदा नहीं करता।

निवेशकों को बफे की 10 सबसे बड़ी सीख

  1. शेयर सट्टा नहीं, मालिकाना हकः शेयर खरीदना किसी बिजनेस का हिस्सा बनना है, न कि भाव पर दांव लगाना। निवेश से पहले यह समझें कि कंपनी क्या कमाती है, कैसे कमाती है और क्या उसका भविष्य टिकाऊ है।
  2. सस्ता नहीं, सही मूल्य देखिए: निवेश में भाव नहीं, वैल्यू सबसे अहम है। कंपनी की कमाई, ब्रांड प्रतिस्पर्धी ताकत और भविष्य की ग्रोथ देखें। सही कीमत पर खरीदी कंपनी बड़ा रिटर्न देती है।
  3. धैर्य जरूरी: शेयर बाजार अधीर लोगों से पैसा निकालकर धैर्यवान निवेशकों को देता है। मैं जल्दी बेचने, रोज भाव देखने, गिरावट से घबराने के खिलाफ हूं। असली कमाई कंपाउंडिंग से होती है, जिसे समय चाहिए।
  4. भीड़ के उलट सोचें : जब बाजार में लालच हो, तब सावधान रहें और जब डर हो, तब मौके खोजें। भीड़ का अनुसरण औसत नतीजे देता है। डर और लालच सबसे बड़े दुश्मन हैं।
  5. सरल बिजनेस चुनें: अगर आप किसी कंपनी को सरल शब्दों में नहीं समझा सकते, तो उसमें पैसा लगाना जोखिम भरा है। जितना साफ बिजनेस मॉडल, उतना बेहतर फैसला।
  6. कर्ज से दूरी रखें: ज्यादा कर्ज अच्छी कंपनी को भी कमजोर बना सकता है। निवेशक को भी उधार लेकर निवेश नहीं करना चाहिए। बाजार गिरने पर कर्ज घाटे को कई गुना बढ़ा देता है।
  7. पहले नुकसान से बचें: पहली सीख - पैसा मत गंवाइए। दूसरी इसे कभी न भूलें बड़ा रिटर्न तभी मायने रखता है जब पूंजी सुरक्षित रहे।
  8. समय को साथी बनाएं: छोटी रकम, सही निवेश और लंबा समय, यही कंपाउंडिंग का सूत्र है। जल्दी अमीर बनने की सोच अक्सर नुकसान कराती है।
  9. मैनेजमेंट पर भरोसा: सिर्फ कंपनी नहीं, उसे चलाने वाले लोगों में निवेश करें। ईमानदार व सक्षम मैनेजमेंट शेयरधारकों की असली सुरक्षा होता है। अच्छे बिजनेस को भी खराब मैनेजमेंट डुबो सकता है।
  10. सीखना कभी बंद न करें: बाजार बदलता है, तो निवेशक को भी अपडेट रहना चाहिए। ज्ञान भी कंपाउंड होता है। जो सीखता रहता है, वही बेहतर फैसले लेता है।